Class 11th Geography Chapter- 14th Term- 2 ( महासागरीय जल संचलन ) Important question Book- 2nd

Class 11th Geography Chapter- 14th Term- 2 ( महासागरीय जल संचलन ) Important question Book- 2nd

तरंग एवं धाराओं में अंतर स्पष्ट करें 

( तरंगें )

(1) तरंगों का जल ऊपर-नीचे तथा आगे-पीछे हिलता रहता है। वह अपना स्थान छोड़कर आगे नहीं बढ़ता।

(2) तरंगें केवल जल-तल तक सीमित रहती हैं।

(3) तरंगों का वेग वायु के प्रचलन पर निर्भर करता है।

(4) तरंगों का आकार जल की गहराई पर निर्भर करता है।

(5) तरंगें स्थायी होती हैं और सदा बनती बिगड़ती रहती हैं।

( धाराएँ )

(1) धाराओं में जल अपना स्थान छोड़कर आगे बढ़ता।

(2) धाराएं पर्याप्त गहराई तक प्रभावकारी होती हैं।

(3) धाराएं स्थायी पवनों के प्रभाव से चलती हैं। ठंडे तटों को गर्म कर देती है।

(4) धाराएं सदैव विशाल आकार की होती हैं। इनके मिलने वाले क्षेत्र मछलियों से भरे रहते हैं।

(5) धाराएं सदा स्थायी होती हैं तथा निरन्तर निश्चित दिशा में बहती हैं।

ज्वार - भाटा क्या है ? इसके प्रमुख प्रकार बताइये तथा इसके महत्व का वर्णन कीजिए ?  

समुद्र का जल स्तर सदा एक सा नही रहता । यह नियमित रूप से दिन में दो बार ऊपर उठता है तथा नीचे उतरता है । समुद्री जल स्तर के ऊपर उठने को ज्वार तथा नीचे उतरने को भाटा कहते है ।

पूर्ण मासी तथा अमावस्या के ज्वार की ऊँचाई अन्य दिनों की अपेक्षा 20 % अधिक होती है ।  यह महीने में दो बार होती है ।   

ज्वार भाटा के प्रकार    

आवृति पर आधारित     

अर्ध दैनिक ज्वार – 

  • सबसे सामान्य ज्वारीय प्रक्रिया 
  • इसके अंतर्गत प्रत्येक दिन दो उच्च तथा दो निम्न ज्वार आते है |
  • दो लगातार उच्च एवं निम्न ज्वार समान उंचाई के होते हैं |  

दैनिक ज्वार–

  • इसमें प्रतिदिन केवल एक उच्च तथा एक निम्न ज्वार 
  • उच्च और निम्न ज्वारों की उंचाई समान होती है |

मिश्रित ज्वार -  

  • ऐसे ज्वार भाटा जिनकी उंचाई में भिन्नता होती है उसे हम मिश्रित ज्वार भाटा कहते हैं |
  • इनकी location  : उतर अमेरिका पश्चिमी तट , प्रशांत महासागर के बहुत से द्वीप 

ज्वार भाटा के प्रकार    

सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी की स्थिति पर आधारित 

उच्च ज्वार  - 

  • पृथ्वी के सन्दर्भ में सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति ज्वार की ऊंचाई को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है 
  • जब तीनो एक सीधी रेखा में होते हैं तो ज्वार का उभार अधिकतम होता है |
  • ऐसा महीने में दो बार होता है – पूर्णिमा तथा अमावस्या   

निम्न ज्वार -  

  • उच्च ज्वार तथा निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अंतर होता है |
  • इस समय सूर्य तथा चन्द्रमा एक दूसरे के समकोण पर होते हैं |
  • सूर्य तथा चन्द्रमा के गुरुत्व बल एक दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं |

ज्वार भाटा का महत्व 

  • इसके कारण नदमुखों पर समुद्री जहाज आसानी से प्रवेश कर पाते हैं ( कोलकाता में हुगली नदी )
  • मछली पकड़ने  वाले नाविक भाटे के साथ समुद्र में अंदर जाते हैं और ज्वार के साथ बाहर आ जाते हैं  |
  • ज्वार भाटे से बहुत सी बहुमूल्य वस्तुएं हमे समुद्र के किनारे से प्राप्त होती हैं
  • जैसे : शंख , सीप , घोंघे |
  •  ज्वार भाटे से तटीय नगरों में गंदगी और प्रदूषण साफ़ हो जाता है |
  • ज्वार भाटे के कारण समुद्री जल गतिमान रहता है
  • जिसके कारण शीत प्रदेशों में पानी जम नहीं पाता | 
  • ज्वार भाटे से विद्युत् निर्माण भी किया जाता है |

महासागरीय धाराओं का गहराई और तापमान के आधार पर वर्गीकरण कीजिए ?

