जनपोषण तथा स्वास्थ्य ( Public Nutrition And Health ) Home Science Class 12th Chapter 3rd

जनपोषण तथा स्वास्थ्य ( Public Nutrition And Health ) Home Science Class 12th Chapter 3rd

Introduction

जन स्वास्थ्य (public health) का तात्पर्य, सभी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा
तथा उसे बढ़ावा देने के लिए समाज द्वारा किए गए समूहिक प्रयास, से है 

कुपोषण (malnutrition)

शरीर की आवश्यकतानुसार उचित तथा निश्चित मात्रा में पोषक तत्व न ग्रहण करना कुपोषण कहलाता है।
‘कु' अर्थात बुरा और कुपोषण अर्थात बुरा पोषण 

कुपोषण के प्रकार

एक निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों से अधिक मात्रा अपने भोजन से प्राप्त करता है
मोटापा (obesity)
( अपर्याप्त पोषण )
अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों से कम मात्रा, अपने भोजन से प्राप्त करता है |
इसके कारण वृद्धि और विकास रुक जाता है |
जिससे अनेक रोग हो सकते है |
( असंतुलित पोषण )
जब व्यक्ति को शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों के होने के स्थान पर
पोषक तत्वों की मात्रा असंतुलित  होती है
तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति का पोषण असंतुलित पोषण कहलाता है । 

जनपोषण तथा स्वास्थ्य  का महत्त्व 

“नागरिको का अच्छा या बुरा पोषण स्तर देश की प्रगति एवं उन्नति को सीधे तौर पर प्रभावित करता है ।”
दुनिया में 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के कम - से - कम 50%  बच्चों की मृत्यु का मुख्य कारण कुपोषण 
भारत में जन्म लेने वाले लगभग 1/3  बच्चे , सामान्य से कम जन्म भार वाले होते हैं 
जन्म के समय उनका भार 2.5 kg से भी कम
इस कमी के साथ जीवन प्रारंभ करने वाले शिशुओं का स्वास्थ्य, वृद्धि एवं विकास की सभी अवस्थाओं में भी निम्न स्तर का ही रहता है ।
भारत में अल्प पोषण तथा अति पोषण दोनों
“कुपोषण का दोहरा भार”
यदि सरकार कुपोषण की समस्या पर नियंत्रण पा लेती है तो भारत के विकास और आर्थिक प्रगति की दर में वृद्धि हो सकती है |
भारत में अल्प पोषण तथा अति पोषण दोनों
“कुपोषण का दोहरा भार”
यदि सरकार कुपोषण की समस्या पर नियंत्रण पा लेती है तो भारत के विकास और आर्थिक प्रगति की दर में वृद्धि हो सकती है |

जन स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी मूलभूत संकल्पनाएँ

( जन स्वास्थ्य पोषण )

अध्ययन का वह क्षेत्र
जिसमें पोषण संबंधी बीमारियों तथा समस्याओं के नियंत्रण द्वारा
अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है । 

(Public Health Nutrition)

मुख्य उद्देश्य – लोगों को स्वस्थ बनाए रखना, 
सामाजिक विज्ञान + जीवविज्ञान की बुनियाद पर आधारित 

( समुदाय )

लोगों के एक ऐसे विशिष्ट समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें कुछ सामान्य विशेषताएँ पाई जाती है
जिनकी एक जैसी भाषा, हो सरकार एक राष्ट्र एक राज्य, एक शहर ), एक जैसी जीवनशैली या फिर एक ही जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ होती है ।

( अल्प पोषण के उत्तरदायी कारक )

1- भोजन की कमीं 
2- माता और शिशु देखभाल सेवाओं का अभाव
3- स्वच्छ जल / स्वच्छता की कमीं 
4- स्वास्थ्य सेवाओं की कमीं 
5- शिक्षा की कमीं  

