असगर वजाहत- सांझा ( Antra ) गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

असगर वजाहत- सांझा ( Antra )  गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

INTRODUCTION

साझा के माध्यम से लेखक ने उन पूंजीपतियों पर व्यंग्य किया है जिनकी नज़र किसानों की जमीन
तथा जायदाद पर लगी है।
आजादी के बाद किसानो की दयनीय दशा का वर्णन किया गया है।
पूंजीपति किसान की फसल हड़प लेता है (इस कथा में हाथी को पूंजपतियों का प्रतीक बताया गया है )

( किसान का डर )

1- किसान को खेती की हर बारीकी के बारे में मालूम था, लेकिन फिर भी वह इरा
दिए जाने के कारण अकेला खेती कर पाने का सहस नहीं जुटा पाटा था |
2- अब उसे हाथी ने कहा की वह उसके साथ साझे की खेती कर ले , किसान ने
उसको बताया की साझे में उसका कभी गुज़ारा नहीं होता और अकेले वह खेती कर
नहीं सकता।
3- इसलिए वह खेती करेगा ही नहीं, हाथी ने उसे बहुत देर तक पट्टी पढ़ाई और
यह भी कहा की उसके साथ साझे की खेती करने से यह लाभ होगा की जंगल के
छोटे मोटे जानवर खेतों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और खेतों की अच्छे से
रखवाली होगी।

( हाथी की साजिश )

1- किसान किसी न किसी तरह तैयार हो गया और उसने हाथी से मिलकर गन्ना बोया |
2- हाथी पूरे जंगल में घूम कर दुग्गी पीट आया की गन्ने में उसका साझा है कोई
जानवर खेत को नुकसान न पहुंचाए |
3- किसान फसल की सेवा करता रहा और समय पर जब गन्ने तैयार हो गए तो वह
हाथी को खेत पर बुला लाया, किसान चाहता था की फसल आधी आधी बंट जाए
जब उसने हाथी से ऐसा कहा तो हाथी बिगड़ गया |
4- हाथी ने कहा 'अपने पराये की बात न करो, यह छोटी बात है हम दोनों ने
मिलकर मेहनत की है हम दोनों स्वामी हैं।

5- किसान के कुछ, कहने से पहले ही हाथी ने बढ़कर अपने सूंड से एक गन्ना तोड़ लिया
और आदमी से कहा 'आओ खाएं ।'
6- गन्ने का एक हिस्सा हाथी की सूंड में था और दूसरा आदमी के मुहं में गन्ने के साथ
साथ आदमी हाथी के मुहं की तरफ खींचने लगा तो उसने गन्ना छोड़ दिया |
7- हाथी ने कहा 'देखो, हमने एक गन्ना खा लिया है।
8- इस तरह हाथी और किसान के बीच साझे की खेती बंट गयी।

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