Class 12th History Chapter 9th ( Term- 2 ) शासक और इतिवृत्त- Important Questions

Class 12th History Chapter 9th ( Term- 2 ) शासक और इतिवृत्त- Important Questions

मुगल साम्राज्य की स्थापना कब और किसने की थी ?

  • मुगल साम्राज्य की स्थापना जहीरूद्दीन बाबर द्वारा की गई थी
  • 21 अप्रैल 1526 को बाबर और दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ 
  • इसके बाद मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई

झरोखा दर्शन की प्रथा के बारे में बताइए ?

  • बादशाह अपने दिन की शुरुआत सूर्योदय के समय कुछ व्यक्तिगत धार्मिक प्रार्थनाओं से करता था 
  • इसके बाद वे पूर्व की ओर मुंह की एक छोटे छज्जे अर्थात झरोखे में आता था 
  • इसके नीचे लोगों की भीड़ ( सैनिक, व्यापारी, शिल्पकार, किसान, बीमार बच्चों के साथ औरतें ) बादशाह की एक झलक पाने के लिए इंतजार करती थी 
  • अकबर द्वारा शुरू की गई झरोखा दर्शन की प्रथा का उद्देश्य जन विश्वास के रूप में शाही सत्ता की स्वीकृति को और विस्तार देना था 
  • झरोखे में एक घंटा बिताने के बाद बादशाह अपनी सरकार के प्राथमिक कार्यों के संचालन हेतु सार्वजनिक सभा भवन ( दीवाने आम ) में आता था 
  • वहां राज्य के अधिकारी रिपोर्ट प्रस्तुत करते तथा निवेदन करते थे

अकबर ने 1563 और 1564 में कौन से कर समाप्त किए थे ?

  • 1563 में तीर्थ यात्रा कर 
  • 1564 में जजिया कर

एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना कब और किसने की ? इसका महत्वपूर्ण कार्य का वर्णन कीजिए ?

  • एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना 1784 में सर विलियम जोन्स द्वारा की गई थी 
  • स्थापना के उद्देश्य –
  • औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने अपने साम्राज्य के लोगों और उनकी संस्कृतियों को बेहतर तरीके से समझने के लिए 
  • भारतीय इतिहास का अध्ययन किया
  • 1784 में सर विलियम जोन्स द्वारा स्थापित  एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल ने कई भारतीय पांडुलिपियों के संपादन, प्रकाशन तथा उसके अनुवाद का कार्य किया 
  • अकबरनामा और बाबरनामा के संपादित पाठांतर भी सबसे पहले एशियाटिक सोसाइटी द्वारा ही प्रकाशित किए गए
  • 1784 में सर विलियम जोन्स द्वारा स्थापित  एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल ने कई भारतीय पांडुलिपियों के संपादन, प्रकाशन तथा उसके अनुवाद का कार्य किया 
  • अकबरनामा और बाबरनामा के संपादित पाठांतर भी सबसे पहले एशियाटिक सोसाइटी द्वारा ही प्रकाशित किए गए

'हरम' शब्द का अर्थ क्या है ?

  • 'हरम' शब्द का प्रयोग प्रायः मुगलों की घरेलू दुनिया की ओर संकेत करने के लिए होता है। 
  • यह शब्द फारसी से निकला है जिसका तात्पर्य है “ पवित्र स्थान ” । 
  • मुगल परिवार में बादशाह की पत्नियाँ और उपपत्नियाँ, उसके नज़दीकी और दूर के रिश्तेदार ( माता, सौतेली व उपमाताएँ, बहन, पुत्री, बहू, चाची-मौसी, बच्चे आदि ) व महिला परिचारिकाएँ तथा गुलाम होते थे। 
  • बहुविवाह प्रथा भारतीय उपमहाद्वीप में विशेषकर शासक वर्गों में व्यापक रूप से प्रचलित थी।

सफावियों और मुगलों के बीच झगड़े की मुख्य जड़ क्या थी ?

