खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा ( Food Quality And Food Safety ) Home Science Class 12th Chapter- 6th

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा  ( Food Quality And Food Safety ) Home Science Class 12th Chapter- 6th

Introduction

  • किसी भी देश की जनसंख्या के स्वास्थ्य, पोषक स्थिति और उत्पादकता का प्रमुख निर्धारक भोजन ही होता है इसलिए यह जरूरी है कि जो भोजन हम खाते हैं वह पौष्टिक होने के साथ-साथ सुरक्षित भी हो |
  • सुरक्षित भोजन के सेवन से बहुत से खाद्य जनित रोग हो सकते हैं |

खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता संबंधी मूलभूत संकल्पनाएँ ( Basic Concepts Related to Food Quality and Safety )

खाद्य सुरक्षा ( Food Safety )

  • इस प्रक्रिया से, यह सुनिश्चित किया जाता है कि खाद्य पदार्थ उपभोग के लिए सुरक्षित हैं 
  • यानि वह उपभोक्ताओं को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएंगा ।

1. विषैलापन ( Toxicity ) :

  • किसी पदार्थ की विभिन्न परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की क्षति अथवा संकट उत्पन्न करने की क्षमता को उस पदार्थ की विषैलापन कहते है । यहाँ खतरे (hazard) का मतलब उस संभावना से है, कि जब किसी पदार्थ को उसके प्रस्तावित तरीके और मात्रा में इस्तेमाल न किया जाए तो उसके कारण क्षति हो सकती है । 
  • संकट भौतिक, रासायनिक और जैविक
  • (hazard can be physical, chemical or biological )
  • हो सकता है जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।

भौतिक खतरा ( Physical Hazard )

  • भौतिक खतरा ऐसा कोई भी भौतिक पदार्थ हो सकता है , जो प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थी में नहीं पाया जाता हैं, परंतु खाद्य उत्पादन तथा पकाने के दौरान अनजाने में मिल जाते है तथा जिसके उपभोग से रोग उत्पन्न हो सकता है या  नुकसान पहुँच सकता है । 
  • उदाहरण: लकड़ी,  पत्थर, कीट के अंश, बाल, इत्यादि 

रासायनिक खतरा ( Chemical Hazard )

  • रासायनिक खतरा  का तात्पर्य उन रासायनिक हानिकारक पदार्थ से है जो खाद्य पदार्थों में प्राकृति रूप से पाए जाते हैं या उनमें जाने - अनजाने मिला दिए जाते हैं ।
  • उदाहरण :  सभी प्रकार के कीटनाशक, रासायनिक अवशेष, विषैली धातुएँ, पॉलिक्लोरोकृत बाईफिनाइल, परिरक्षक, खाद्य रंग तथा अन्य मिलावटी पदार्थ। 

(जैविक खतरा ( Biological Harard )

  • जेविक खतरे का तात्पर्य उन जीवधारियों या सूक्ष्मजीवी से हैं जो खाद्य पदार्थों में पहले से उपस्थित होते हैं या फिर किसी खास परिस्थिति में उनमें पनपते है ।
  • खाद्य पदार्थों में ऐसे सूक्ष्मजीवों कि उपस्थिति से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं ।
  • ऐसे जीवाणुओं को खाद्य जनित रोगाणु ( pathogen ) भी कहा जाता है । 
  • विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं द्वारा दो प्रकार के खाद्यजनित रोग उत्पन्न होते हैं- 

1. संक्रमण ( infections) 
2. विषाक्तता  (poisoning ) 

खाद्य संक्रमण ( Food Infection ) :

  • खाद्य संक्रमण, खाद्य पदार्थों के साथ रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश करने से उत्पन्न होता है, रोगाणु शरीर में पहुँच कर तेजी से संख्या में वृद्धि करते हैं जिसके कारण रोग उत्पन्न होता हैं । 
  • कई जीवाणु हानिकारक आविष उत्पन्न करते हैं जो जीवाणुओं / रोगाणुओं के नष्ट हो जाने पर भी खाद्य पदार्थों में बने रहते है । आमतौर पर जीवाणु आविष तभी उत्पन्न करते हैं जब खाद्य पदार्थ न तो अधिक गरम होते हैं और न ही अधिक ठंडे ।
  • खाद्यों पदार्थों में उपस्थित आविष को किसी विशेष प्रकार की गंध, दिखावट अथवा स्वाद द्वारा नहीं पहचाना जा सकता । 
  • इसलिए यह जरूरी नहीं कि जो खाद्य पदार्थ चखने तथा सूंघने पर ठीक लगे, वह उपभोग के लिए सुरक्षित ही हों ।
  • उदाहरण के लिए ' स्टैफलोकॉकस आरियस ' (staphylococcus aureus) नामक जीवाणु , यह जीवाणु हवा, तथा जल में पाया जाता है ।
  • कुछ परजीवी भी खाद्यजनित रोगों का कारण हो सकते हैं, जैसे कि- सुअर के माँस में फीताकृमि द्वारा संक्रमण ( worm infestation by tape worm in pork )