भारत में पोषण संबंधी समस्याएं 

प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण

इसका  मुख्य कारण आवश्यकता से कम मात्रा में भोजन लेना 
छोटे बच्चे, अधिक आयु वर्ग तथा क्षयरोग , एड्स जैसे रोगों से ग्रस्त व्यक्ति इस समस्या की संभावना सबसे अधिक होती है |
इसके कारण दो प्रकार के रोग हो सकते हैं : 
1. सूखा रोग   2. क्वाशियोरकर 
( सूखा रोग )
अधिकतर 15 महीने के बच्चों में पाया जाता है 
मुख्य कारण -बच्चे का माता का दूध समय से पहले छुड़ा देना
उपरी आहार से मिलने वाले प्रोटीन की मात्रा और पौष्टिकता में कमी
( लक्षण )
कमज़ोर मांसपेशियां 
वज़न में कमीं
बंदर जैसा चहरा / बूढ़े आदमी जैसा   
हड्डियों का ढांचा बूढ़े आदमी की तरह झुर्रियोंदार त्वचा से ढका 
सपाट पेट 
चिडचिडापन 
पेट ख़राब 
पतले दस्त 
रूखे बाल 
शरीर में पानी भरना 
( क्वाशियोरकर )
बच्चे के आहार में कैलोरीज की कमी होने से शरीर में उपस्थित प्रोटीन ऊर्जा देने लगता है
और धीरे - धीरे बच्चा क्याशियोरकर रोग से पीड़ित हो जाता है
( लक्षण )
बच्चे का चेहरा चाँद की तरह गोल सा
शरीर में पानी के ठहराव के कारण सूजन
वसायुक्त यकृत के कारण पेट फूला फूला 
चिड़चिड़ापन होना
भूख न लगना
विकास धीमा होता है 
पेट खराब हो जाता है तथा मल तरल - सा होता है ।  