  • मुगल राजाओं तथा ईरान व तूरान के पड़ोसी देशों के राजनीतिक व राजनयिक रिश्ते अफगानिस्तान को ईरान व मध्य एशिया के क्षेत्रों से पृथक करने वाले हिंदूकुश पर्वतों द्वारा निर्धारित सीमा के नियंत्रण पर निर्भर करते थे। 
  • भारतीय उपमहाद्वीप में आने को इच्छुक सभी विजेताओं को उत्तर भारत तक पहुँचने के लिए हिंदूकुश को पार करना होता था। 
  • मुगल नीति का यह निरंतर प्रयास रहा कि सामरिक महत्त्व की चौकियों विशेषकर काबुल व कंधार पर नियंत्रण के द्वारा इस संभावित खतरे से बचाव किया जा सके ।
  • कंधार सफ़ावियों और मुगलों के बीच झगड़े की जड़ था। 
  • यह किला-नगर आरंभ में हुमायूँ के अधिकार में था 
  • जिसे 1595 में अकबर द्वारा पुनः जीत लिया गया। 
  • यद्यपि सफावी दरबार ने मुगलों के साथ अपने राजनयिक संबंध बनाए रखे तथापि कंधार पर यह दावा करता रहा। 
  • 1613 में जहाँगीर ने शाह अब्बास के दरबार में कंधार को मुगल अधिकार में रहने देने की वकालत करने के लिए एक राजनयिक दूत भेजा 
  • लेकिन यह शिष्टमंडल अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुआ। 
  • 1622 की शीत ऋतु में एक फारसी सेना ने कंधार पर घेरा डाल दिया। 
  • मुगल रक्षक सेना पूरी तरह से तैयार नहीं थी। अतः वह पराजित हुई और उसे किला तथा नगर सफ़ावियों को सौंपने पड़े।

ऐसे अवसर बताइए जब मुग़ल दरबार को सजाया जाता था ?

  • सिंहासनारोहण की वर्षगाँठ, ईद, शब- ए- बारात तथा होली जैसे कुछ विशिष्ट अवसरों पर दरबार का माहौल जीवंत हो उठता था। 
  • सजे हुए डिब्बों में रखी सुगंधित मोमबत्तियाँ और महल की दीवारों पर लटक रहे रंग- बिरंगे बंदनवार आने वालों पर आश्चर्यजनक प्रभाव छोड़ते थे 
  • मुगल शासक वर्ष में तीन मुख्य त्यौहार मनाया करते थे : 
  • सूर्यवर्ष और चंद्रवर्ष के अनुसार शासक का जन्मदिन और वसंतागमन पर फारसी नववर्ष नौरोज 

मुग़ल अभिजात वर्ग में कौन - कौन से लोग शामिल थे ?

(i) मुगल राज्य का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ इसके अधिकारियों का दल था जिसे इतिहासकार सामूहिक रूप से अभिजात- वर्ग भी कहते हैं। अभिजात-वर्ग में भर्ती विभिन्न नृ-जातीय तथा धार्मिक समूहों से होती थी। इससे यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके

(ii) मुगलों के अधिकारी- वर्ग को गुलदस्ते के रूप में वर्णित किया जाता था जो वफ़ादारी से बादशाह के साथ जुड़े हुए थे। साम्राज्य के निर्माण के आरंभिक चरण से ही तूरानी और ईरानी अभिजात अकबर की शाही सेवा में उपस्थित थे। इनमें से कुछ हुमायूँ के साथ भारत चले आए थे। कुछ अन्य बाद में मुगल दरबार में आए थे।

(iii) 1560 से आगे भारतीय मूल के दो शासकीय समूहों - राजपूतों व भारतीय मुसलमानों ने शाही सेवा में प्रवेश किया। इनमें नियुक्त होने वाला प्रथम व्यक्ति एक राजपूत मुखिया अंबेर का राजा भारमल कछवाहा था जिसकी पुत्री से अकबर का विवाह हुआ था।

