( ढेले चुनलो )- सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

( ढेले चुनलो )-  सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर  शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary

Introduction

ढेले चुनलो निबंध के माध्यम से लेखक ने लोक विश्वासों में निहित अंधविश्वासों पर चोट की है ।

( दुर्लभ बंधुओं की पेटियों की कथा )

बबुआ हरिश्चन्द्र के नाटक 'दुर्लभ बंधु' में पुरश्री के सामने तीन पेटियां हैं - एक सोने की, दूसरी चांदी की
और तीसरी लोहे की |
लो।
1- तीनो में से एक में उसकी प्रतिमूर्ति है |
2- स्वयंवर के लिए जो आता है उसे कहा जाता है की इनमे से एक को चुन
3- अकड़बाज सोने को चुनता है और उलटे पैर लौटता है |
4- लोभी को चांदी की पिटारी अंगूठा दिखाती है |
5- सच्चा प्रेमी लोहे को छूता है और घुड़दौड़ का पहला इनाम पाता है अर्थात उसकी ही शादी होती है |

( वैदिक काल में हिन्दुओं की लाटरी )


1- ठीक ऐसी ही लाटरी वैदिक काल में हिन्दुओं में चनती थी |
2- यह लाटरी जीवन साथी का चुनाव करने के लिए हुआ
करती थी।
3- इस बाटरी में विवाह का इच्छुक युवक कन्या के पिता के घर जाता था और उसे गाय भेंट करने के
बाद कन्या के सामने कुछ मिट्टी के ढेने रख कर, उनमे से एक ढेना चुनने को कहता था |
4- इन टेनों को कहा से लाया गया था, यह केवन युवक जानता था, कन्या नहीं जानती थी |
5- यदि कन्या युवक की इच्छानुसार ढेने चुन लेती तो युवक उसे अपना जीवनसाथी बना नेता था |

( ढेलों का चुनाव )


1- ढेलों का चुनाव करते समय यह माना जाता था की यदि कन्या वेदी का ढेला उठा ले तो संतान 'वैदिक पंडित' |
2- यदि गोबर चुना तो 'पशुओं का धनी' ।
3- खेती की मिट्टी छू ली तो जमींदार पुत्र होगा |
4-  मसान की मिट्टी को हाथ लगाना सबसे बड़ा अशुभ माना जाता था |
5- परन्तु ऐसा नहीं था की मसान की मिट्टी छूने वाली कन्या का कभी विवाह नहीं होगा, यदि वाही कन्या किसी अन्य
युवक के सामने कोई ढेला उठा ले तो उसका विवाह हो जाता था |
6- ढेलों के आधार पर जीवनसाथी का चयन आज के लोगों को कोरा अन्धविश्वास प्रतीत हो सकता है, परन्तु लेखक का
मानना है की आज भी ज्योतिष गणना, कुंडली तथा गुणों का मिलान के आधार पर विवाह तय किया जाता है |
7- और लेखक इसे अनुचित समझता है |

( लेखक की सोच )

1- लेखक का मानना है की जो हमारे पास आज है उसी पर निर्भर होना अच्छा है बजाए उस चीज़ के जिसकी हमें भविष्य
में मिलने की उम्मीद है।
2- भविष्य अनिश्चित है, पता नहीं वह वस्तु हमें मिले या न मिले |
3- इसलिए भविष्य की अपेक्षा वर्तमान पर विश्वास करना उचित होता है |

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