Micronutrient deficiency- सूक्ष्म पोषकों की कमीं

आहार में ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा की कमी होने से,
सूक्ष्म पोषक तत्वों
जैसे कि :- 
खनिजों और विटामिनों की मात्रा कम होने की पूरी संभावना होती है ।
( Iron Deficiency Anemia )
विश्व का सबसे अधिक सामान्य पोषण संबंधी विकार 
रक्त में लोहे को कमी होने से  हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पाता जिससे  anemia ) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । 
WHO के अनुसार स्त्रिया व बच्चों के रक्त में
होमोग्लोबिन का स्तर 12 Gram Per Decilitre 
( Anemia )
लक्षण :-
शारीरिक थकान
थोड़ा काम करने पर सांस फूलना 
सिरदर्द
सिर चकराना 
कमजोर नज़र 
नींद न आना 
कम भूख 
नाख़ून चम्मचनुमा 
गर्भवती महिलाओं में लोहे की कमी के कारण Pica  की स्थिति हो जाती है 
जिसमें उनका मिट्टी , चूना रेत आदि खाने का दिल करता है ।
( Vitamin A Deficiency )
विटामिन A  का आविष्कार- 1913 ई .
यह हल्के पीले रंग का दानेदार पदार्थ होता है
साधारण ताप पर नष्ट नहीं होता
परन्तु आक्सीकरण तथा सूर्य के प्रकाश में नष्ट हो जाता है । 
पशुजन्य खाद्य पदार्थों मे यह  रेटीनॉल के रूप में
तथा वानस्पतिक खाद्य पदार्थों में यह कैरोटीन में पाया जाता है ।
[ Vitamin A ] कार्य
स्वस्थ नेत्र दृष्टि बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है ।
खून में लाल रक्त -कोशिकाओं का निर्माण करता है ।
शरीर में हामॉन्स का संतुलन बनाए रखने में 
उचित मात्रा में विटामिन – A  के प्रयोग से शरीर की रोग - निरोधक क्षमता में वृद्धि होती है ।
( Night Blindness )- कमीं से हानियाँ
हमारी आँखों में रोडोमिन नामक एक पदार्थ होता है जो विटामिन ए, रेटिनॉल और रोडोप्सिन नामक प्रोटीन से बनता है ।
यही पदार्थ हमें कम प्रकाश में देखने की शक्ति प्रदान करता है ।
विटामिन - ए की कमी होने पर रोडोप्सिन बनने की गति धीमी पड़ जाती है
जिससे व्यक्ति को अंधेरे में ठीक तरह से दिखाई नहीं देता
किसी चीज को देखने में अधिक समय लगता है ।  
( Night Blindness )- Conjunctivitis 
शुष्काक्षिपाक की स्थिति पैदा हो जाती है ।
इसमें अश्रु ग्रन्थियों का कार्य अवरुद्ध हो जाता है तथा स्राव में कमी आ जाती है ।
स्राव  में कमी होने के कारण नेत्र श्लेष्मा सूखी सिकुड़ी व गंदली हो जाती है ।
जिससे की आखों का कॉर्निया ( काला भाग ) सूख जाता है ।
उसमें धुंधलापन आ जाता है ।
अन्त में संक्रमण के कारण उनमें जख्म हो जाते हैं । 
( Bitot Spot )
आख के कॉर्निया वाले भाग के दोनों ओर सफेद या भूरे रंग के बिटॉट् बिन्दु हो जाते हैं
इन बिंदुओं का आँख की दृष्टि के साथ कोई संबंध नहीं होता ।
( Keratomalacia )
आँखों के रोग ( अन्धेपन ) की अन्तिम स्थिति है ।
इसमें कोर्निया के नर्म हो जाने के कारण झिल्ली मुलायम होकर खुलना शुरू हो जाती है ।
जिससे आखे लाल और सूख जाती और धीरे धीरे व्यक्ति को दिखाई देना बन्द हो जाता है ।
( Toad Skins )
शरीर की त्वचा शुष्क, खुरदरी व चितकबरी 
ऐसा स्वेद ग्रंथियो के ठीक से काम न करने के कारण होता है ।
ऐसी स्थिति में विशेषत : पेट, पीठ, गर्दन और कन्धे पर बड़े - बड़े चकत्ते से बन जाते हैं ।
( Iodine Deficiency Disorders)
कम मात्रा में पाया जाने वाला खनिज तत्व 
परंतु यह सामान्य शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा वृद्धि के लिए अनिवार्य
आयोडीन खनिज थाइराइड ग्रन्थि ( Thyroid Gland ) के सुचारू रूप से काम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है 
गर्भावस्था के दौरान इस पोषक तत्व की कमी के कारण
भ्रूण का विकास प्रभावित होता है
जिसके कारण पैदा होने वाले बच्चे में कई प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती है । 
( Iodine )
कार्य :-
आयोडीन थॉयराइड ग्रन्थि से स्रावित होने वाले थॉयारोक्सीन हारमोन का मुख्य अंग 
इस ग्रन्थि की क्रिया इसके हार्मोनों ( Thyroid Stimulating Hormones ) द्वारा नियंत्रित होती है जो पिट्युटरी ग्रन्थि ( Pituitary Gland ) से निकलता है ।
थॉयराइड ग्रन्थि की एपीथीलियल कोशिका में आयोडीन थॉयरोक्सीजन हार्मोन में परिवर्तित हो जाता है । 
शारीरिक, मानसिक विकास 
ऊर्जा उत्पादन में सहायक 
( कमीं से हानियाँ )
बच्चों के शरीर की बढ़ोतरी रुक जाती है, शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है
घेंघा रोग 
आयोडीन के अभाव में थाइरॉक्सिन कम निकलता है ।
गर्भावस्था में आयोडीन की अतिरिक्त मात्रा न मिलने पर माता को गलगण्ड रोग तो होता ही है, साथ ही जन्म के पश्चात् बच्चा बौनेपन से पीड़ित भी हो सकता है ।
हाथ पाँव में सूजन 
ढीला शरीर / सुस्ती 

