( बालक बच गया )- सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

( बालक बच गया )-  सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर  शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

INTRODUCTION

सुमिरनी के मनके शीर्षक के अंतर्गत गुलेरी जी द्वारा रचित 3 लघु निबंध हैं 
i)बालक बच गया
ii) घड़ी के पुर्जे
iii) ढेले चुन लो
'बालक बच गया' में लेखक ने यह स्पष्ट किया है की बच्चो को उनकी आयु के अनुसार शिक्षा दी जानी
चाहिए, ताकि उनका स्वाभाविक विकास हो सके |

Main characters

बालक
बालक का पिता
बालक के अध्यापक
लेखक

पाठशाला का वार्षिकोत्सव 

लेखक को एक पाठशाला के वार्षिकोत्सव पर आमंत्रित किया गया था, और वहां पर
प्रधान अध्यापक का आठ वर्षीय पुत्र भी वहीं था |
उसकी आँखे सफ़ेद थी, मुंह पीला था और दृष्टि भूमि से उठती नहीं थी |
उस बालक से लगातार प्रश्न पूछे जा रहे थे और वह उन प्रश्नों के रटे रटाये उत्तर डे
दिए जा रहा था |

बालक की योग्यता से ऊपर पूछे गए प्रश्न 

बालक से धर्म के दस लक्षण पूछे गए वह सुना गया
बालक से नौ रसों के उदाहरण पूछे गए वह सुना गया
पानी के 4 डिग्री के नीचे शीतता में फ़ैल जाने का कारण और उससे मछलियों की प्राणरक्षा के बारे में
पुछा गया,,,,, वह सुना गया 
चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक समाधान उसने सुना दिया,
इंग्लैंड के राजा आठवें हेनरी की स्त्रियों के नाम और पेशवाओं का कुर्सीनमा सुना गया,,
उससे पूछा गया की तू क्या करेगा, उसने वही सीखा सिखाया उत्तर दिया की मैं यावज्जीवन लोकसेवा
करूंगा।
पूछा गया
सभी वाह वाह करने लगे और पिता का हृदय उल्लास से भर उठा |

बालक ने ईनाम में क्या माँगा

एक वृद्ध महाशय ने बालक के सिर पर हाथ फेर आशीर्वाद दिया और
कहा की जो तुझे ईनाम में चाहिए वही मिलेगा |
बालक कुछ देर सोचने लगा (उसके पिता और अध्यापक इस चिंता में लगे
थे की यह पढाई का पुतला कौन से पुस्तक ईनाम में मांगेगा )
बालक थोडा सा खांसा और गला साफ़ कर धीरे से बोला “लड्डू
बालक के पिता और अध्यापक निराश हो गए |

लेखक ने सुख की साँस भरी

जब बालक ने ईनाम में लड्डू माँगा तब जाकर लेखक ने सुख की सांस
भरी |
और बालक ने कोई रटा रटाया उत्तर नहीं दिया बल्कि यह उसका
स्वाभाविक उत्तर था, और बालक बच गया था |
इससे पता चला की बालक का बचपना अभी कहीं ना कहीं उसमे जीवित
था।

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