Class 11th Geography Chapter- 4th Term- 2 ( जलवायु ) Important question Book- 2nd

Class 11th Geography Chapter- 4th Term- 2 ( जलवायु ) Important question Book- 2nd

1- भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए  ?

अक्षांश –  भारत का दक्षिण भाग विषुवत रेखा और कर्क रेखा के बीच में पड़ता है | अतः यहाँ उष्ण कटिबंधीय प्रभाव रहता है जबकि कर्क रेखा से उत्तर का भाग शीतोष्ण कटिबंध में पड़ता है |

पर्वत श्रेणी : -  भारत के उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत श्रेणी उत्तरी ध्रुव की ओर से आने वाली ठंडी हवाओं को भारत में आने से रोकती है , जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु का समताकारी स्वरूप बना रहता है । यही पर्वत श्रृंखला मानसूनी पवनों को रोककर वर्षा करने में सहायक होती है ।

जल एवं स्थल का वितरण : -

भारत के प्रायद्वीपीय भाग एक ओर बंगाल की खाड़ी से एवं दूसरी ओर अरब सागर से घिरा होने के कारण यहाँ की जलवायु को प्रभावित करता है जिसके कारण दक्षिण - पश्चिम हवाओं को आर्द्रता ग्रहण करने में सहायता मिलती है । भारत का उत्तरी भाग स्थल है इसलिये यहाँ तापमान ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक एवं शीत ऋतु में बहुत कम हो जाता है । इसके अतिरिक्त समुद्रतट से दूरी , समुद्रतल से ऊँचाई एवं उच्चावच भी जलवायु को प्रभावित करते हैं ।

2- अन्तः ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (itcz) क्या है ?

अन्तः ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र विषुवत रेखा पर स्थित एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र है । इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें विपरीत दिशा से आकर मिलती हैं परिणामस्वरूप वायु ऊपर उठने लगती है । जुलाई के महीने में आई.टी.सी. जेड़ 20 ° से 25 ° उत्तरी अक्षांश के आस - पास गंगा के मैदान में स्थित हो जाता है । इसे मानसूनी गर्त भी कहते हैं । यह मानसूनी गर्त , उत्तर व उत्तर - पश्चिमी भारत पर तापीय निम्न वायु के विकास को प्रोत्साहित करता है । आई.टी.सी.जेड़ के उत्तर की ओर खिसकने के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक पवनें 40 ° तथा 60 ° पूर्वी देशांतरों के बीच विषुवत वृत को पार कर जाती हैं । कोरियोलिस बल के प्रभाव से विषुवत वृत को पार करने वाली इन व्यापारिक पवनों की दिशा दक्षिण - पश्चिम से उत्तर - पूर्व की ओर हो जाती है । यही दक्षिण - पश्चिम मानसून है । - शीत ऋतु में आई.टी.सी. जेड़ दक्षिण की ओर खिसक जाता है और पवनों की दिशा भी दक्षिण – पश्चिम से बदलकर उत्तर पूर्व हो जाती है , यही उत्तर पूर्व मानसून है । -    

3- जेट - प्रवाह क्या है ? इसके प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए ।

उत्तर- भूपृष्ठ से लगभग 12 किमी की ऊँचाई पर क्षोभमण्डल में क्षैतिज दिशा में तेज गति से चलने वाली वायुधाराओं को जेट प्रवाह कहते हैं । शीत ऋतु में पश्चिमी विक्षोभों को भारत में लाने का काम यही जेट स्ट्रीम करती है । जेट - स्ट्रीम की स्थिति में परिवर्तन के कारण ही ये विक्षोभ भारत में प्रवेश कर पाते हैं । इसी प्रकार पूर्वी जेट - प्रवाह उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को भारत की ओर आकर्षित करता है ।  

4- मानसून विच्छेद क्या है ? इसके कारणों व प्रभावों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर- जब मानसूनी पवने दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक वर्षा करने में असफल रहती है तो वर्षा काल में शुष्क दौर आ जाता है , इसे मानसून विच्छेद कहते हैं ।

इसका कारण या तो उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का कमजोर पड़ना या भारत  में अंत : उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति में परिवर्तन आना है ।

पश्चिमी राजस्थान में तापमान की विलोमता जलवाष्प से लदी हुई वायु को ऊपर उठने से रोकती है और वर्षा नहीं होती है ।

5- संसार में सर्वाधिक वर्षा मॉसिनराम में क्यों होती है ?

उत्तर- मानूसन की बंगाल की खाड़ी की शाखा गंगा के डेल्टा को पार करके मेघालय की गारो , खासी तथा जयन्तिया की पहाड़ियों में पहुँचती है इन पहाड़ियों की आकृति कीप आकार की सी है , जिसमें वायु को एकदम ऊंचा उठना पड़ता है और इससे भारी वर्षा होती है जो अभी तक की सबसे अधिक मानी गई थी परन्तु नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चेरापूंजी के पश्चिम में 16 किमी . की दूरी पर स्थित मॉसिनराम नामक स्थान पर 1221 सेमी . वार्षिक वर्षा रिकार्ड की गई है जो विश्व में सर्वाधिक है ।

6- तमिलनाडु के तटीय प्रदेशों में जोड़े के मौसम में अधिक वर्षा क्यों होती है ?

