कबीर की साखियाँ एवं सबद - Chapter - 9th Class- 9th Hindi -क्षितिज
- मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
- ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में।
- ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में।
- खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में।
- कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में ||
( भावार्थ )
- इन पंक्तियों में कबीर दास जी कहते हैं कि ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं।
- लेकिन अपनी अज्ञानता वश मनुष्य ईश्वर की खोज में जीवन भर भटकता रहता है।
- कभी वह मंदिर जाता है तो कभी मस्जिद पहुंच जाता हैं।
- कभी काबा में तो , कभी कैलाश में ईश्वर को ढूढ़ता रहता हैं।
- और कभी उस ईश्वर को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र मंत्र करता हैं
- या फिर साधु का चोला पहन कर वैराग्य धारण कर लेता हैं।
- और इस प्रकार वह अपना सारा जीवन ईश्वर की खोज में व्यर्थ गंवा देता है।
- लेकिन ये सब बाह्य आडंबर या दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है।
- कबीरदास जी के अनुसार भगवान तो मनुष्य के अंदर उसकी आत्मा में ही बसते हैं।
- वह हर जीव के भीतर ही विध्यमान हैं।
- उनसे मिलने के लिए आपको किसी बाहरी आडंबर की जरूरत नहीं है और न ही कही जाने की।
- अगर मनुष्य सिर्फ अपने अंदर ही झांककर देखे तो , उसे ईश्वर पल भर में मिल जायेंगे।
- यानि सरल शब्दों में इसका अर्थ यह हैं कि ईश्वर कण-कण में निवास करता है।
- उसको ढूढ़ने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं।
- बस आपको सच्चे मन से उसे देखना होता है।
- संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे।
- भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी॥
- हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
- त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा।
- जोग जुगति काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी॥
- आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
- कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनाँ॥
( भावार्थ )
- इन पंक्तियों में कबीरदास जी ने ज्ञान के महत्व को बड़ी सरलता से समझाया है।
- उन्होंने ज्ञान की तुलना आँधी से करते हुए कहा है
- कि जिस प्रकार आंधी आती है तो कच्ची झोपड़ी की सभी दीवारें अपने आप गिर जाती हैं और वह बंधन मुक्त हो जाती हैं।
- उसी प्रकार जब व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है तो उसका मन सारे सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता हैं।
- कबीरदास जी आगे कहते हैं कि झोपड़ी की दीवारें गिरने के बाद जब छत को गिरने से रोकने वाला लकड़ी का टुकड़ा जो खम्भे को जोड़ता है ,
- वह भी टूट जाता है तो छत भी स्वत: ही गिर जाती है। और छत के गिरते ही झोपड़ी के अंदर रखा हुआ सारा सामान नष्ट हो जाता है।
- उसी प्रकार ज्ञान प्राप्त होते ही मनुष्य सभी विकारों लोभ, मोह, लालच, जाति पाँति, स्वार्थ आदि से मुक्त हो जाता है।
- परंतु जिनका घर मजबूत होता है यानि जिनके मन में कोई छल-कपट नहीं होता, उन पर आंधी-तूफान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं।
- अर्थात ज्ञानी व्यक्ति को कोई भी सांसारिक चीज डगमगा नहीं सकती हैं।
- आंधी के बाद जब बरसात होती है तो , वह सारी गंदी चीजें को धोकर साफ कर देती है।
- उसी प्रकार ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद मनुष्य का मन निर्मल हो जाता हैं
- और फिर वह ईश्वर भक्ति में लीन हो जाता हैं।