जूझ Class 12th Hindi Chapter 2nd- ( वितान ) Vitan- Easy Summary
परिचय
- जूझ मराठी के प्रख्यात कथाकार आनंद यादव का बहुचर्चित उपन्यास है |
- इसी उपन्यास का एक अंश हमारी पाठ्यपुस्तक में जूझ नाम से संकलित है |
- इसमें एक संघर्षशील किशोर के जीवन के यथार्थ का चित्रण है |
लेखक की परेशानी
- लेखक के पिता ने कक्षा चार के बाद उसे पाठशाला जाने से रोक लिया और खेती के काम में लगा दिया |
- खेती में उसे खेतों में पानी देना होता है कोल्हू पर काम करना पड़ता है
- परंतु लेखक पढ़ना चाहता है वह जानता है कि खेती में जन्मभर काम करने के बाद भी हाथ कुछ नहीं आएगा |
- पढ़ लिया तो नौकरी लग जाएगी इस बात की वह अपने दादा से कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था |
- क्योंकि दादा इस प्रस्ताव को सुनकर ही बुरी तरह से पिटाई करेगा |
माँ से मिलकर योजना
- कोल्हू का काम समाप्त हो चुका था लेखक की माँ कंडे थाप रही थी और लेखक बाल्टी में पानी भरकर अपनी माँ को दे रहा था
- इस एकांत को देखकर लेखक ने माँ से बात करने का अच्छा अवसर समझकर अपने पढ़ने की बात चला दी
- लेखक की माँ ने अपनी लाचारी प्रकट करते हुए बोला कि तेरा दादा तेरे पढ़ने की बात चलाने पर जंगली सुअर की तरह गुर्राता है |
- लेखक ने माँ को सुझाव दिया कि वह दत्ताजी राव सरकार से मेरे पढ़ने के बारे में बात करें माँ ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और तय हुआ कि आज रात को दोनों दत्ताजीराव सरकार के पास जाएंगे
- आनंदा की माँ चाहती थी कि उसका बेटा सातवीं कक्षा तक जरूर पढ़ें लेकिन दादा के आगे उसकी एक न चलती थी
- आनंदा और उसकी माँ ने दत्ताजी राव के पास जाने की सोंची क्योंकि वही पाठशाला जाने के लिए दादा को समझाकर राजी कर सकते थे |
दत्ता जी राव
- दत्ताजीराव देसाई गांव के एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं |
- उन्होंने आनंदा और उसकी माँ की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनकर कहा कि दादा को मेरे पास भेजना |
- राव साहब भी चाहते थे कि आनंदा पढ़ लिखकर एक शिक्षित व्यक्ति बनें |
- लेखक ने राव जी के भाव अपने अनुकूल देखकर कहा कि अब जनवरी का महीना है अब भी यदि मुझे पाठशाला भेजा गया तो मैं दो महीने में पांचवी की सारी तैयारी कर लूँगा और परीक्षा में पास हो जाऊंगा इस तरह मेरा 1 साल बच जाएगा मेरा पहले 1 साल बर्बाद हो चुका है |
- दादा की करतूतें सुनकर राव जी को क्रोध आया उन्होंने कहा मैं उसे आज ही ठीक करता हूँ |
राव जी की योजना
- राव ने लेखक से कहा कि घर आते ही अपने दादा को मेरे पास भेज देना और घड़ी भर बाद तू भी कोई बहाना बनाकर आज आना
- माँ बेटा ने राव को सचेत कर दिया था कि हम दोनों के यहाँ आने की बात दादा को न बताएं राव ने कहा तू उसके सामने निडर होकर जो मैं पूछूं कह देना |
- योजना के अनुसार लेखक की माँ ने दादा को राहुल जी के यहाँ यह कहकर भेज दिया कि राव साहब की यह साथ भाजी देने गई थी तब राव साहब ने कहा बहुत दिनों से तेरा मालिक दिखाई नहीं दिया है उसे मेरे पास भेजना
- लेखक का दादा बुलावे को सम्मान समझकर तुरंत चला गया आधे घंटे बाद लेखक की माँ ने लेखक को यह कहकर भेज दिया कि माँ खाना खाने के लिए बुला रही है |
- रावजी ने लेखक से पूछा कौन सी में पढ़ता है रे तू लेखक ने बताया पांचवीं में था किंतु पाठशाला नहीं जाता क्यों के उत्तर में लेखक ने बताया कि दादा ने मना कर दिया है क्योंकि खेतों में पानी लगाने का काम मुझे दे दिया
