[ कार्नेलिया का गीत ] - जयशंकर प्रसाद- ( काव्य खण्ड हिंदी ) अंतरा

[ कार्नेलिया का गीत ] - जयशंकर प्रसाद-  ( काव्य खण्ड हिंदी ) अंतरा

( कविता- कार्नेलिया का गीत )

    [ जयशंकर प्रसाद ]

   ( Summary )

  • जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक 'चंद्रगुप्त' से यह कविता ली गई है !
  • कार्नेलिया सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस की बेटी है !
  • इस गीत में कार्नेलिया भारत देश की सुंदरता को देखकर खुश होती है और भारत की विशेषता बताती है !

अरुण यह मधुमय देश हमारा !
जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा l

व्याख्या- 1

  •  भारत देश मिठास और उत्साह से भरा है, यहां के लोगों में मिठास है, और अनजान लोगों को भी भारत अपना सा लगता है, और उन्हें भारत में सहारा मिलता है !

सरस तामरस गर्भ विभा- नाच रही तरु शिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर- मंगल कुमकुम सारा।

व्याख्या- 2

  • इस देश में सूर्योदय का दृश्य बहुत आकर्षक और मनोहर है, सूर्योदय के समय तालाबों में कमल के फूल खेल कर अपनी सुंदरता बिखेरते हैं और सूर्य की किरणें उन पर नाचती सी दिखती है। यहां का सारा जीवन सरल और मनोहर लगता है !
  • भारत की हरियाली से भरी जमीन पर जब सूर्य की किरणें पड़ती है तो ऐसा लगता है जैसे हर और मांगलिक कुमकुम दिख रहा हो !

लघु सूरधनु से पंख पसारे- शीतल मलय समीर सहारे
उड़ते खग जिस और मुंह किए- समझ नीड़ निज प्यारा।

व्याख्या- 3

  • प्रातः काल मलय पर्वत की शीतल पवन का सहारा लेकर, इंद्रधनुष के समान सुंदर पंखों को फैलाकर पक्षी भी जिस और मुंह करके उड़ते हैं वही उनके घोसले हैं अर्थात वे भारत को ही अपना घर मानते हैं !

बरसाती आंखों के बादल- बनते जहां भरे करुणा जल।
लहरें टकराती अनंत की- पाकर जहां किनारा।

व्याख्या- 4

  • जैसे बादल गर्मी से मुरझाए पौधों पर वर्षा कर उन्हें जीवनदान देते हैं, उसी प्रकार भारत के लोग निराश और उदास लोगों को जीवन की प्रेरणा देते हैं और उनकी मदद करते हैं !
  • विशाल समुद्र की लहरें भी भारत से टकराकर शांत हो जाती है, अर्थात दूर से आई लहरों को भी भारत में आकर आराम मिलता है जैसे दूसरे देश से आए लोगों को मिलता है !

हेम कुंभ ले उषा सवेरे- भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊधते रहते जब- जगकर भर तारा।

व्याख्या- 5

  • रात भर के जगे हुए तारे, जैसे ही सुबह होती है वह उंघते दिखाई देते हैं, ऐसा लगता है मानो छुपने की तैयारी में हो,
  • तब उषा ( सुबह) रूपी नायिका, सूर्य रूपी सुनहरे कलश में सुख रूपी जल लेकर आती है। और भारत की धरती पर लड़का देती है !
  • ( प्रातः काल होने पर भारत वासी सुखी और खुशहाल दिखाई देते हैं ) !

( विशेष )

1) इस गीत में भारत देश की सुंदरता का वर्णन किया गया है !
2) इस गीत में संगीतात्मकता है !
3) भाषा सरल है !
4) " लघु स धर्धनु " में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है !
5) उषा और तारों का मानवीकरण किया गया है !

VIDEO WATCH

ANY PROBLEM CLICK HERE

What's Your Reaction?

like
269
dislike
28
love
109
funny
31
angry
18
sad
26
wow
103