दो ध्रुवीयता का अंत- Class 12th CH-2nd Political Science [The End of Bipolarity]

दो ध्रुवीयता का अंत- Class 12th CH-2nd Political Science [The End of Bipolarity]

सोवियत संघ का विघटन

सन् 1991 के दिसंबर महीने में.
बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में.
सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्यों ( रूस, युक्रेन, बेलारूस )
नें सोवियत संघ के समाप्त होने की घोषणा की.

सोवियत संघ

रूस में 1917 में एक क्रांति हुई.
यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ थी.
इस क्रांति के बाद सोवियत संघ (USSR) अस्तित्व में आया.
सोवियत संघ 15 गणराज्य को मिलाकर बना था.

1) रूस
2) यूक्रेन
3) जॉर्जिया
4) बेलारूस
5) उज़्बेकिस्तान
6) आर्मेनिया
7) अज़रबैजान
8) कजाकिस्तान
9) किरतिस्थान
10) माल्डोवा
11) तुर्कमेनिस्तान
12) ताजीकिस्तान
13) लताविया
14) लिथुनिया
15) एस्तोनिया

सोवियत संघ की मुख्य विशेषता बताओ ?

1) विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
2) उन्नत संचार प्रणाली
3) विशाल ऊर्जा संसाधन
4) उन्नत घरेलु उपभोक्ता उद्योग
5) आवागमन की अच्छी सुविधाए
6) राज्य का स्वामित्व
7) रोजगार
8) स्वास्थ्य सुविधा

सोवियत संघ की कमियाँ और ? सोवियत संघ का विघटन के कारण ?

1) राजनीतिक आर्थिक संस्थाओ में कमजोरी.
2) संसाधनों का दुरूपयोग.
3) कम्युनिस्ट पार्टी का बुरा शासन.
4) जनता की इच्छा को पूरा करने में सरकार असमर्थ.
5) जनता को गलत जानकरी की सोवुयत संघ विकास कर रहा है.
6) कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओ को विशेष अधिकार.
7) गोर्बाचेव की सुधारो की नीति.

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम

1) शीतयुद्ध की समाप्ति.
2) दुसरी दुनिया का पतन.
3) हथियारों की होड़ की समाप्ति.
4) अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा.
5) नए देशो का उदय.
6) विचारधाराओ की लडाई ख़त्म.
7) शॉक थेरेपी को अपनाया गया.
8) अन्तराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों का महत्त्व बढ़ा.

एकध्रुवीय विश्व

1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा.
अब विश्व में कोई भी देश अमेरिका को टक्कर देने वाला नहीं था.
विश्व में अमेरिकी वर्चस्व स्थापित हुआ.
अमेरिका का वर्चस्व हमें सभी क्षेत्रों में देखने को मिलता है.
जैसे.
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक, सैन्य, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, व्यापार

अफगानिस्तान

Afghanistan.
Afghan + stan.
जनसंख्या वितरण.
पश्तून-42%
ताजिक-27%
हजारा-8%
उज्बेक-9%

भौगोलिक स्थिति.
यहां भूमि उपजाऊ नहीं है.
हिंदूकुष पहाड़ी इलाका.
रेगिस्तानी इलाका.
भूमि.
चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ देश.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की रेखा डूरंड रेखा कहलाती है.

अफगानिस्तान में बड़े बदलाव.

1960 के दशक में राजा जाहिर शाह ने अफगानिस्तान में कुछ सुधार किए.
जैसे.
महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान.
चुनाव प्रक्रिया.
जनता को राजनीतिक अधिकार.
सन् 1973 में जाहिर शाह के परिवार से ही दाऊद खान ने इनका तख्तापलट करके सत्ता हथिया ली.
1978 में इनका भी तख्तापलट हो गया.
वहा की कम्युनिस्ट पार्टी ने शासन चलाया.
PDPA - Peoples Democratic Party Of Afghanistan.
यहां की कम्युनिस्ट पार्टी ने यहां जमीन को लेकर कुछ सुधार करने का प्रयास किया.
जिसका विरोध वहां की आम जनता ने किया.
वहां विरोध और संघर्ष बढ़ने लगे.
ऐसे में P.D.P.A ने सोवियत संघ से मदद मांगी.
PDPA - Peoples Democratic Party Of Afghanistan.

सोवियत संघ ने 1979-89 अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया

सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया। सोवियत संघ की व्यवस्था और भी कमजोर हुई ।
सोवियत संघ ने 24 दिसंबर 1979 में अपनी सेना को अफगानिस्तान में भेजा
1) मुस्लिम देशों ने इसका विरोध किया.
2) अफगानिस्तान के लोगों ने इसका विरोध किया.
3) संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसका विरोध किया.
4) अमेरिका ने इसका विरोध किया.
इतने विरोध होने के बावजूद भी सोवियत संघ नहीं माना.
सोवियत संघ ने अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों को अपने कब्जे में ले लिया.