- राव ने लेखक के दादा से जब सच्चाई जाननी चाही तो उसने लेखक के कथन को मान लिया
- इसके बाद सरकार ने लेखक के दादा को बहुत फटकार लगाई और कहा खुद खुले सांड की तरह घूमता है लुगाई और बच्चों को खेती में जोतता है
- सरकार ने लेखक से कहा तू कल से पाठशाला जा मास्टर को फीस दे मन लगाकर पढ़ साल बचाना है यदि यह तुझे पाठशाला ना जाने दें तो मेरे पास चले आना मैं पढ़ाऊंगा तुझे
- लेखक के दादा ने लेखक पर जुआ खेलने, कंडे बेचने, चारा बेचने, सिनेमा देखने खेल में जानें , घर के काम में ध्यान न देने, के अनेक झूठे आरोप लगाए
- लेखक ने अपने उत्तर से देसाई सरकार को संतुष्ट कर दिया राव जी ने पूछा तू कभी फेल तो नहीं हुआ लेखक के मना करने पर उसे कल से पाठशाला जाने का आदेश देकर घर भेज दिया |
दादा की शर्त
- लेखक के दादा ने लेखक से यह वचन ले लिया की सुबह 11:00 बजे तक खेत पर काम करना पड़ेगा
- खेत से ही पाठशाला जाना और छुट्टी के बाद घंटा भर पशु चराना तथा काम की अधिकता पर कभी कभी छुट्टी भी लेनी पड़ेगी लेखक ने सभी शर्तों को मान लिया
कक्षा में
- लेखक पांचवीं कक्षा में जाकर बैठने लगा कक्षा में गली के दो लड़कों के अलावा सभी अपरिचित थे सभी लड़के लेखक से कम उम्र के थे |
- कक्षा के शरारती लड़के ने लेखक की खिल्ली उड़ाई और उसका गमछा छीनकर मास्टर की मेज पर रख दिया
- बीच की छुट्टी में उसी लड़के ने लेखक की धोती की लांग खोल दी पाठशाला के बच्चे तरह तरह से लेखक को परेशान करते रहे
- इस दशा को देखकर लेखक घबराने लगा उसका मन उदास हो गया उसने माँ से कहकर एक नई टोपी और चड्डी मंगवा ली और स्कूल चड्ढी पहनकर जाने लगा |
- गणित के अध्यापक शरारती लड़कों की पिटाई करते थे और इस तरह कक्षा में शरारत कम होने लगी |
वसंत पाटिल
- वसंत पाटिल नाम का एक बहुत होशियार लड़का आनंदा का मित्र बन गया |
- आनंदा वसंत को देखकर पढ़ाई में भी मन लगने लगा और अखबारी कागज के कवर भी अपनी किताबों पर चढ़ाने लगा |
- अब उसे भी कक्षा में शाबाशी मिलने लगी उसे पाठशाला जाने में आनंद आने लगा |
श्री सौंदलगेकर जी
- श्री सौंदलगेकर जी मराठी अध्यापक हैं वे कक्षा में कविता बहुत ही आनंद के साथ गाकर सुनाते हैं |
- सुनने वाला भी मुग्ध होकर सुनता है उनके पास सुरीला गला छंद की बढ़िया चाल और रसिकता भी थी |
- आनंदा को उनकी कविताएं इतनी अच्छी लगती थी जब वह पाठशाला के बाद खेत में काम करने जाता तो हर समय उन्हें गुनगुनाता रहता था |
- जिसके कारण कविता में उसकी रुचि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी , सौंदलगेकर जी भी आनंदा को विशेष रूप से सिखाने लगे और उसकी प्रशंसा भी करने लगे |
- श्री सौंदलगेकर जी से ही प्रेरणा लेकर आनंदा स्वयं भी कविता रचने लगा और अपने गुरूजी को दिखाता था जिससे कविता में जो कमी हो वे उन्हें ठीक कर सकें |
आनंदा की लगन
- आनंदा को कविता लिखने की ऐसी लगन लगी कि जब उसके पास कागज पेंसिल न होती तो वह लकड़ी के छोटे टुकड़े से भैंस की पीठ पर रेखा खींचकर लिखता
- यह पत्थर की शिला पर कंकड़ से लिख लेता था कभी कभी कविता रविवार के दिन लिख लेता तो सोमवार को सबसे पहले अपनी कविता मास्टरजी को दिखाता
- यदि वे सोमवार का इंतजार नहीं कर पाता तो रात को ही सौंदलगेकर जी के घर जाकर कविता दिखा देता था |
- इस कारण आनंदा की मराठी भाषा में भी सुधार आया और अब वह अलंकार छंद आदि को
- कविता की लगन उसे ऐसी लगी कि उसके मन में कोई न कोई मधुर गीत बजता ही रहता |