पोषण समस्याओं का सामना करने के लिए कार्यनीतियाँ

भारत सरकार ने वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पोषण नीति (National nutrition policy -NNP) अपनाई ।
( एन.एन.पी. ) " कुपोषण की चौतरफा समस्या को कम करने और लोगों के लिए स्वास्थ्य की उत्तम स्थिति प्राप्त करने के लिए अंतरक्षेत्रीय नीति ( intersectoral strategy ) का समर्थन करती है । 
( इसके अंतर्गत उपाय :- )
5 वर्ष की आयु समूह के सभी  बच्चों , गर्भवती महिलाओं तथा सभी धात्री माताओं के लिए ( Integrated Child Development Services- ICDS ) की शुरुआत ।
(Mid Day Meal) : योजना केन्द्रीय सरकार द्वारा चलाई गई  जिसके जरिए स्कूल में पढ़ रहे छोटी आयु के बच्चों को पोषक भोजन निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है ।
संवेदनशील वर्गों में सूक्ष्मपोषकों की कमी पर नियंत्रण पाना,
जैसे कि-  बच्चों ,गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं में लौह तत्व विटामिन - ए ,फॉलिक अम्ल और आयोडीन की कमी की पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाना तथा पूरक पोषक तत्वों की गोलियाँ मुफ्त में वितरित करना ।
संवेदनशील वर्गों में सूक्ष्मपोषकों की कमी पर नियंत्रण पाना ,
जैसे कि-  बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं में लौह तत्व विटामिन - ए, फॉलिक अम्ल और आयोडीन की कमी की पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाना तथा पूरक पोषक तत्वों की गोलियाँ मुफ्त में वितरित करना ।
( Diet Or Food Based Strategies )
एक प्रकार की निवारक और व्यापक ( Preventive And Comprehensive ) कार्यनीति
जिसके अंतर्गत पोषण संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए भोजन को एक प्रमुख माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
यह रणनीति सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को रोकने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और उपभोग को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है 
( पोषण आधारित अथवा औषधीय दृष्टिकोण )
इस कार्यनीति के अंतर्गत, उन लोगों को जिनमें किसी सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी की संभावना होती है या कमी होती है, nutrient supplements  दिए जाते हैं ।
भारत में विशेष रूप से विटामिन - ए और लौह तत्वों के लिए उपयोग की जाने वाली एक अल्पावधि कार्यनीति हैं
सबसे प्रमुख समस्या - निर्धारित करना  मुश्किल होता है कि कार्यक्रम में किस सूक्ष्म पोषक तत्व पर विशेष ध्यान दिया जाए या शामिल किया जाए 

विभिन्न पोषण संबंधी कार्यक्रम

एकीकृत बाल विकास सेवाएं
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत आगनवाड़ियों के माध्यमों से निम्न प्रयास किए जाते है :-
0-6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य व जीवन गुणवत्ता में सुधार करना
गर्भवती तथा धात्री माताओं तथा 15-14 वर्ष की महिलाओं को पूरक पोषक
नियमित स्वास्थ्य जाँच
कुपोषण, मृत्यु दर कमी लाना 
बच्चों की सामान्य स्वास्थ्य व आहार संबंधी आवश्यकताओं के बारे में माताओं जानकारी बढ़ाना 
गर्भवती तथा धात्रों माताओं को स्वास्थ्य, पोषण तथा उचित टीकाकरण की जानकारी देना
नियमित स्वास्थ्य जाँच
कुपोषण, मृत्यु दर कमी लाना 
बच्चों की सामान्य स्वास्थ्य व आहार संबंधी आवश्यकताओं के बारे में माताओं जानकारी बढ़ाना 
गर्भवती तथा धात्रों माताओं को स्वास्थ्य, पोषण तथा उचित टीकाकरण की जानकारी देना
किसी विशेष पोषण तत्व की कमी को पूरा करने के लिए तथा लोगों में पोषण संबंधी जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते है ।
उदाहरण - विटामिन - ए की कमी के कारण होने वाले अंधेपन को रोकने के लिए राष्ट्रीय रोग निरोधक कार्यक्रम । 
राष्ट्रीय अरक्तता नियंत्रण कार्यक्रम
आयोडीन हीनता विकार नियंत्रण कार्यक्रम

