नमक - Class 12th hindi (आरोहl ) Term- 2 Important question

1- नमक कहानी में नमक की पुड़ियां इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है ? कस्टम अधिकारी उसे लौटाते हुए भावुक क्यों हो उठा ?
- नमक कहानी में भारत और पाकिस्तान के बीच आरोपित भेदभाव के बीच मोहब्बत का नमकीन स्वाद व्याप्त है | कहानी में सीमा के दोनों तरफ के विस्थापित पुनर्वास से जनों की मार्मिक व्यथा है | नमक जैसी छोटी सी चीज़ का प्रतिकार तो दोनों तरफ के लोगों के बीच की मोहब्बत को प्रमाणित करता है |
2- साफिया के लिए नमक इतना महत्वपूर्ण क्यों था ? नमक लाने में किन किन का सहयोग मिला ?
- नमक कहानी में मौजूद नमक की पुड़ियां में भारत एवं पाकिस्तान के बीच आरोपित भेदभाव के बावजूद मोहब्बत का नमकीन स्वाद व्याप्त है नमक की पुड़ियां मानवीय भाईचारा एवं प्रेम की प्रतीक बन गई नमक की पुड़ियां का सफर दोनों तरफ के लोगों के बीच की मोहब्बत को प्रमाणित करता है इसी कारण साफिया के लिए नमक इतना महत्वपूर्ण हो गया था नमक लाने में दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों ने अपना पूरा सहयोग दिया भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों ने साफ किया कि सोच का सम्मान किया उन्होंने भाईचारा एवं प्रेम की ऊंची मान्यताओं को बनाए रखने के लिए कानून का उल्लंघन किया पाकिस्तान के कस्टम अधिकारी ने दिल्ली को अपना वतन माना तो भारत के कस्टम अधिकारी ने ढाका को दोनों ओर के लोगों के दिलों में राजनीतिक सीमा अपना अर्थ खो चुकी थी |
3- नमक कहानी से लेखिका के द्वारा दिया गया संदेश स्पष्ट कीजिए |
- कहानी में नमक के बहाने भारत और पाकिस्तान की विभाजन की त्रासदी को जीवित किया है , जिसकी फाँस आज भी उन भारतीयों के मन में है , जो भारत और पाकिस्तान में बँट गए हैं । विभाजन के कारण केवल देश की सीमाएँ ही नहीं , बल्कि परिवार तक बँट गए हैं । परिवार के परिवार इस प्रकार एक - दूसरे से बिछुड़ गए कि उनका मिलना मुश्किल हो गया । विभाजन दोनों धर्मों के लिए केवल पीड़ा ही लेकर आया । लेखिका इस कहानी के बहाने भारत और पाकिस्तान की जनता और अधिकारियों की छुपी हुई भावनाओं को दर्शाती है , जो विभाजन से आज भी खुश नहीं हैं ।
4- जब सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी , तो कस्टम ऑफ़िसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे ?
- कस्टम अधिकारी का हृदय मानवीय भावनाओं से भरपूर था । शायद वह सोच रहा था कि भारत - पाकिस्तान का विभाजन लोगों के दिलों को नहीं बाँट पाया । हमारी संस्कृति , भाषा जब एक थी , तो विभाजन की आवश्यकता ही नहीं थी । कस्टम अधिकारी के अनुसार , भारत - पाक विभाजन ने सीमा के दोनों तरफ के विस्थापितों को राजनीतिक बाधा के कारण अलग तो कर दिया है , किंतु उनके दिल अभी भी जुड़े हैं । यही सब बातें कस्टम अधिकारी सीढ़ी के पास सिर झुकाए सोच रहे थे ।
5- लाहौर अभी तक उनका वतन हैं ' और ' देहली मेरा ' या ' मेरा वतन ढाका है ' , जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ की ओर संकेत करते हैं ?
