रुबाइयां गजल - Class 12th hindi ( अंतरा भाग- 2 ) Term- 2 Important question

रुबाइयां गजल - Class 12th hindi ( अंतरा भाग- 2 )  Term- 2 Important question

1- पाठ्यपुस्तक में संकलित फ़िराक गोरखपुरी की गज़ल का केंद्रीय भाव लिखिए । 

उत्तर फ़िराक गोरखपुरी की गज़ल में व्यक्तिगत प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है । फूलों की कलियों से नवरस छलकने लगा है , रात के अँधेरे में तारे आँखें झपका रहे हैं , ऐसे में कवि की प्रेमिका उसके साथ नहीं है । प्रेम के कारण कवि दीवानगी की हद तक चला गया है । शायर विरह से पीड़ित है । प्रेम में प्रकृति भी महत्त्वपूर्ण अंग के रूप में शामिल रहती है । प्रेम का एक अघोषित नियम है कि जो अपने प्रेम में जितना अधिक स्वयं को खो देता है , वह उतना ही अधिक प्रेम को हासिल करता है । 

2- ' रूबाइयाँ ' के आधार पर बताइए कि माँ द्वारा बच्चे को प्रसन्न करने के लिए क्या - क्या किया जा रहा है ?  

उत्तर रूबाइयाँ के आधार पर माँ अपने बच्चे को प्रसन्न करने के लिए उसे गोद में लेकर आँगन में खड़ी होती है । कभी वह उसे अपने हाथों पर झुलाती है , तो कभी हवा में उछाल उछाल कर प्रसन्न होती है । बच्चा भी माँ के हाथों के झूले में डोलता हुआ खिलखिलाकर हँस रहा है । माँ वात्सल्य भाव के साथ बच्चे को स्वच्छ जल से नहलाती है , उसके उलझे बालों में कंघी कर उसे सुंदर बनाती है । माँ बच्चे को अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है । बच्चा भी माता की गोद में प्रसन्न रहता है । इस प्रकार माँ बच्चे को प्रसन्न करने के लिए अनेक यत्न करती है । 

3- दीवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण कवि ( शायर ) ने किस प्रकार किया है ?   

उत्तर दीवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण करते हुए शायर कहता है कि दीवाली की शाम है । सभी घरों को स्वच्छ तथा पवित्र किया गया है और खूब सजा दिया गया है । माँ अपने बच्चे के लिए चीनी - मिट्टी के खिलौने तथा जगमगाते लावे लाई है । वह रूपवती माँ जिसके चेहरे पर ममता , वात्सल्य और दुलार की एक कोमल - सी आभा है , अपने बच्चे के घरौंदे ( मिट्टी का घर ) को सजाती है तथा उसमें एक दीप जलाती है । यह सब देखकर बच्चा प्रसन्न हो जाता है और अपने बच्चे की प्रसन्नता से ही माँ का चेहरा गर्व से खिल उठता है । 

4- बालक द्वारा चाँद माँगने की ज़िद पर माँ क्या करती है ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए ।  

उत्तर बालक द्वारा चाँद माँगने की ज़िद पर माँ उसे अन्य खिलौनों से बहलाने की कोशिश करती है , पर बालक चाँद का खिलौना ही चाहता है । जब वह ज़िद करके अपनी माँ से चाँद के खिलौने की माँग करता है तो माँ घर के अंदर से आइना ले आती है और वह आइने में बच्चे को उसका चेहरा दिखाते हुई कहती है कि लो , अब चाँद धरती पर उतर आया है अर्थात् माँ बच्चे को आइना दिखाकर उसे चाँद के समान सुंदर बता रही है इस प्रकार इस पंक्ति में बच्चे के मुख व चाँदी की तुलना की गई है । इस प्रसंग में गोस्वामी तुलसीदास ने भी बच्चे की क्रोध से पूर्ण चेहरे का वर्णन करते हुए उसके मुखड़े को अति आकर्षण युक्त बताया है |

5- फ़िराक की रूबाइयों में घरेलू वातावरण के मोहक चित्र हैं, इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए ।

' फ़िराक ' की रूबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।    

उत्तर-  फ़िराक की रूबाइयों में घरेलू जीवन के अत्यंत सुंदर चित्र उपस्थित हैं । जैसे - माँ अपने प्यारे शिशु को लेकर आँगन में खड़ी है , वह उसे झुलाती है , हँसाती है । इसमें बच्चे के नहलाने के दृश्य का सजीव चित्रांकन हुआ है । इसी प्रकार दीवाली व रक्षाबंधन जैसे पर्व को जिस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है , वह आम आदमी से जुड़ा हुआ है । बच्चे का किसी वस्तु के लिए ज़िद करना और माँ द्वारा उसे बहलाना जैसे दृश्य आम परिवारों में भी दिखाई देते हैं ।

6- खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?  

उत्तर शायर ऐसे लोगों की चर्चा करता है , जो दूसरों को बदनाम करने में अपना समय व्यतीत करते हैं । शायर कहता है कि वे मुझे बदनाम करते समय इतना सोच पाते कि मेरी बुराई करते हुए वे खुद को ही बदनाम कर रहे हैं । वह मानता है कि ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि वे जो कर रहे हैं , उसका असर क्या हो रहा है ? जो दूसरों की निंदा करते हैं , उनका ओछा व्यक्तित्व भी लोगों के सामने आ जाता है । लोग निंदा करने वाले लोगों से दूरी बनाने लगते हैं । शायर मानता है कि दूसरों की बदनामी करने से पहले निंदा करने वाले को इस पर विचार करना चाहिए । कबीर ने भी मनुष्य को इस बात के लिए सावधान किया है , जिसे वे अपने माध्यम से अभिव्यक्त करते हुए कहते हैं कि " बुरा जो ढूँढन मैं चल्या , बुरा न मिलिया कोय । जो मन देखा आपना , मोसों बुरा न कोय ।। ” अर्थात् दूसरे की निंदा करने के पूर्व आदमी को अपने अंतःकरण में झाँककर स्वयं को देखना चाहिए । शायर का यही अभिप्राय है ।

7- शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है ? 

उत्तर शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर भाई - बहन के पारस्परिक स्नेह के भाव को व्यक्त करना चाहता है । वह कहता है कि एक नन्हीं- सी बच्ची जो बहुत प्यारी है और मीठी - मीठी बातें करती है , अपने भाई के हाथों पर राखी बाँधती है । उस बच्ची की उमंग और चंचलता देखते ही बनती है । उसके हाथ में जो राखी है , उसके लच्छे से एक चमक निकल रही है , जो आकाश में चमकती बिजली की भंगिमा दे जाती है । दूसरी ओर कवि रक्षाबंधन के दिन आसमान में काले - काले बादलों की छटा को दर्शाता है । ये बादल उस नन्हीं बच्ची के हाथों में रखी राखी में बिजली की चमक पैदा करते हैं । 

VIDEO WATCH

What's Your Reaction?

like
20
dislike
0
love
16
funny
1
angry
1
sad
1
wow
13