(iv) शिक्षा और लेखाशास्त्रा की ओर झुकाव वाले हिंदू जातियों के सदस्यों को भी पदोन्नत किया जाता था। इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल का है जो खत्री जाति का था।

(v) जहाँगीर के शासन में ईरानियों को उच्च पद प्राप्त हुए। जहाँगीर की राजनीतिक रूप से प्रभावशाली रानी नूरजहाँ (1645) ईरानी थी।

(vi) औरंगज़ेब ने राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया। फिर भी शासन में अधिकारियों के समूह में मराठे अच्छी खासी संख्या में थे।

अबुल फ़ज़ल ने भूमि राजस्व को ' राज्य का पारिश्रमिक ' क्यों बताया है ? स्पष्ट कीजिए ?

(i) राजा द्वारा अपनी प्रजा को सुरक्षा प्रदान करने के बदले की गई माँग।

(ii) बादशाह अपनी प्रजा के चार सत्वों की रक्षा करता है - जीवन, मान, सम्मान और विश्वास

(iii) इसके बदले में वह आज्ञापालन तथा संसाधनों में हिस्से की मांग करता है।

'सुलह-ए-कुल ' की नीति क्या थी ? यह मुगल काल की जरूरत थी | इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए |

  • अकबर की धार्मिक नीति 
  • मुगल साम्राज्य में विभिन्न धर्म को मानने वाले धार्मिक समूह रहते थे 
  • जैसे - हिंदू, जैन, जरतुश, मुसलमान इत्यादि
  • सभी तरह की शांति और स्थायित्व के स्रोत रूप में बादशाह सभी धार्मिक और न्रिजातीय समूहों से ऊपर होता था
  • सुलह ए कुल ( पूर्ण शांति ) के तहत सभी धर्मों और मतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता थी

मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गयी भूमिका का मूल्यांकन कीजिए |

(i) मुगल परिवार में शाही परिवारों से आने वाली स्त्रिायों (बेगमों) और अन्य स्त्रियों (अगहा ), जिनका जन्म कुलीन परिवार में नहीं हुआ था, में अंतर रखा जाता था। दहेज (मेहर ) के रूप में अच्छा- खासा नकद और बहुमूल्य वस्तुएँ लेने के बाद विवाह करके आई बेगमों को अपने पतियों से स्वाभाविक रूप से अगहाओं की तुलना में अधिक ऊँचा दर्जा और सम्मान मिलता था।

(ii) राजतंत्र से जुड़े महिलाओं के पदानुक्रम में उपत्नियों (अगाचा ) की स्थिति सबसे निम्न थी। इन सभी को नकद मासिक भत्ता तथा अपने- अपने दर्जे के हिसाब से उपहार मिलते थे।

(iii) वंश आधारित पारिवारिक ढाँचा पूरी तरह स्थायी नहीं था। यदि पति की इच्छा हो और उसके पास पहले से ही चार  पत्नियाँ न हों तो अगहा और अगाचा भी बेगम की स्थिति पा सकती थीं।

(iv) पत्नियों के अतिरिक्त मुगल परिवार में अनेक महिला तथा पुरुष गुलाम होते थे। वे साधारण से साधारण कार्य से लेकर कौशल, निपुणता तथा बुद्धिमता के अलग-अलग कार्यों का संपादन करते थे। गुलाम हिजड़े (ख्वाजासर ) परिवार के अंदर और बाहर के जीवन में रक्षक, नौकर और व्यापार में दिलचस्पी लेने वाली महिलाओं के एजेंट होते थे।

(v) नूरजहाँ के बाद मुगल रानियों और राजकुमारियों ने महत्त्वपूर्ण वित्तीय स्त्रोतों पर नियंत्रण रखना शुरू कर दिया। शाहजहाँ की पुत्रियों, जहाँआरा और रोशनआरा, को ऊँचे शाही मनसबदारों के समान वार्षिक आय होती थी।