  • महासागरीय धाराएं 
  • महासागरों के एक भाग से दूसरे भाग की ओर विशेष दिशा में जल के निरंतर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं 

महासागरीय धाराओं के प्रकार  

गहराई के आधार पर 

ऊपरी जलधारा - महासागरीय जल का 10% भाग ऊपरी जलधारा के रूप में है ये महासागरो में 400 मीटर की गहराई में मौजूद हैं |

गहरी जलधारा -  महासागरीय जल का 90% भाग गहरी जलधारा के रूप में है , ये जलधाराएं महासागरों के घनत्व एवं गुरुत्व की भिन्नता के कारण बहती हैं |

तापमान के आधार पर 

गर्म जलधारा - 

  • जो धाराएं गर्म क्षेत्रों से ठन्डे क्षेत्रों की ओर चलती हैं उन्हें गर्म धाराएं कहते हैं | 
  • ये भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती हैं | इनके जल का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है | 
  • ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती हैं वहां का तापमान बढ़ा देती हैं | उदाहरण - गल्फ स्ट्रीम  

ठंडी जलधारा -  

  • जो धाराएं ठन्डे क्षेत्रों से गर्म क्षेत्रों की ओर चलती हैं उन्हें ठंडी जलधारा कहते हैं | 
  • ये ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती हैं और इनके जल का तापमान रास्ते में आने वाले जल के तापमान से कम होता है |
  • ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती हैं वहां का तापमान घटा देती हैं |

उदाहरण - लेब्राडोर 

महासागरीय धाराओं के कौन कौन से प्रभाव होते हैं ?

  • महासागरीय धाराओं के कारण अन्य जलवायविक परिवर्तन भी हो सकते हैं जैसे - कोहरा ,आद्रता  |
  • ठंडी और गर्म जलधाराओं के मिलने के स्थान पर प्लैंकटन की बढ़ोतरी होती है जिसके कारण  इन क्षेत्रों में मछलियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं |
  • ये धाराएं अपने आसपास के स्थल क्षेत्रों के तापमान को प्रभावित करती हैं | 
  • ठंडी जलधाराएं स्थल क्षेत्रों के तापमान को कम कर देती हैं |
  • गर्म धाराएं स्थल क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती हैं |

समुद्री तरंग क्या है ? उसकी विशेषताएं बताओ 

  • समुद्री तरंग वास्तव में जल की वह स्थिति होती जिसमे जल एक ही स्थान पर ऊपर नीचे होता रहता है ,
  • परन्तु अपने स्थान को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर नहीं जाता ,
  • केवल ऊर्जा का प्रवाह एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है |
  • इनका आकार जल की गहराई पर निर्भर करता है |

तरंगों की विशेषताएं  

  • तरंग शिखर एवं गर्त  
  • एक तरंग के उच्चतम एवं निम्नतम बिन्दुओं को शिखर और गर्त कहते हैं |
  • तरंग की उंचाई 
  • यह तरंग के गर्त और शिखर की उर्ध्वार्धर दूरी है |

तरंगों की विशेषताएं  

  • तरंग आयाम 
  • यह तरंग की ऊंचाई का आधा भाग होता है |  
  • तरंग काल 
  • तरंग काल एक निश्चित बिंदु से गुजरने वाले दो लगातार तरंग शिखरों या गर्तों के बीच का समय अंतराल है |

तरंगों की विशेषताएं  

  • तरंग दैधर्य 
  • यह लगातार दो शिखरों या गर्तों के बीच की क्षैतिज दूरी है |
  • तरंग की गति
  • जल के माध्यम से तरंग के गति करने की दर को तरंग गति कहते हैं तथा इसे नॉट में मापा जाता है |

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