खाद्य गुणवत्ता ( Food Quality )

  • वह गुण जो उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों के महत्त्व को प्रभावित करते है ।
  • वह गुण जो उपभोक्ताओं की दृष्टि से सुरक्षित और स्वीकार्य है ।
  • किसी खाद्य पदार्थ की quality का निर्धारण करते समय उसके सकारात्मक गुणों जैसे कि- रंग, सुगंध, बनावट इत्यादि के साथ - साथ उसके नकारात्मक गुणों जैसे कि- सड़ना, संदूषण, अपमिश्रण, खाद्य सुरक्षा खतरे इत्यादि का भी आकलन किया जाता हैं । 
  • सुरक्षा ( safety ),  किसी भी उत्पाद या खाद्य पदार्थ की quality का प्राथमिक और सबसे महत्त्वपूर्ण गुण होता है ।

भारत में खाद्य मानक नियमन ( Food Standards Regulations in India ) 

  • भारत में खाद्य अपमिश्रण (मिलावट)  को रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1954  में, खाद्य अपमिश्रण अधिनियम ( The Prevention of Food Adulteration Act 1954 - PFA . 1954 ) लागू किया ।  
  • नियम में लगभग 200 से अधिक बार संशोधन किया जा चुका है । 
  • भारत में बड़े पैमाने पर बनने वाले अथवा आयात कर भारत में बेचे जाने वाले सभी खाद्य उत्पादों को इस अधिनियम के अंतर्गत वर्णित सभी आवश्यकताओं को पूरा करना अनिवार्य है ।
  • -PFA  के अतिरिक्त, अन्य आदेश अधिनियम भी हैं जो विशिष्ट खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं, जैसे कि :- 

फल और सब्जी उत्पाद आदेश ( Fruit and Vegetable Product Order )

  • यह फल और सब्जी उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दिशा तालिका निर्धारित करता है ।
  • इस आदेश के अंतर्गत सभी प्रकार के मांस संबंधी उत्पादों के संसाधन को लाइसेंस दिया जाता है ।  
  • इस आदेश के अंतर्गत सभी प्रकार के वनस्पति तेलों, मारजरीन तथा चर्बी के लिए निर्देश बनाए गए है : FPO प्रमाणित कुछ वस्तुएँ जैसे कि- जैली, अचार, चटनी, सॉस इत्यादि ।  

खाद्य मानकों, गुणवत्ता, शोध और व्यापार से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और समझौते ( International Organizations and Agreements in the Area of Food Standards, Quality, Research and Trade ) 

कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कमीशन(CAC)

  • एक अंर्तसरकारी संस्था ( Intergovernmental Body ) है, जिसे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को बनाने तथा खाद्य एवं कृषि के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आसान बनाने के लिए स्थापित किया गया है ।
  • वर्ष 2017 में 187 देश इस संस्था के सदस्य थे |
  • भारत भी अपने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से इस संस्था का सदस्य है ।
  • सी.ए.सी. खाद्य मानकों से संबंधित विकास कार्यों के लिए एक मात्र तथा सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ केंद्र बन गया है।
  • इस संस्था के द्वारा प्रकाशित किये जाने वाली ‘खाद्य नियमावली ' को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए गए खाद्य मानकों का एक विश्वसनीय संग्रह माना जाता है । 
  • इस प्रकाशित प्रलेख को कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस के नाम से जाना जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन- आई.एस.ओ. ( International organization for Standardization ISo ) : 

