Class 11th Geography Chapter- 10th Term- 2 ( वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियां ) Important question

Class 11th Geography Chapter- 10th Term- 2 ( वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियां ) Important question

1- पवनों  के प्रकारों का वर्णन कीजिए ?

पवनें  तीन प्रकार की होती है 

1) भूमंडलीय पवनें – पृथ्वी के विस्तृत क्षेत्र पर एक ही दिशा में वर्षभर चलने वाली पवनों को भूमंडलीय पवनें  कहते हैं | ये पवनें  एक उच्च वायुदाब  से दूसरे निम्न वायुदाब कटिबन्ध की ओर नियमित रूप से चलती है |

  • व्यापारिक पवनें 
  • पछुआ पवनें 
  • ध्रुवीय पवनें 

2) मौसमी पवनें - जिन पवनों की दिशा मौसम या समय के अनुसार बिल्कुल उलट जाती है उन्हें मौसमी पवनें कहते हैं |

3) स्थानीय पवनें – ये पवनी भूतल के गर्म व ठंडा होने की भिन्नता से पैदा होती है | ये स्थानीय रूप से सीमित क्षेत्र को प्रभावित करती है |

2- बहिरुष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय चक्रवात से किस प्रकार भिन्न है ?

1. बहिरुष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में स्पष्ट वाताग्र प्रणालियाँ होती है , जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में नहीं होती |

2. बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात विस्तृत क्षेत्रफल पर फैले होते है तथा इनकी उत्पत्ति व स्थल दोनों पर होती है , जबकि उष्ण कटिबंधीय चक्रवात केवल समुद्रों में उत्पन्न होते है ।

3. बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की अपेक्षा विस्तृत क्षेत्र को प्रभावित करते है । 

4. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में पवनों का वेग अपेक्षाकृत तीव्र होता है और ये विनाशकारी होते है ।

5. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात पूर्व से पश्चिम को चलते है जबकि बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते है ।

3- वाताग्र किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?

जब दो अलग अलग प्रकार की वायु राशियाँ मीलती है तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं |

वाताग्र चार प्रकार के होते हैं |

  1. शीत वाताग्र 
  2. ऊष्ण  वाताग्र 
  3. अचर वाताग्र 
  4. अधिविष्ट वाताग्र 

शीत वाताग्र 

  • जब शीतल व भारी वायु आक्रामक रूप में ऊष्ण  वायुराशियों के ऊपर धकेलती है इस संपर्क क्षेत्र को शीत वाताग्र कहते हैं |

ऊष्ण वाताग्र

  • यदि गर्म वयुराशियाँ आक्रामक रूप में ठंडी वयुराशियों के ऊपर चढ़ती है तो इस संपर्क क्षेत्र को ऊष्ण वाताग्र कहते हैं |

अधिविष्ट  वाताग्र 

  • यदि एक वायुराशी पूर्णत: धरातल के ऊपर उठ जाए तो ऐसे वाताग्र को अधिविष्ट वाताग्र कहते हैं |

अचर  वाताग्र

  • जब वाताग्र स्थिर हो जाए तो इन्हें अचर वाताग्र कहा जाता है |
  • (अर्थात ऐसे वाताग्र जब कोई भी वायु ऊपर नहीं उठती )

4- वयुराशियाँ कितने प्रकार की होती हैं ? इनके उद्गम क्षेत्रों का वर्णन कीजिए |

वायुराशियाँ पाँच प्रकार की होती है :-                 उद्गम क्षेत्र

i) उष्णकटिबंधीय महासागरीय वायुराशि (mT)       महासागर

ii) उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय वायुराशि  (CT)        महाद्वीप

iii) ध्रुवीय महासागरीय वायुराशि           (MP)        ध्रुवीय महासागर

iv) ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि             (CP)        ध्रुवीय महाद्वीप

v) महाद्वीपीय आर्कटिक वायुराशि        (CA)        आर्कटिक महाद्वीप

5- उष्णकटिबंधीय वायुराशियाँ गर्म होती हैं तथा धुवीय वायुराशियाँ ठंडी होती हैं | वायुराशियों के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित हैं :-

ii) उष्ण व उपोष्ण कटिबंधीय महासागर                                                   उष्ण महासागर

ii) उपोष्ण कटिबंधीय उष्ण मरुस्थल                                                        उष्ण मरूस्थल

iii) उच्च अक्षांशीय अपेक्षाकृत ठंडे महासागर                                            ठंडे महासागर

iv) उच्च अक्षांशीय अति शीत बर्फ आच्छादित महाद्वीपीय क्षेत्र                      बर्फीला महाद्वीप

v) स्थाई रुप से बर्फ आच्छादित महाद्वीप, अंटार्कटिका तथा                        अंटार्कटिका तथा आर्कटिक

आर्कटिक                                                                                         

6- वायुदाब के क्षैतिज वितरण के विश्व प्रतिरूप का वर्णन कीजिए ?

  • वायुमण्डलीय दाब के अक्षांशीय वितरण को वायुदाब का क्षैतिज वितरण कहते हैं ।
  • विभिन्न अक्षांशों पर तापमान में अन्तर तथा पृथ्वी के घूर्णन के प्रभाव से पृथ्वी पर वायुदाब के सात कटिबन्ध बनते हैं ।
  • जो इस प्रकार हैं -

1- विषुवतीय निम्न वायुदाब कटिबन्ध

  • इस कटिबंध का विस्तार 5 ° उत्तर और 5 ° दक्षिण अक्षांशों के मध्य हैं ।
  • इस कटिबंध में सूर्य की किरणें साल भर सीधी पड़ती हैं अत यहाँ की वायु हमेशा गर्म होकर ऊपर रहती है ।
  • इस कटिबन्ध में पवनें नहीं चलती ।
  • केवल ऊर्ध्वाधार ( लम्बवत् ) संवहनीय वायुधाराएं ही ऊपर की ओर उठती है ।
  • अतः यह कटिबंध पवन - विहीन शान्त प्रदेश बना रहता है ।
  • इसलिए इसे ' शान्त कटिबन्ध ' या ' डोलड्रम ' कहते ।

2- उपोषण उच्च वायु दाब कटिबन्ध

  • यह कटिबन्ध उत्तरी और दक्षिणी दोनों ही गोलार्थों में 30 ° से 35 ° अक्षांशों के मध्य फैला है ।
  • इस कटिबन्ध में वायु लगभग शांत एवं शुष्क होती है ।
  • आकाश स्वच्छ मेघ रहित होता है ।
  • संसार के सभी गरम मरूस्थल इसी कटिबन्ध में महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में स्थित हैं क्योंकि पवनों की दिशा भूमि से समुद्र की ओर ( Off shore ) होती है ।
  • अतः ये पवनें शुष्क होती है ।

3- उपध्रुवीय निम्न वायुदाब कटिबन्ध

  • इस कटिबन्ध का विस्तार उत्तरी व दक्षिणी दोनों गोलार्द्ध में 60 ° से 65 ° अक्षांशों के मध्य है ।
  • इस कटिबन्ध में विशेष रूप से शीतऋतु में अवदाब ( चक्रवात ) आते हैं ।

4- ध्रुवीय उच्च वायु दाब कटिबन्ध 

  • इनका विस्तार उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों ( 90 ° उत्तर तथा दक्षिण ध्रुवों ) के निकटवर्ती क्षेत्र में है । तापमान यहाँ स्थायी रूप से बहुत कम रहता है ।
  • अतः धरातल सदैव हिमाच्छादित रहता है । 

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