बिस्कोहर की माटी - Class 12th hindi (अंतराल ) Term- 2 Important question
1- लेखक ने किन आधारों पर अपनी माँ की तुलना बतख से की हैं ?
उत्तर : लेखक ने बत्तख माँ और मानव शिशु माँ की तुलना करते हुए कई पक्ष सामने रखे हैं। लेखक को दोनों में कई समानताएँ दिखती हैं।
1) खतरों से बचाना- जिस प्रकार बत्तख अपने पंखों को फैलाकर अंडों को दुनिया की नज़रों से बचाकर रखती है उसी प्रकार मानव माँ भी अपने बच्चों की ढाल बनकर उन्हें दुनिया के खतरों से बचाती है।
2) सतर्कता और कोमलता से देखरेख : जैसे बत्तख माँ अपनी पैनी चोंच से सतर्कता बरतते हुए कोमलता से अंडों को अपने पंखों के अंदर छुपाती है उसी प्रकार मानव माँ भी बच्चे को डांटते मारते समय ध्यान रखती है कि शिशु को नुकसान न पहुँचे।
3) आने वाले खतरे को भाँपना : बत्तख माँ की निगाह सदैव कौवे की ताक पर रहती है, मानव माँ भी बच्चे पर आने वाले संभावित खतरे को भाप लेती है।
2- लेखक की प्रकृति, नारी और सौंदर्य संबंधी मान्यताओं का वर्णन कीजिए।
1) लेखक के लिए प्रकृति : लेखक का प्रकृति से गहरा लगाव था। उसे प्रकृति के कई दृश्य अनुपम एवं हृदयग्राही लगते थे। प्रकृति उसके लिए सौन्दर्य का पर्याय थी।
2) लेखक की दृष्टि में नारी : लेखक ने अपने गाँव में एक रूपवती नारी देखी जिसकी सुन्दरता लेखक के हृदय में बस गई। वह भी लेखक को सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति लगी।
3) प्रकृति और नारी में समानता : सौन्दर्य की समानता होने के कारण लेखक को लगा जैसे प्रकृति नारी का सजीव रूप लेकर उसके समक्ष आ गई। प्रकृति के समस्त दृश्यों में जूही की लता, चाँदनी की छटा, फूलों की खुशबू आदि में उसे नारी के सौन्दर्य का आभास होता था। सौन्दर्य के समान धर्म होने के कारण लेखक को प्रकृति और नारी एकाकार होते हुए दिखे।
3- फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी देते हैं, कैसे ?
- फुल सुगंध के साथ-साथ दवा का भी काम करते हैं। नीम के फूल और पत्ते चेचक के रोगी के पास रखे जाते हैं। बेर का फूल सूंघने से बर्र ततैया का डंक झड़ जाता है। गुडकल के फूल को देवी का वरदान माना जाता है
4- कोइयां किसे कहते हैं, उसकी विशेषताएं बताइए |
- कोइयां एक जल -पुष्प है इसे कमद भी कहते हैं । इसे कोकाबेली के नाम से भी जाना जाता है। यह शरद ऋतु में गड्ढों पानी में होता है। यह उत्तर भारत में अधिक पाया जाता है शरद ऋतु में चांदनी
- रात में तालाबों में चांदनी का प्रतिबिंब और श्वेत वर्ण का कोइयां एक रूप हो जाते हैं।
5- बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं , माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन - चरित होता है । कैसे ?
- उत्तर- बच्चा जन्म लेते ही अपने भोजन के रूप में माँ का दूध ही ग्रहण करता है । काफी समय तक माँ का दूध ही उसके लिए पूर्ण भोजन का काम करता है । इसी दूध से उसका पोषण होता है । इसी दूध से उसका विकास होता है । नवजात शिशु के लिए माँ का दूध अमृत के समान है । बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना ही नहीं , माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन - चरित होता है । इसी दूध का बच्चे के व्यक्तित्व पर बच्चे के संस्कारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है । बच्चा सुबकता है , रोता है , माँ को मारता माँ भी कभी - कभी मारती है , बच्चा माँ से चिपटा रहता है , माँ चिपटाए रहती है । बच्चा माँ के पेट का स्पर्श , गंध भोगता है , पेट में अपनी जगह जैसे ढूँढ़ता रहता है । बच्चे के जब दाँत निकलते हैं तब हर चीज़ को दाँत से काटते हैं , यही टीसना है । चाँदनी रात में खटिया पर लेटी माँ बच्चे को दूध पिलाती है तब बच्चा दूध ही नहीं , चाँदनी को भी पीता है । उसे चाँदनी भी माँ जैसी ही पुलक - स्नेह ममता देती है । माँ के अंग से लिपटकर बच्चे का दूध पीना , जड़ के चेतन होने यानी मानव - जन्म लेने की सार्थकता है ।
6- बिसनाथ पर क्या अत्याचार हो गया ?
- बिसनाथ अभी दूध पीता बच्चा था कि उसका छोटा भाई आ गया । अतः बिसनाथ दूध कटहा हो गये अर्थात् उनका दूध कट गया । तब माँ के दूध पर छोटे भाई का कब्जा हो गया । छोटा भाई हुमक- हुमक कर दूध पीता था और बिसनाथ को गाय का बेस्वाद दूध पीना पड़ता था । बिसनाथ को पड़ोस की कसेरिन दाई ने पाला - पोसा था । वे तीन बरस तक कसेरिन दाई के साथ लेटे चाँद को देखते रहे अर्थात् माँ के स्थान पर उसे कसेरिन दाई के सम्पर्क में रहना पड़ा । यह एक प्रकार से बिसनाथ पर अत्याचार था ।
7- पाठ में दिये गये गरमी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए । क्या आप भी उन उपायों से परिचित हैं ?
- प्याज का उपाय - प्याज की गंध से लू का असर जाता रहता है । गरमी में कमीज से गाँठ लगाकर प्याज बाँध ली जाए तो लू नहीं लगती । ग्रामीण इलाकों में इस उपाय को काम में लाया जाता रहा है ।
- कच्चे आम का उपाय- कच्चे आम का पना पीने से भी गरमी और लू बेअसर हो जाती है । कच्चे आम को आग में भूनकर या उबालकर उसका शरबत बनाया जाता है । उसमें चीनी या गुड़ मिलाकर पीते हैं । कभी - कभी उससे सिर धोते हैं और शरीर पर भी लेपते हैं ।
8- साँपों के बारे में ‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ में क्या बताया गया है ?
- उत्तर- पाठ में बताया गया है की घास-पास से भरे मेड़ों पर , मैदानों पर , तालाब के भीटों पर नाना प्रकार के साँप मिलते हैं | साँप से डर लगता है | डोड़हा और मजगिदवा विषहीन होते हैं | डोड़हा को मारा नहीं जाता | उसे साँपों में वामन जाती का मानते हैं | धामिन भी विषहीन है लेकिन वह लम्बी होती है | सबसे खतरनाक गोहुअन है जिसे गाँव में फेंटारा कहते हैं | ‘भटिहा’ के दो मुहँ होते हैं | आम ,पीपल , केवड़े की झाड़ी में रहने वाले साँप बहुत खतरनाक होते है |