आहार पूरक कार्यक्रम

आहार पूरक कार्यक्रम - Food Supplementation Programmes  
स्कूली बच्चों की पोषक स्थिति के सुधार करके स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि तथा स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
( एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम )
इसके अन्तर्गत बच्चों की पोषण संबंधी दैनिक आवश्यकताओं के अनुरूप प्रतिदिन पौष्टिक भोजन उपलब्ध करावा जाता है । 
[ कुछ अन्य आहार पूरक कार्यक्रम :- ]
विशेष पोषण कार्यक्रम ( Special Nutrition Programme- SNP ) : स्कूल जाने वाले बच्चों को फोलिक एसिड एवं विटामिन - ए की गोलियां दी जाती है ।  
बालवाड़ी पोषण कार्यक्रम (Balwadi Nutrition Programme BNP ) : मुख्य उद्देश्य 3-5 वर्ष की आय के बच्चों के लिए प्रतिदिन को ऊर्जा की आवश्यकता का एक तिहाई तथा प्रोटीन की आधी आवश्यकता का पूरा करना।
गेहूँ आधारित पोषण कार्यक्रम ( Wheat based Nutrition Programme - WNP ) : इस योजना के लाभार्थी पूर्व विद्यालय आयु के बच्चे गर्भवती तथा धात्री माताएं है ।
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम ( National Nutrition Programme- NNP ) :  2017 में इस मिशन की शुरूआत बच्चों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण स्थिति में सुधार लाना तथा बच्चों एवं माताओं में एनीमिया को कम करने के उद्देश्य से की गई ।

खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम

इसके अंतर्गत कार्यक्रम  :- 
जन वितरण प्रणाली : राशनकार्ड के जरिए सस्ते दामों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना ।  
अन्तयोदय अन्न योजना : गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 2-3 रुपए किलो की दर से राशन उपलब्ध करवाना । 
अन्नपूर्ण योजना: में गरीबी रेखा में नीचे रहने वाले वरिष्ठ नागरिक जो वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं ले पाते ,
उन्हें अत्यन्त रियायती दरो पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना । 

Health care- स्वास्थ्य देखभाल

स्वास्थ्य एक मूलभूत मानव अधिकार है ।
हर सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को समुचित स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराए । 
( भारत में स्वास्थ्य सेवाएं  )
प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ ( Primary Health Services ) : यह सेवा सरकार द्वारा लगभग सभी गाँवों तथा जिलों में उपलब्ध करवाई जाती है |
जहाँ पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध डॉक्टरों लोगों से निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच एवं सामान्य बीमारियों का इलाज 
( Specialized Health Services) :- रोगी को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा जिला अस्पतालों से विशिष्ट विशेषज्ञयों द्वारा जाँच , इलाज तथा देखरेख को शामिल किया गया है ।
 इस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत गम्भीर रोगों की जांच के लिए ( MRI ) , ( Cat scanning ) आदि के लिए बड़े शहरों में सरकारी अस्पतालों में जाँच / इलाज के लिए रोगी को भेजा जाता है।
माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाएँ ( Secondary Health Services ) : कुछ रोग ऐसे होते है जिनके लिए रोगी को विशेष जाँच कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है । 
ऐसी स्थिति में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्ध डॉक्टर रोगी को बड़े अस्पताल में जाने की सलाह देते है जहां पर उसके इलाज के लिए सभी सुविधाएं एवं विशेष डॉक्टर उपलब्ध होते हैं । 

Scope- कार्य क्षेत्र 

जन / सामुदायिक पोषण विशेषज्ञ निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं :
वह सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी विकासात्मक कार्यक्रमों में काम कर सकते है ।
वह विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे कि- UNICEF OXFAM,  DFID,  FAO, WHO, USAID इत्यादि में भी कार्य कर सकते है 
जन / सामुदायिक पोषण विशेषज्ञ अपनी शैक्षिक योग्यताओं और विशेषज्ञता के आधार पर राष्ट्रीय समेकित बाल विकास सेवाओं ( ICDS ) में विभिन्न स्तरों पर कार्य कर सकते है ।
सरकारी स्तर पर परामर्शदाता या सलाहकार के रूप में अथवा नीति निर्धारण समितियों में भी कार्य कर सकते है ।
विभिन्न अस्पतालों द्वारा रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य तथा शिक्षा के लिए किए जाने वाले विस्तारित कार्यक्रमों में विभिन्न स्तरों पर कार्य कर सकते है 

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