- भारत में जन्मे लोग आज पुनर्वास के कारण अपने आप को पाकिस्तानी या बांग्लादेशी मानने के लिए बाध्य हैं । दिल्ली में जन्मा कस्टम अधिकारी , ढाका में जन्मा सुनीलदास गुप्त और लाहौर में जन्मी भारतीय सिख बीबी अपने जन्म स्थान को कैसे भूल सकते हैं ? विभाजन की त्रासदी ने उन्हें अपनी जन्मभूमि से अलग अवश्य कर दिया , परंतु उनके मस्तिष्क की स्मृति और भावनाएँ मिटाई नहीं जा सकतीं । व्यक्ति कभी भी अपना वतन छोड़ना नहीं चाहता और न ही वह उसे भूल सकता है । दोनों देशों में एक ही इंसानी दिल के टुकड़े धड़क रहे हैं , जो मिलने को आतुर हैं ।
6- सीमाएँ बँट जाने से दिल नहीं बँट सकते ' , ' नमक ' कहानी में इस बात को किस तरह सिद्ध किया गया है ? अथवा " मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से न देश बँटता है , न जनता " - नमक कहानी के आलोक में प्रतिपादित कीजिए ।
- नमक कहानी भारत - पाकिस्तान विभाजन के बाद सीमा के दोनों तरफ़ के लोगों के दिलों की कहानी है । लोगों को सीमा के आधार पर विभाजित कर देने से लोगों के मन की भावनाएँ विभाजित नहीं हो जातीं । जनसामान्य का लगाव मूल स्थान से बना ही रहता है । पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी तथा भारतीय कस्टम अधिकारी क्रमशः देहली तथा ढाका को आज भी अपना वतन मानते हैं । आरोपित भेदभाव के विपरीत सिख बीबी एवं सफ़िया तथा सफ़िया एवं कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्त के व्यवहार में जो स्नेह एवं सम्मान है , उसके माध्यम से लेखिका यही बताना चाहती है कि जनता इस भेदभाव को नहीं मानना चाहती है । ढाका हो या दिल्ली हो या फिर लाहौर , सब के नाम अलग हो सकते हैं , परंतु वहाँ के रहने वालों के दिलों को नहीं बाँटा जा सकता । अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता नहीं बँट जाती ।
7- नमक की पुड़िया को लेकर सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था ? सफ़िया के भाई ने नमक ले जाने के लिए मना क्यों कर दिया था ? अथवा नमक की पुड़िया ले जाने , न ले जाने के बारे में सफ़िया के मन का द्वंद्व स्पष्ट कीजिए |
- सफ़िया अपनी सहेली की माँ के लिए लाहौरी नमक की पुड़िया ले जाना चाहती थी , परंतु सीमा पार नमक ले जाने पर प्रतिबंध था । उसे विश्वास था कि कस्टम वाले उसे नमक ले जाने देंगे । वह मानवता में आस्था रखती थी , परंतु उसके भाई का कहना था कि उसे नमक की पुड़िया नहीं ले जानी चाहिए अन्यथा कस्टम अधिकारी उसे अपमानित करेंगे । फिर भी प्रारंभ में वह नमक की पुड़िया अपने दोस्त के द्वारा उपहार स्वरूप दी गई कीनुओं की टोकरी में छिपाकर ले जाने का निर्णय करती है , लेकिन उसे लगता है कि इस प्रेम उपहार को उसे चोरी - छिपे नहीं ले जाना चाहिए । इस प्रकार उसके मन में द्वंद्व उभरता है । सफ़िया का भाई स्वयं भी एक पुलिस अधिकारी था । अतः वह जानता था कि पाकिस्तान से नमक भारत ले जाना गैर - कानूनी है । वह सफ़िया से कहता है कि कस्टम अधिकारी एक भी प्रतिबंधित वस्तु को देखते ही उसके सामान की बारीकी से जाँच करेंगे तथा उसका अपमान करेंगे । वह कस्टम अधिकारियों के कठोर व्यवहार से परिचित था । इस आशंका के चलते ही पुलिस में काम करने वाले सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने के लिए मना कर दिया ।
8- भारत पाकिस्तान के वर्तमान संबंधों को देखते हुए नमक कहानी के संदेश की समीक्षा कीजिए |
- नमक कहानी की मूल संवेदना लोगों के दिलों में बसी हुई है |राजनैतिक तथा सत्ता लोलुपता ने मानचित्र पर एक लकीर खींचकर देश को दो भागों में तो बांट दिया है परंतु अंतर्मन का विभाजन नहीं हो पाया राजनैतिक यथार्थ ने देश की पहचान बदल दी है परंतु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया जनता के दिल ना तो आज तक बैठे हैं और ना ही बंटेंगे मानचित्र पर खींची हुई लकीर लोगों के दिलों को नहीं बांट सकती यही नमक कहानी की मूल संवेदना है |
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