  • विश्व के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मानक  संस्थाओं ( आई.एस.ओ. सदस्य देश ) का अंतर्राष्ट्रीय गैर- सरकारी संघ है ।  
  • इस संगठन का मिशन वस्तुओं ISO के अंतर्राष्ट्रीय विनिमय को आसान बनाने और बुद्धिजीवि, वैज्ञानिक प्रौद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रों में सहयोग विकसित करने के उद्देश्य से विश्व में मानकीकरण और संबंधित गतिविधियों के विकास को प्रोत्साहन देना है ।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा किया गया कार्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के रूप में माना जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित होते है ।
  • ISO  9000 गुणवत्ता आवश्यकताओं का एक ऐसा ही अंतर्राष्ट्रीय संकेत चिह है ।

विश्व व्यापार संगठन- ( World Trade Organization )

  • विश्व व्यापार संगठन की स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी ।
  • इस संगठन का मुख्य उद्देश्य :- 
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के समझौतों को लागू करना
  • किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी विवाद को सुलझाना  
  • अपने सदस्य देशों की व्यापार नीति से संबंधित मुद्दों में सहायता करके व्यापार को सहजतापूर्वक, स्वतंत्रतापूर्वक, निष्कपटतापूर्वक और पूर्वानुमान के साथ चलाने में सहायता करना है ।

खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ ( Food Safety Management Systems ) 

  • खाद्य मानकों को अपनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक मजबूत खाद्य नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता होती है । 

उत्तम निर्माण पद्धतियाँ ( Good Manufacturing Practices  )

  • गुणवत्ता आश्वासन ( Quality assurance ) का एक भाग हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि
  • खाद्य  उत्पाद निर्माता  अपने उत्पादों को उपभोग के लिए सुरक्षित बनाए रखने के लिए  तय मानको का पालन करें।
  • यह पद्धिति अपनाने से मिलावट की संभावना को कम या  पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है 
  • तथा गलत उत्पाद पर गलत लेबलिंग से बचा जा सकता है ।
  • इससे उपभोक्ता Quality को गुमराह होने से बचाया जा सकता हैं । 

उत्तम हस्तन पद्धतियाँ - ( Good Handling Practices  ) 

  • ऐसे व्यापक अभिगम ( Comprehensive Approach ) है जो खेत से दुकान अथवा उपभोक्ता तक पहुँचाने के दौरान खाद्य मिलावट के संभावित स्रोतों की पहचान करता है
  • और यह बताता है कि खाद्य मिलावट के खतरे को कम करने के लिए कौन - कौन से कदम उठाने चाहिए तथा कौन - कौन सी विधियाँ अपनानी चाहिए ।  

संकट विश्लेषणात्मक महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु- ( Hazard Analysis Critical Control Point)  

  • यह खाद्य पदार्थ का उपभोग के लिए सुरक्षित होने का आश्वासन देने का एक साधन है । 
  • खाद्य निर्माण और भंडारण के लिए एक उपागम है, जिसमें किसी खाद्य उत्पाद के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्री ( Raw Material ) तथा निर्माण प्रक्रिया के हर चरण पर  ध्यान दिया जाता है  
  • ताकि रोगजनक सूक्ष्मजीवों या अन्य खाद्य संकटों के विकास में, सामग्री तथा प्रक्रिया के योगदान की क्षमता का आकलन किया जा सके ।
  • इसमें निम्न को सम्मिलित किया जाता है संभावित संकटों की पहचान, कच्ची सामग्री एकत्र करना, निर्माण, वितरण, खाद्य उत्पादों का उपयोग, आहार श्रृंखला के प्रत्येक चरण के समय होने वाले संकटों की संभावनाओं का आकलन और संकटों के नियंत्रण के लिए उपाय बताना ।

खाद्य गुणवत्ता एवं सुरक्षा के क्षेत्र में जीविकाओं के अवसर (scope) 

  • खाद्य उद्योग की गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं में विश्लेषक अथवा प्रबंधक के रूप में कार्य कर सकते है ।
  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं में खाद्य निरीक्षक , खाद्य परीक्षण सहित विभिन्न पदों पर कार्य कर सकते है |
  • एच.ए.सी.सी.पी. में विशेषज्ञ के रूप में कार्य कर सकते है ।
  • लेखा परीक्षका गुणवत्ता प्रमाणीकरण जैसे- आई.एस.ओ. प्राप्त करने के लिए परामर्शदाता के रूप में कार्य कर सकते है ।
  • शिक्षण और शैक्षिक क्षेत्र । 
  • शोधा वैज्ञानिक लेखक ।
  • स्वैच्छिक संगठनों में विभिन्न पदों पर कार्य । 

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