वैश्वीकरण- Class 12th CH-6th Political Science - Globalization

वैश्वीकरण- Class 12th CH-6th Political Science - Globalization

वैश्वीकरण का अर्थ क्या है ?

वैश्वीकरण का अर्थ है प्रवाह-
प्रवाह कई तरह का हो सकता है.
1-विचारो का एक हिस्से से दुसरे हिस्से में पहुच जाना.
2-वस्तुओ का एक से अधिक देशो में पहुचना.
3-पूँजी का एक से ज्यादा जगह पर पहुचना.
4-बेहतर आजीविका की तलाश में लोगो की एक देश से दुसरे देश में आवाजाही.

वैश्वीकरण के कारण

1) प्रोद्योगीकी.
2) टेलेफोन, टेलीग्राफ का आविष्कार.
3) मुद्रण तकनीक ( छपाई तकनीक )
वैश्वीकरण एक बहु आयामी अवधारणा है.
इसके राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक परिणाम होते है.

वैश्वीकरण के राजनैतिक परिणाम

सरकार की नीतियों, कार्यो, भूमिका में बदलाव आया है.
उद्योगों में सरकार कम हस्तक्षेप करती है.
अब सरकार कल्याणकारी राज्य की धारणा से हटकर न्यूनतम हस्तक्षेप वाली नीति अपना रही है.
सरकार के पास उच्च तकनीक आ रही है.
जिसके द्वारा सरकारे नागरिको पर नियंत्रण बना रही है.
राज्य अब कुछ कामो तक अपने को सीमित रखता है.
जैसे – कानून औए व्यवस्था बनाना, नागरिको को सुरक्षा देना
राज्य अब भी ताकतवर है.

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव

1) खान–पान में बदलाव.
2) रहन सहन में बदलाव.
3) संस्कृतियों का हास हो रहा है.
4) अमेरिकी संस्कृतियों की तरफ झुकाव बढ़ रहा है.
महिलाओं की स्थिति में कमी तथा सुधार.
विदेशी फिल्मों, त्योहारों, संगीत का रुझान बढ़ रहा है.
रूढ़िवादिता खत्म हो रही है.
विदेशी संस्कृति का प्रसार हुआ है.
लोगों के विचारों में बदलाव आ रहा है.

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव

मुक्त व्यापार बढ़ रहे है .
आयात से प्रतिबन्ध हटाये जा रहे है.
पूंजीवादी देशो को लाभ हो रहा है.
विकसित देश अपनी वीजा नीति कठोर बना रहे है.
निजीकरण और पूँजीवाद को बढ़ावा मिल रहा है.
लाखो लोगो को रोजगार मिल रहा है.
बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है.
बाजार में विभिन्न देशों के उत्पाद आसानी से उपलब्ध है.

भारत और वैश्वीकरण

विश्व में तथा भारत में वैश्वीकरण का इतिहास बहुत पुराना रहा है.
भारत बनी बनाई वस्तुओं का आयातक और कच्चे माल का निर्यातक था.
भारत ने आजादी के बाद से यह फैसला लिया की हम दुसरे देशों पर निर्भरता ख़त्म करेंगे.
भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाई और अपने देश के उत्पादकों को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया.
इससे कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई तो कुछ क्षेत्र डूब गए.
भारत बाकी देशों की तुलना में पिछड़ गया.
1991 में वित्तीय संकट से उबरने के लिए नई आर्थिक नीति अपनाई गई.
व्यापार की बाधाएं खत्म कर दी गई.
जिससे भारत को लाभ हुआ.
इस प्रकार से हम कह सकते हैं.
कि वैश्वीकरण से विकासशील देशों को लाभ हुए हैं.

वैश्वीकरण का विरोध

पूरी दुनिया में वैश्वीकरण की आलोचना हो रही है.
वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों तरह के लोगो ने इसका विरोध किया है.
वामपंथी कहते है – मौजूदा वैश्वीकरण पूँजीवाद की एक ख़ास व्यवस्था है.
यह धनी को धनी और गरीब को और गरीब बना रही है.
राज्य कमजोर हो रहा है.
राज्य अब गरीबों के हितों की रक्षा नहीं कर पाता है.
वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक कहते हैं.
इससे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक प्रभाव पर बुरे पड़ रहे हैं.
1) वैश्वीकरण से बुरे सांस्कृतिक प्रभाव पड़े है.
2) लोग अपनी सदियों पुरानी संस्कृति को खो रहे है.
3) वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलन सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हो रहे है.
4) वैश्वीकरण के विरोध के लिए एक मंच WSF बनाया गया है.
5) इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यवारंवादी, मजदूर, युवा, महिला कार्यकर्त्ता एकजुट हुए है.
( WSF – World Social Forum ).
1) WSF पहली बैठक – 2001 में ब्राजील.
2) WSF चौथी बैठक - 2004 में मुंबई.

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