सोवियत संघ vs जनता

सभी विद्रोही इकट्ठे हो गए इन्होंने इसे धार्मिक युद्ध कहा.
इस जिहाद नाम भी दिया गया सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन कहलाए.
सोवियत संघ के खिलाफ पाकिस्तान, अमेरिका, चीन, सऊदी अरब तथा अन्य मुस्लिम देश
.

गुरिल्ला युद्ध

गुरिल्ला युद्ध एक युद्ध की ऐसी तकनीक है.
जिसमें छिपकर वार किया जाता है.
1985 में सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव मिखाईल गोर्बाचेव बने.
इन्होंने सोवियत संघ में सुधारों की नीति लागू की.
इन्होंने यहां आर्थिक राजनीतिक सुधार की नीति चलाई.
इन्होंने फैसला किया कि सोवियत संघ की सेना को बुलाया जाएगा.
और सोवियत संघ दूसरे देशों में अपनी सेना बेवजह नहीं भेजेगा.
1989 तक सेना वापिस बुला ली गयी.
1989 में बर्लिन की दीवार गिरा दी गई.
कई देश सोवियत संघ से अलग हो चुके थे.
1991 में सोवियत संघ बिखर चुका था
.

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम बताइए ?

अफगान गृह युद्ध 1989-1996.
1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया.
इसके बाद अफगानिस्तान में नजीबुल्लाह की सरकार गिर गई.
उत्तर के क्षेत्र में अहमदशाह मसूद का शासन चला.
तालिबान के हाथ में दक्षिण का इलाका रहा.
5 साल गृह युद्ध के बाद पूरा शासन तालिबान के साथ चला गया.
तालिबान शासन - 1996 से 2001.
तालिबान के नेता - मुल्ला उमर.
इन्होंने 5 साल शासन किया.
शरिया कानून लागू किया .
तालिबान को मान्यता पाकिस्तान ने दी.
अल-क़ायदा-ओसामा-बिन लादेन.
आतंकवादी संगठन.
तालिबान ने इस संगठन को समर्थन किया.
अमरीकी दूतावास में हमला 1998.
9/11 का हमला.

प्रथम खाड़ी युद्ध

1990 में इराक ने कुवैत पर कब्ज़ा कर लिया.
इसे समझाया गया पर यह कब्ज़ा हटाने को नहीं माना.
फिर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बल प्रयोग की अनुमति दी.
ये एक नाटकीय फैसला था क्योकि.
पिछले 45 वर्षो में UNO ने इतना बड़ा फैसला नहीं लिया था.
जोर्ज बुश ने इसे नयी विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी.
इस युद्ध में 34 देशो के 6,60,000 सैनिको ने भाग लिया.
अमेरिकी जनरल नार्मन शवार्जकांव इस सैन्य अभियान के प्रमुख थे.
इसे Operation Desert Strom कहा गया.
इस युद्ध में स्मार्ट बमों का प्रयोग किया गया.
इसे सारी दुनिया में लाइव दिखाया गया.
इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कहा कि यह.
“सौ जंगो की एक जंग” साबित होगी.
इराक यह युद्ध हार गया था.
इससे यह पता लगता है कि अमेरिका की सैन्य क्षमता कितनी मजबूत है.
इस युद्ध का लाइव प्रसारण किया गया.
अमेरिका ने इस युद्ध में मुनाफा कमाया.
क्योंकि अमेरिका ने इस युद्ध में जितनी रकम खर्च की थी.
उससे कहीं ज्यादा अमेरिका को जर्मनी, जापान और सऊदी अरब.
जैसे देशों से मिली.

दूसरी खाड़ी युद्ध

ईराक पर अमेरिका का हमला.
19 मार्च 2003 को अमेरिका ने Operation Iraqi Freedom चलाया.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने हमले की अनुमति नहीं दी थी.
लेकिन फिर भी अमेरिका ने हमला किया इस युद्ध में अमरीका के साथ 40 देश शामिल थे.
अमेरिका ने कहा ईराक खतरनाक जनसंहार के हथियार बना रहा है जबकि ऐसे सबूत ईराक में नहीं मिले.
हमले के उद्देश्य.
1) तेल –भण्डार , संसाधनों पर कब्ज़ा.
2) ईराक में अपनी मनपसंद सरकार बनाना

ईराक पर हमले से अमेरिकी कमजोरी नजर आई ? समझाओ?

अमेरिका अधिक ताकतवर जरूर था.
लेकिन वह इराक में कानून व्यवस्था नहीं स्थापित कर पाया.
इराकी जनता ने विरोध किया.
अमेरिका युद्ध में जीत जरूर गया.
लेकिन वहां राजनीतिक व्यवस्था बनाने में असफल रहा.

स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल

सोवियत संघ के विघटन के बाद.
स्वतंत्र राष्ट्र का राष्ट्रकुल अस्तित्व में आया.
पूर्व सोवियत संघ में 15 देश शामिल थे.
इनमे से कुछ विघटन के बाद इस संगठन में शामिल हुए.
उद्देश्य-
आपसी एकता बनाए रखना.
व्यापार नीतियों को बढ़ावा देना.
एक दूसरे की सहायता करना.
शांति व्यवस्था स्थापित करना.
राष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना.