(vi) इसके अतिरिक्त जहाँआरा को सूरत के बंदरगाह नगर जो कि विदेशी व्यापार का एक लाभप्रद केंद्र था, से राजस्व प्राप्त होता था।

(vii) संसाधनों पर नियंत्रण ने मुगल परिवार की महत्त्वपूर्ण स्त्रियों को इमारतों व बागों के निर्माण का अधिकार दे दिया। जहाँआरा ने शाहजहाँ की नयी राजधानी शाहजहाँनाबाद (दिल्ली) की कई वास्तुकलात्मक परियोजनाओं में हिस्सा लिया। इनमें से आँगन व बाग के साथ एक दोमंजिली भव्य कारवाँसराय थी। शाहजहाँनाबाद के हृदय स्थल चाँदनी चौक की रूपरेखा जहाँआरा द्वारा बनाई गई थी।

हुमायूँनामा किसके द्वारा लिखी गयी थी इसमें किसका वर्णन किया गया है  ?

  • हुमायूँनामा गुलबदन बेगम द्वारा लिखी गई थी 
  • यह एक रोचक पुस्तक है इससे हमें मुगलों की घरेलू दुनिया की एक झलक मिलती है। 
  • गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री, हुमायूँ की बहन तथा अकबर की चाची / फूफी  थी। 
  • गुलबदन स्वयं तुर्की तथा फारसी में धाराप्रवाह लिख सकती थी। 
  • जब अकबर ने अबुल फ़ज़ल को अपने शासन का इतिहास लिखने के लिए नियुक्त किया 
  • तो उसने अपनी फूफी से बाबर और हुमायूँ के समय के अपने पहले संस्मरणों को लिपिबद्ध करने का आग्रह किया ताकि अबुल फ़ज़ल उनका लाभ उठाकर अपनी कृति को पूरा कर सके ।
  • गुलबदन ने जो लिखा वह मुगल बादशाहों की प्रशस्ति नहीं थी 
  • बल्कि उसने राजाओं और राजकुमारों के बीच चलने वाले संघर्षों और तनावों के बारे में 
  • तथा साथ ही इनमें से कुछ संघर्षों को सुलझाने में परिवार की उम्रदराज़ स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं के बारे में विस्तार से लिखा।

मुगल दरबारी इतिहास किस भाषा में लिखे जाते थे ?

  • फारसी भाषा में 
  • अकबरनामा फारसी भाषा में लिखा गया था
  • बाबरनामा तुर्की भाषा में लिखा था लेकिन इसका अनुवाद भी फारसी भाषा में किया गया था 
  • फारसी के साथ हिंदवी के मेल से उर्दू भाषा बनी

इतिवृत से क्या अभिप्राय है ?

  • इतिवृत मुगल बादशाहों द्वारा तैयार कराए गए थे
  • इनसे हमें मुगल साम्राज्य, प्रशासन, शासक तथा उसका परिवार, दरबार तथा अभिजात, युद्ध इत्यादि की जानकारी मिलती है
  • इतिवृत दरबारी इतिहासकार द्वारा लिखे जाते थे

शाही किताबखाना से क्या अभिप्राय है ?

( OR )

मुगल काल में पांडुलिपियों की रचना का वर्णन कीजिए ?

  • मुगल भारत की सभी पुस्तकें पांडुलिपियों के रूप में थी
  • पांडुलिपि - हांथ से लिखी पुस्तक
  • इन पांडुलिपियों की रचना शाही किताबखाने में होती थी
  • पांडुलिपियों की रचना में अनेक लोगों का योगदान होता था
  • इसमें विविध प्रकार के कार्य किए जाते थे
  • जैसे – 
  1. कागज बनाना
  2. पांडुलिपि के पन्ने तैयार करना
  3. सुलेखक
  4. कोफ्तगार ( पृष्ठ को चमकाने वाला )
  5. चित्रकार 
  6. जिल्दसाज इत्यादि
  • पांडुलिपियों की वास्तविक रचना में शामिल कुछ लोगों को ही पदवी और पुरस्कार के रुप में पहचान मिली
  • इसमें सुलेखको और चित्रकारों को उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा मिली 
  • जबकि अन्य गुमनाम कार्य कर ही रह गए
  • इन पांडुलिपियों में चित्रों का इस्तेमाल किया जाता था 
  • चित्र घटनाओं को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण साधन थे 
  • इससे पुस्तक का सौंदर्य बढ़ जाता था 
  • अबुल फजल ने चित्रकारी को जादुई कला माना है

