( लघु कथा ) शेर, पहचान, चार हाथ और साझा - Class 12th hindi ( Antral ) Term- 2 Important question

( लघु कथा ) शेर, पहचान, चार हाथ और साझा - Class 12th hindi ( Antral )  Term- 2 Important question

1-  शेर के मुहं और रोजगार के दफ्तर के बीच क्या अंतर है ?  

  • शेर का मुहं भयानकता का प्रतीक होता है जबकि रोजगार का दफ्तर नौकरी का प्रतीक होत्र है | शेर के मुहं में जाने से लोग डरते हैं लेकिन रोजर के दफ्तर में लोग ख़ुशी से जाते हैं | शेर के मुहं में जाने से मृत्यु भी हो सकती है लेकिन रोजगार के दफ्तर में लोग काम करते हैं |

 

2- प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास’ कहानी के आधार पर टिप्पणी कीजिए ?  

  • इसका मतलब यह है की जहाँ विश्वास होता है वहां प्रमाण की जरुरत नहीं पड़ती | विश्वास के सामने प्रमाण कुछ भी नहीं है | जैसे शेर में जंगल के जानवर शेर के मुहं पर विश्वास करके उसकी तरफ चले जाते हैं | लेखक के मना करने पर भी वे नहीं मानते और शेर के दफ्तर के कर्मचारी पर इसी बात पर विश्वास करते हैं की उन्हें कोई भी प्रमाण की आवश्कयता नहीं है , इसलिए लेखक के द्वारा रोजगार के दफ्तर का प्रमाण मांगने पर वे कह देते हैं की प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण विश्वास होता है |

3- कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है ?  

  • इस कहानी में लेखक ने शेर को व्यवस्था का प्रतीक बताया है ऐसी व्यवस्था जिसके पेट में जंगल के सभी जानवर किसी न किसी लालच के कारण चले जाते हैं | सत्ता तब तक खामोश रहती है जबतक उसकी आज्ञा का लोग पालन करते रहें आज्ञा का पालन न करने पर वह शेर की तरह खूंखार रूप ले लेती है |

4- खैराती , रामू और छिद्दू ने जब आँखे खोली तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया ?  

  • उन्हें राजा इसलिए दिखाई दिया क्योंकि राजा के सख्त आदेश के कारण उन्हें आँखे बंद किये हुए बहुत समय हो गया था आँखे बंद करते हुए उन्होंने राजा की तस्वीर को देखा था इसलिए आज तक उनकी आँखों में राजा की तस्वीर ही घूम रही थी |

5- राजा ने कौन कौन से हुक्म निकाले ?

  • सब लोग अपनी आंखें बंद रखेंगे ताकि उन्हें शांति मिलती  रहे |
  • सभी लोग अपने अपने कानों में पिघलता हुआ सीसा  डलवा लें क्योंकि सुनना उनके लिए बिल्कुल जरूरी नहीं है |
  • सभी लोग अपने होंठ सिलवा लें क्योंकि बोलना उत्पादन में बाधक है |

6- मजदूरों के चार हाथ लगा देने से मिल मालिक ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला ? 

  • मजदूरों के चार हाथ लगाने के लिए मालिक ने बड़े बड़े वैज्ञानिकों को अच्छी तनख्वाह देकर नौकरी पर रखा कई सालों तक प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा की यह कार्य असंभव है | इसके बाद वह मालिक खुद ही इस काम में लग गया , उसने कटे हुए हाथ मंगवाए और उन्हें मजदूरों में फिट करने लगा पर ऐसा न हो सका फिर उसने लकड़ी के हाथ लगवाना चाहे लेकिन तब भी ये काम नहीं हो सका | अंत में उसने लोहे के हाथ फिट करवा दिए जिसके कारण सभी मजदूर मर गए |

7- चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में क्या बात आई ?

  • चार हाथ लगाने में असफल रहने पर मिल मालिक की समझ में यह बात आई कि यदि एक के स्थान पर दो मजदूर रख ले जाए तो दो की जगह काम करने वाले चार हाथ हो जाएंगे | उसने मजदूरी आदि करके उतनी ही मजदूरी में दो आदमी रख लिए | इस प्रकार पहले जितनी तनख्वाह में काम करने वाले दो की जगह चार हाथ हो गए  |

8- साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को क्या बताया ?  

  • साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया की अगर वो मेरे साथ खेती करेगा तो जंगल का कोई भी जानवर खेती को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा | इससे खेतों की अच्छे से रखवाली होगी | 

 

9- आधी आधी फसल हाथी ने किस तरह से बांटी ?

  • हाथी ने अपनी सूंड से एक गन्ना तोड़ लिया और उसे किसान के साथ मिलकर खाने को कहा गन्ने का एक छोर हाथी ने अपने ,मुहं में रखा था और दूसरा छोर किसान के मुहं में था | धीरे धीरे किसान गन्ने के साथ हाथी की ओर खिंचने लगा तो उसने गन्ने को छोड़ दिया और इस तरह हाथी ने आधी आधी फसल को बांटा |

10- पहचान लघुकथा का प्रतिपाद्य क्या है ?

  • उत्तर : पहचान कथा का प्रतिपाद्य यह है कि राजा को बहरी, गूंगी और अँधी प्रजा पसंद आती है जो बिना कुछ बोले, बिना कुछ देखे उसकी आज्ञा का पालन करती रहे। कहानी में इसी यथार्थ की पहचान कराई गई। प्रगति और विकास के बहाने राजा उत्पादन के सभी साधनों पर अपनी पकड़ मजबूत करता जाता है। वह जनता को एकजुट होने से रोकता है और उन्हें भुलावे में रहता है। यही उसकी सफलता का राज है।

11- 'चार हाथ' कहानी का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ?

  • उत्तर : 'चार हाथ' कथा पूँजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण को उजागर करती है। पूँजीवादी भाँति-भाँति के उपाय कर मजदूरों को पंगु बनाने के नए-नए तरीके ढूँढते हैं और अंततः उसकी अस्मिता को ही समाप्त कर देते हैं। मजदूर विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वे तो मिल के कल-पर्जु बन गए है और लाचारी में आधी मजदूरी पर भी काम करने को विवश हैं। मजदूरों की यह लाचारी शोषण पर आधारित व्यवस्था का पर्दाफाश करती है।

12- 'साझा' कथा का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ?

  • उत्तर : 'साझा' कथा में उद्योगों पर कब्जा जमाने के बाद पूँजीपतियों की नजर किसानों की जमीन और उत्पाद पर जमी है। वह किसान को साझा खेती करने का लालच देता है और उसकी सारी फसल हड़प लेता है। किसान को पता भी नहीं चलता और उसकी सारी कमाई हाथी (पूँजीपति) के पेट में चली जाती है। यह हाथी कोई और नहीं बल्कि समाज का धनाढ्य और प्रभुत्वशाली वर्ग है जो किसानों को धोखे में डालकर उनकी सारी मेहनत डकार जाता है।

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