उत्तर - भारत का पूर्वी तट विशेषतः तमिलनाडु तट दक्षिण - पश्चिम मानूसनू द्वारा वर्षा प्राप्त नहीं करता बल्कि तमिलनाडु के तट बंगाल की खाड़ी की मानूसन शाखा के समान्तर है और अरब सागर की धारा के वृष्टिछाया क्षेत्र में स्थित है । अतः वहां उत्तर - पूर्व से लौटते हुए मानसून से तथा उस समय बन रहे बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों के प्रभाव से शीत ऋतु में वर्षा होती है ।

7- शीत ऋतु में उत्तरी भारत में अधिक ठंड पडनें के मुख्य कारण क्या हैं ?

उत्तर- उत्तरी भारत में अधिक ठंड पडनें के मुख्य तीन कारण है 

( i ) पंजाब , हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य समुद्र के समकारी प्रभाव से दूर होने के कारण महाद्वीपीय जलवायु का अनुभव करते है ।

( ii ) निकटवर्ती हिमालय की श्रेणियों में हिमपात के कारण शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

( iii ) फरवरी के आस - पास कैचवन सागर और तुर्कमेनिस्तान की ठंडी पवनें उत्तरी भारत में शीत लहर कर देती हैं ।

 देश के उतर पश्चिम भागों में पाला व कोहरा भी पड़ता है ।  

8- भारतीय किसान के लिए मानसून एक जुआ है ? प्रमाणित कीजिए । अथवा मानूसन वह धुरी है जिस पर समस्त भारत का जीवन चक्र घूमता है । कथन को प्रमाणित कीजिए ।

उत्तर - भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । भारत की 64 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है । भारत कृषि और फसलें मानूसन पर निर्भर करती है ।

कृषि उपज की सफलता अथवा असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि दक्षिण पश्चिमी मानसून द्वारा की गई वर्षा सामान्य है या नही । वर्षा की उच्च परिवर्तिता के कारण देश के कुछ भागों में सूखा तथा अन्य भागों में बाढ़ का प्रकोप बना रहता है ।

भारतीय कृषि की सफलता मानसूनी वर्षा के निश्चित समय पर तथा नियमित रूप से वितरित होने पर निर्भर करती है । सिंचाई विहीन क्षेत्रों में वर्षा की अनियमितता तथा अनिश्चितता का विशेष प्रभाव वहाँ की कृषि पर पड़ता है ।

मानसून का अचानक विस्फोट देश के व्यापक क्षेत्रों में मृदा अपरदन की समस्या उत्पन्न कर देता 

9- भारत में वर्षा पर्वतकृत है । वर्षा के वितरण पर उच्चावच के प्रभावों को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर- पश्चिमी घाट के कारण पश्चिमी तटीय मैदान में भारी वर्षा : अरब सागर की मानसूनी पवनें पश्चिमी घाट से टकराकर पश्चिमी तटीय मैदान में 250 सेमी . से भी अधिक वर्षा करती है ।

पश्चिमी घाट के वृष्टि छाया क्षेत्रों में कम वर्षा : पश्चिमी घाट को पार करने के बाद यह नीचे उतरती है फलस्वरूप इसका तापमान बढ़ जाता है तथा आर्द्रता में कमी आ जाती है । उससे दक्षिण पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र में बहुत कम वर्षा होती है ।

मेघालय में पर्वतों की बनावट के कारण भारी वर्षा : - बंगाल की खाड़ी की एक शाखा गंगा के डेल्टा को पार करके मेघालय की गारो खासी तथा जयन्तिया की पहाड़ियों से टकराती है । इन पहाड़ियों की आकृति कीप जैसी है जिसके कारण यहां भारी वर्षा होती है ।

अरावली के विस्तार की दिशा के कारण राजस्थान में कम वर्षा : अरब सागर की मानसूनी पवनों की तीसरी शाखा उत्तर - पूर्वी दिशा में अरावली के समान्तर बिना वर्षा किए आगे बढ़ती जाती है । अतः पूरा राजस्थान वर्षा से वंचित रह जाता है ।

मानसूनी पवनों की दिशा पर हिमालय का प्रभाव : - बंगाल की खाड़ी की दूसरी शाखा सीधे हिमालय पर्वत से टकराती है । यह हिमालय पर्वत की ऊंची श्रेणियों को पार करने में असमर्थ होती है तथा पश्चिम की ओर हिमालय पर्वत के समान्तर चलना शुरू कर देती है । ज्यों - ज्यों यह पश्चिम की ओर बढ़ती है , त्यों - त्यों नमी कम होती जाती है ।

10- भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण - पश्चिमी मानसून के आगमन की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिये ।

उत्तर - भारत के उत्तर - पश्चिमी मैदान में मई - जून में तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है जिसके कारण यहाँ निम्न वायुदाब स्थापित हो जाता है । निम्न वायु दाब की ये दशायें हिन्द महासागर में चलने वाली व्यापारिक पवनों को अपनी ओर आकर्षिक करती है ( क्योंकि पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलती है ) ये पवने भूमध्य रेखा के दक्षिण में द . पश्चिमी हो जाती है । महासागर के ऊपर से गुजरने के कारण ये आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं । भारत में प्रवेश के दौरान ये दक्षिणी - पश्चिमी हवायें दो भागों में बंट जाती है ।

ऐसा भारत के प्रायद्वीपी स्वरुप के कारण होता है । ( 1 ) अरब सागर की शाखा । ( 2 ) बंगाल की खाड़ी की शाखा ।

11- कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश कौन से है ?

( 1 ) लघु शुष्क ऋतु का मानसूनी प्रकार ( Amw ) : इस प्रकार की जलवायु पश्चिमी तट के साथ - साथ |

( 2 ) ग्रीष्म ऋतु में शुष्क मानसूनी प्रकार ( As ) इस प्रकार की जलवायु वाले प्रदेश का विस्तार कोरमण्डल तट के साथ - साथ है ।

( 3 ) उष्ण कटिबंधीय सवाना प्रकार की जलवायु ( Aw ) तटवर्ती प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर लगभग पूरे प्रायद्वीपीय भारत में इस प्रकार की जलवायु पाई जाती है ।

( 4 ) अर्द्धशुष्क स्टेपी जलवायु ( BShw ) प्रायद्वीप के अन्दर के भाग में तथा गुजरात , राजस्थान , हरियाणा , पंजाब , जम्मू और कश्मीर के कुछ भागों में पाई के जाती है |

( 5 ) उष्ण मरूस्थलीय प्रकार की जलवायु ( BWhw ) इस प्रकार की जलवायु केवल राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाई जाती है ।

( 6 ) शुष्क शीत ऋतु वाला प्रदेश ( Cwg ) भारत के उत्तरी मैदान के अधिकतर भाग में यह जलवायु पाई जाती है ।

( 7 ) ठण्डी आर्द्र शीत ऋतु वाला प्रदेश ( Dfc ) यह जलवायु पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है ।

( 8 ) ध्रुवीय जलवायु ( E ) इस प्रकार की जलवायु कश्मीर और निकटवर्ती पर्वतीय श्रृंखलाओं में पाई जाती है ।

12- कौन सी गैसें हरित गृह गैसें कहलाती हैं ? उनके प्रभावों का विश्लेषण कीजिए

उत्तर- वे गैसे जो दीर्घ तरंगी विकिरण का ज्यादा अच्छी तरह से अवशोषण करती है हरितगृह गैसें कहलाती हैं । ये गैसे हैं कार्बन डाइआक्साइड , क्लोरो- फ्लोरो- कार्बन , मीथेन , नाइट्रस आक्साइड व ओजान आदि ।

इनके प्रभावः ( i ) भू - मण्डलीय तापन में वृद्धि होना तथा वैश्विक जलवायु में परिवर्तन होना । ( ii ) हिमानियों के पिघलने से समुद्र तल ऊँचा होगा और प्राकृतिक बाढ़ों की संख्या बढ़ जाएगी । ( iii ) जलवायु परिवर्तन से मलेरिया जैसी कीट जन्य बीमारियाँ बढ़ जाएँगी । ( iv ) वर्तमान जलवायु सीमाओं में बदलाव होने से कुछ भाग अधिक जलसक्त तो कुछ भाग शुष्क हो जाएँगे । ( v ) जनसंख्या व परितंत्र में भी बदलाव होंगे

13- एलनिनों क्या है ? इसके क्या परिणाम है ? भारतीय मानसून तंत्र का इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर- ( क ) एलनिनों एक जटिल मौसम तंत्र है , जो हर पांच या दस साल बाद प्रकट होता रहता है । इस के कारण संसार के विभिन्न भागों में सूखा , बाढ़ और मौसम की चरम अवस्थाएं आती है ।

ख) परिणाम ( i ) भूमध्यरेखीय वायुमंडलीय परिसंचरण में विकृति ( ii ) समुद्री जल के वाष्पन में अनियमितता ( iii ) प्लवक की मात्रा में कमी , जिससे समुद्र में मछलियों की संख्या का घट जाना ।

( ग ) एलनिनों और भारतीय मानसून भारत में मानसून की लंबी अवधि के पूर्वानमान के लिए एलनिनो के उपयोग होता है । सन् 1990-1991 में एलनिनो का प्रचंड रूप देखने को मिला था । इस के कारण देश के अधिकतर भागों में मानसून के आगमन में 5 से 12 दिनों की देरी हो गई थी ।

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