ईसाई धर्म के प्रति अकबर की जिज्ञासा और इस संबंध में जेसुइट के प्रमुख सदस्य और उलमा से उनके वाद-विवाद एवं उसके परिणाम पर टिप्पणी लिखें ? 

  • यूरोप को भारत के बारे में जानकारी जेसुइट धर्म प्रचारकों, यात्रियों और व्यापारियों के विवरणों से हुई 
  • मुगल दरबार के यूरोपीय विवरण में जेसुइट वृतांत सबसे पुराने वृतांत है
  • 15 वीं शताब्दी के अंत में भारत तक एक सीधे समुद्री मार्ग की खोज का अनुसरण करते हुए 
  • पुर्तगाली व्यापारियों ने तटीय नगरों में व्यापारिक केंद्रों का जाल स्थापित किया
  • पुर्तगाली राजा भी सोसाइटी ऑफ जीसस जेसुइट के धर्म प्रचारकों की मदद से ईसाई 
  • अकबर ईसाई धर्म के विषय में जानने को बहुत उत्सुक था 
  • उसने जेसुइट पादरियों को आमंत्रित करने के लिए एक दूतमंडल गोवा भेजा 
  • पहला जेसुइट शिष्टमंडल फतेहपुर सीकरी के मुगल दरबार में 1580 में पहुंचा और वहां लगभग 2 वर्ष रहा 
  • इन लोगों ने ईसाई धर्म के विषय में अकबर से बात की और उसके सद्गुणों के विषय में उलमा से उनका वाद विवाद हुआ 
  • लाहौर के मुगल दरबार में दो और शिष्टमंडल 1591 और 1595 में भेजे गए
  • सार्वजनिक सभाओं में जेसुइट लोगों को अकबर के सिंहासन के काफी नजदीकी स्थान दिया जाता था 
  • वह उसके साथ अभियानों में जाते, उसके बच्चों को शिक्षा देते तथा उसके फुर्सत के समय में वे अक्सर उसके साथ होते थे 
  • जेसुइट विवरण मुगल काल के राज्य अधिकारियों और सामान्य जनजीवन के बारे में फारसी इतिहास में दी गई सूचना की पुष्टि करते हैं

अकबरनामा पर टिप्पणी लिखिए ?