मोहम्मद बउजिजी-M.d Bouazizi कौन थे ?

मोहम्मद बउजिजी एक गरीब परिवार से थे और उनका जन्म 29 मार्च 1984 को ट्यूनीशिया में हुआ था.
ट्यूनीशिया अफ्रीका महाद्वीप में छोटा सा देश है यह जब 3 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई इन्होंने अपने जीवन में अत्यधिक परिश्रम किया है, यह फल बेचते थे 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था.
इन्होंने टाउन हॉल के पास एक दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ था लेकिन इन्हें अनुमति नहीं मिल रही थी 17 सितंबर को जब यह अपना फल बेचने के लिए उसी जगह पर पहुंचे जहां यह फल बेचते थे लेकिन वहां पर कोई और व्यक्ति अपना सामान बेच रहा था.

ट्यूनीशिया की तानाशाह सरकार

इसके बाद इन्होंने पुलिस से बात करने की कोशिश की लेकिन वहां की पुलिस ने इनके फल और उनका सामान छीन लिया। और इनकी बेज्जती की गई पुलिस के द्वारा और पुलिस ने इन्हें मारा पीटा भी क्योंकि वह तानाशाह सरकार थी इसके बाद इन्हें बहुत धक्का लगा और यह बहुत दुखी हुए.
इसके बाद उन्होंने गुस्से में अपने ऊपर केरोसिन छिड़का और खुद को आग लगाकर आत्मदाह लिया। इनको बचाने की कोशिश की गई पर यह बच नहीं पाए, इनके चचेरे भाई अली ने इस घटना का वीडियो बना लिया।इस घटना की वीडियो और फोटो फेसबुक के जरिए सोशल मीडिया में वायरल हो गए.
ट्यूनीशिया में तानाशाह सरकार थी। वहां का मीडिया सरकार के खिलाफ कुछ भी नहीं दिखा सकता था, वहां लोगों के साथ अत्याचार होते थे, यहां लोगों को इंसाफ नहीं मिलता था। लेकिन इस घटना ने यहां क्रांति ला दी। फोटो दुनिया के विभिन्न देशों में वायरल हो चुके थे.

President- Zine El Abidine Ben Ali

4 जनवरी 2011 को इनकी मृत्यु हो गई।इनके अंतिम संस्कार में हजारों आम लोग शामिल हुए थे। यहां के राष्ट्रपति (Zine El Abidine Ben Ali) थे इंका शासन लगभग 1987 से चल रहा था इनके शासन में बहुत भ्रष्टाचार था.

ट्यूनीशिया में विद्रोह

मोहम्मद बौउजिजी की मृत्यु के बाद ट्यूनीशिया में लोगों ने भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। ट्यूनीशिया की सरकार ने उनके विरोध को दबाने के लिए लोगों पर गोलियां भी चलाने के आदेश दिए, राष्ट्रपति ने यह सोचा कि लोगों को डरा कर उनके प्रदर्शन को रोका जा सकता है.
लेकिन लोगों ने प्रदर्शन को नहीं रोका रोजाना प्रदर्शन में लोगों की संख्या बढ़ने लगी थी बहुत सारे लोगों ने हड़ताल शुरू कर दिया था जनता ने अपने रोजगार पर जाना बंद कर दिया था और सभी लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल होने लगे थे.
ट्यूनीशिया की सरकार ने भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए देश में कर्फ्यू लगा दिया. ट्यूनीशिया में आपातकाल लगाना ही एकमात्र रास्ता बच गया था। बेन अली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
बेन अली का भारी विरोध हुआ ट्यूनीशिया की सेना ने भी बेन अली का साथ नहीं दिया और बेन अली का शासन खत्म हो गया.

अरब स्प्रिंग कहां कहां फैल गया

ट्यूनीशिया के बाद यह विद्रोह अन्य अफ्रिका तथा मध्य एशिया देशों में फैल गया:
1) मोरक्को
2) लीबिया
3) अल्जीरिया
4) जॉर्डन
5) इराक
6) सऊदी अरब
7) ओमान
8) बहरीन
9) इजिप्ट
10) सूडान
11) यमन
12) सीरिया इत्यादि.

अब स्प्रिंग के क्या उद्देश्य है

1) तानाशाही को समाप्त करके लोकतंत्र लाना.
2) मानव अधिकार का हनन रोकना.
3) गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार से जनता निजात पाना.
4) राजतंत्र समाप्त करना.
5) सम्मानपूर्वक जीवन.

अरब स्प्रिंग के परिणाम क्या ?

अरब क्रांति सफल नहीं हुई.
केवल ट्यूनीशिया में लाभ हुआ.
लीबिया और सीरिया तब हो गए.
कुछ देशों में सैनिक शासन मजबूत हुआ.
सऊदी अरब ने स्थिति को संभाला.

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