[ बसंत आया- रघुवीर सहाय ] - (काव्य खण्ड हिंदी ) अंतरा- व्याख्या
( कविता- बसंत आया व्याख्या- रघुवीर सहाय )
[ Intro ]
1) इस कविता में कवि ने बसंत ऋतु के आगमन के बारे में बताया है !
2) कवि ने बताया है कि मनुष्य का प्रकृति से रिश्ता टूट गया है !
जैसे बहन ' दा ' कहती है
ऐसे किसी बंगले के किसी तरु (अशोक?) पर कोई चिड़िया कुऊकी
चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराए पांव तले
ऊंचे तरुवर से गिरे
बड़े-बड़े पियराय पत्ते
कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो
खिली हुई हवा आई, फिरकी - सी आई, चली गई
ऐसे फुटपाथ पर चलते-चलते-चलते
कल मैंने जाना कि वसंत आया
व्याख्या- 1
- बसंत के आने के बारे में कवि कहता है कि सुबह की सैर करते समय किसी बंगले में लगे अशोक के पेड़ पर बैठी एक चिड़िया के कुकने की आवाज सुनाई देती है !
- कवि कहते हैं यह चिड़िया की आवाज उतनी ही मधुर थी जितनी मधुर एक बहन की आवाज आती है जब वह अपने भाई को ''दा'' कहकर पुकारती है !
- जब कवि सुबह के समय सड़क पर चल रहे थे लाल बजरी के ऊपर तो कवि के पैर के नीचे अचानक से ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से बड़े-बड़े पीले पत्ते आ जाते हैं जिनमें से चूरमुराने की आवाज आती है !
- सुबह 6:00 बजे की हवा में इतनी ताजगी है कि ऐसा लगता है मानो वह हवा अभी-अभी गर्म पानी से नहा कर आई हो !
- यह सुबह की ताजा हवा फिरकी की तरह गोल गोल घूमती हुई सी आई और चली गई,,,,,,,,,,,, ऐसे फुटपाथ पर चलते चलते मैंने जाना बसंत आ गया है !
और यह कैलेंडर से मालूम था
अमुक दिन अमुक बार मदनमहीने की होवेगी पंचमी
दफ्तर में छुट्टी थी-यह था प्रमाण
और कविताएं पढ़ते रहने से यह पता था
कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल
आम बौर आवेंगे
व्याख्या- 2
- कवि कहते हैं बसंत के आने का पता उन्हें कैलेंडर से चल गया था,,,, और जब दफ्तर में उस दिन छुट्टी हुई तो यह प्रमाणित हो गया कि,,,,, हां बसंत आ गया है !
- { बसंत पंचमी के बारे में कवि को जानकारी कैलेंडर से थी }
- कभी अपने जीवन में कविताएं पढ़ते रहते थे,, और उन्होंने कविताओं में यह भी पढ़ा था की जब बसंत ऋतु आती है तो प्रकृति में क्या क्या बदलाव होते हैं !
- जैसे: पलाश के पेड़ पर लाल लाल फूल आएंगे,,,, और बसंत के मौसम में ही आम बोर आते हैं !
रंग-रस-गंध से लदे-फंदे दूर के विदेश के
वे नंदन-वन होवेंगे यशस्वी
मधुमस्त पिक भौंर आदि अपना-अपना कृतित्व
अभ्यास करके दिखावेंगे
यही नहीं जाना था कि आज के नगण्य दिन जानूंगा
जैसे मैंने जाना, कि वसंत आया
व्याख्या- 3
- कवि कहते हैं बसंत के आने पर ना केवल पृथ्वी के बाग बगीचे बल्कि इंद्र के नंदनवन में भी सुगंधित सुंदर-सुंदर फूल खिल जाते हैं !
- बसंत में फूलों का रस पीकर भवर और कोयल अपना अपना प्रदर्शन और सुंदर तरीके से करेंगे !
- कवि कहते हैं कि मुझे नहीं पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब बसंत के आने का पता कैलेंडर देखकर और कार्यालय में छुट्टी होने से चलेगा !
[ विशेष ]
- इस कविता में कवि ने बसंत आगमन का सजीव वर्णन किया है !
- कवि की भाषा बहुत सरल और भावानुरूप है !
- यह कविता छंदमुक्त कविता है !
- इसमें कवि ने अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया है !
- इस कविता में कवि ने मनुष्य और प्रकृति के बीच की बढ़ती दूरियों का वर्णन किया है !