  • अकबरनामा के लेखक अबुल फ़ज़ल का पालन-पोषण मुगल राजधानी आगरा में हुआ। 
  • वह अरबी, फारसी, यूनानी दर्शन और सूफीवाद में पर्याप्त निष्णात था। 
  • इससे भी अधिक वह एक प्रभावशाली विवादी तथा स्वतंत्र चिंतक था
  • जिसने लगातार दकियानूसी उलमा के विचारों का विरोध किया।
  • इन गुणों से अकबर बहुत प्रभावित हुआ। उसनें अबुल फ़ज़ल को अपने सलाहकार और अपनी नीतियों के प्रवक्ता के रूप में बहुत उपर्युक्त पाया।
  • बादशाह एक मुख्य उद्देश्य राज्य को धार्मिक रूढ़िवादियों के नियंत्रण से मुक्त करना था।
  • दरबारी इतिहासकार के रूप में अबुल फ़ज़ल ने अकबर के शासन से जुड़े विचारों को न केवल आकार दिया बल्कि उनको स्पष्ट रूप से व्यक्त भी किया।
  • 1589 में शुरू कर अबुल फ़ज़ल ने अकबरनामा पर तेरह वर्षों तक कार्य किया और इस दौरान कई बार उसने प्रारूप में सुधार किए। 
  • यह इतिहास घटनाओं के वास्तविक विवरणों , शासकीय दस्तावेजों तथा जानकार व्यक्तियों के मौखिक प्रमाणों जैसे विभिन्न प्रकार के साक्ष्यों पर आधारित है।
  • अकबरनामा को तीन जिल्दों में विभाजित किया गया है
  • जिनमें से प्रथम दो इतिहास हैं।
  • तीसरी जिल्द आइन-ए-अकबरी है। 
  • पहली जिल्द में आदम से लेकर अकबर के जीवन के एक खगोलीय कालचक्र तक (30 वर्ष) का मानव-जाति का इतिहास है। 
  • दूसरी ज़िल्द अकबर के 46वें शासन वर्ष (1601) पर खत्म होती है। 
  • अगले ही वर्ष अबुल फ़ज़ल राजकुमार सलीम द्वारा तैयार किए गए षड्यंत्र का शिकार हुआ और सलीम के सहापराधी बीर सिंह बुंदेला द्वारा उसकी हत्या कर दी गई।
  • अकबरनामा का लेखन राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण घटनाओं के समय के साथ विवरण देने पारंपरिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से किया गया। 
  • इसके साथ ही तिथियों और समय के साथ होने वाले बदलावों उल्लेख के बिना ही अकबर के साम्राज्य के भौगोलिक, सामाजिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक सभी पक्षों का विवरण प्रस्तुत करने के अभिनव तरीके से भी इसका लेखन हुआ।
  • आइन-ए-अकबरी में मुगल साम्राज्य को हिंदुओं, जैनों, बौद्धों और मुसलमानों की भिन्न-भिन्न आबादी वाले तथा एक मिश्रित संस्कृति वाले साम्राज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • अबुल फ़ज़ल की भाषा बहुत अलंकृत थी और चूंकि इस भाषा के पाठों को ऊँची आवाज़ में पढ़ा जाता था अतः इस भाषा में लय तथा कथन-शैली को बहुत महत्त्व दिया जाता था। 
  • इस भारतीय-फारसी शैली को दरबार में संरक्षण मिला।

‘बादशाहनामा ' के लेखन पर टिप्पणी लिखिए ?

  • अबुल फ़ज़ल का एक शिष्य अब्दुल हमीद लाहौरी बादशाहनामा के लेखक के रूप में जाना जाता है।
  • इसकी योग्यताओं के बारे में सुनकर बादशाह शाहजहाँ ने उसे अकबरनामा के नमूने पर अपने शासन का इतिहास लिखने के लिए नियुक्त किया।
  • बादशाहनामा भी सरकारी इतिहास है। इसकी तीन जिल्दें हैं और प्रत्येक जिल्द दस चंद्र वर्षों का ब्योरा देती है। 
  • लाहौरी ने बादशाह के शासन (1627-47) के पहले दो दशकों पर पहला व दूसरा दफ्तर लिखा।
  • इन जिल्दों में बाद में शाहजहाँ के वज़ीर सादुल्लाह खाँ ने सुधार किया। 
  • बुढ़ापे की अशक्तताओं की वजह से लाहौरी तीसरे दशक के बारे में न लिख सका 
  • जिसे बाद में इतिहासकार वारिस ने लिखा।

अकबर की पसंदीदा लेखन शैली कौन- सी है ? इसकी विशेषता बताइए ?

  • अकबर की पसंदीदा लेखन शैली, नस्तलिक शैली थी
  • यह एक ऐसी तरल शैली थी जिसे लंबे सपाट प्रवाही ढंग से लिखा जाता था 
  • इसे 5 से 10 MM की नोक वाले छंटे हुए सरकंडे, जिसे कलम कहा जाता है 
  • के टुकड़े से स्याही में डुबो कर लिखा जाता है
  • सामान्यता कलम की नोक में बीच में छोटा सा चीरा लगा दिया जाता था 
  • ताकि वह स्याही आसानी से सोख ले 

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