विद्यापति- पद - Class 12th hindi ( अंतरा भाग- 2 ) Term- 2 Important question

विद्यापति- पद - Class 12th hindi ( अंतरा भाग- 2 )  Term- 2 Important question

 1- कवि ' नयन न तिरपित भेल ' के माध्यम से विरहिणी नायिका की किस मनोदशा को व्यक्त करना चाहता है ? 

  • इस काव्य - पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि प्रेम एक ऐसी चीज है जिससे व्यक्ति की कभी तृप्ति नहीं होती । विरहिणी नायिका भी जन्म - जन्मांतर से नायक के साथ रहती रही है फिर भी वह अतृप्त है । उसका मन करता है कि वह कभी भी प्रियतम से अलग न हो । प्रेम में नित्य नवीनता होती है , अतः उससे तृप्त होना संभव नहीं है । यही मनोदशा विरहिणी नायिका की भी है । 

2- नायिका के प्राण तृप्त न हो पाने का कारण अपने शब्दों में लिखिए । 

  • नायिका का अपने नायक के प्रति अगाध प्रेम है । अगाध प्रेम में तृप्ति की अनुभूति नहीं होती । इसका कारण है । कि इस प्रकार के प्रेम में ठहराव नहीं होता , अपितु नित्य नवीनता बनी रहती है । प्रियजनों की निकटता से प्रेम गहराता है । इसी कारण नायिका प्रेम में तृप्त नहीं हो पाती । वह नित्य नया अनुभव पाना चाहती है ।   

3- ' सेह पिरित अनुराग बखानिअ तिल - तिल नूतन होए ' से लेखक का क्या आशय है ? ‘ 

  • इससे लेखक का आशय यह है कि वर्णन तो उसी वस्तु का किया जा सकता है जो स्थिर रहती हो । जिस प्रेम में नित्य नवीनता आ रही हो , उसका वर्णन करना संभव नहीं है । इसका कारण है कि जब तक वर्णन किया जाएगा तब उसमें और नवीनता आ जाएगी और वह वर्णन अधूरा प्रतीत होगा । नायिका अपने प्रियतम के अनुराग में डूबी हुई है । उसका यह अनुराग ( प्रेम ) नित्य नया हो रहा है । इस तरह उसकी आशा उत्तरोत्तर बलवती होती जा रही है ।  

4- कोयल और भौंरों के कलरव का नायिका पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

  • कोयल और भौंरों का कलरव सुनकर नायिका अपने हाथों से कानों को बंद कर लेती है । इसका कारण यह है कि कोयल और भौंरों की ध्वनि जहाँ एक ओर नायिका को आनंदित करती है वहीं उसकी विरह - व्यथा को और बढ़ा देती है । यह विरहाग्नि कहीं उसे जलाकर भस्म न कर दे इसलिए वह अपने हाथों से अपने कान बंद कर लेती है ।  

5- विद्यापति के संकलित तीनों पदों का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ।

  • यहाँ विद्यापति के तीन पद संकलित किए गए हैं पहले पद में विरहिणी के हृदय के उद्गारों को प्रकट करते हुए कवि ने उसको अत्यंत दु : खी और कातर बताया है । उसका हृदय प्रियतम ने हर लिया है और वह प्रियतम गोकुल छोड़कर मधुपुर जा बसा है । कवि ने उसके कार्तिक मास में आने की संभावना प्रकट की है । दूसरे पद में प्रियतमा अपनी सखी से कहती है कि मैं जन्म - जन्मांतर से अपने प्रियतम का रूप निहारती रही हूँ . पर अभी तक मेरे नेत्र तृप्त नहीं हुए हैं । प्रियतम के मधुर बोल मेरे कानों में गूंजते रहते हैं । तीसरे पद में कवि ने विरहिणी प्रियतमा का दुःख भरा चित्र खींचा है । इस दुःख के कारण नायिका की आँखों से निरंतर अश्रुधारा बहती चली जा रही है । इस कारण उसके नेत्र खुल भी नहीं पा रहे हैं । विरहिणी नायिका विरह में  हर- क्षण क्षीण होती चली जा रही है ।  

6- प्रियतमा के दुःख का क्या कारण है ?

  • प्रियतमा के दुख का कारण यह है कि उसका प्रियतम उसके पास नहीं है और उधर सावन का महीना है इस महीने में वह अपने भवन में अकेली है | बाहर वर्षा की रिमझिम हो रही है इस ऋतु में उसकी विरह वेदना और भी बढ़ जाती है | प्रियतम के अभाव में यह सुना भगवान उसे काटने को दौड़ता है |  

7- विद्यापति की विरहिणी नायिका की तीन विशेषताएं का उल्लेख कीजिए | 

  • विरहिणी नायिका का तर दृष्टि से चारों दिशाओं में अपने प्रियतम को खोजती है |
  • विरहिणी नायिका अपने हाथों से अपने कान बंद कर लेती है ताकि कोयला और बोरों की मधुर गुंजार न सुन सके |
  • विरहिणी नायिका इतनी दुर्बल हो गई है कि पृथ्वी पर बैठने के उपरांत सहज रूप से उठ नहीं पाती वह कमलमुखी नायिका दोनों हाथों से नेताओं को बंद कर लेती है |  

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