प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ( Early Childhood Care and Education )Home Science Class 12th Chapter- 7th

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ( Early Childhood Care and Education )Home Science Class 12th Chapter- 7th

Significance

  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा , मानव विकास के अध्ययन का एक बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है ।
  • नन्हें शिशु बहुत छोटी उम्र से ही सीखना शुरू कर देते हैं । 
  • अपने आसपास की दुनिया के बारे में नयी बातें सीखने के साथ ही शिशु  को अपने परिवार के सदस्यों खास तौर  से अपने माता - पिता और अगर कोई भाई - बहन हों तो उनके साथ लगाव होने लगता है । 
  • छोटा बच्चा परिवार के अन्य सदस्यों और उन लोगों को भी पहचानने लगता है , जिनसे वह रोज़ रूप से मिलता है । 
  • बच्चा उन लोगों के बीच अंतर करना भी सीख जाता है जिन्हें वह पहचानता है और जिन्हें वो नही पहचानता हैं ।
  • किसी शिशु के व्यवहार में पहचान की यह क्षमता तब अभिव्यक्त होती है , जब वह लगभग 8-12 माह की आयु के दौरान किसी अनजान व्यक्ति को देखकर भयभीत होकर रोने लगता है ।
  • बच्चा अपनी माँ से सबसे अधिक लगाव रखता है. क्योंकि वहीं ज़्यादातर  उसकी देखभाल करती है और उसके कमरे से बाहर जाने पर बच्चा कई बार रोना भी शुरू कर देता है ।
  •  एक वर्ष तक की आयु का बच्चा अपनी माँ अथवा देखभाल करने वाले दूसरे व्यक्ति से अधिकतर समय चिपका ही रहता है और हर जगह उसके पीछे - पीछे जाता है ।
  • धीरे - धीरे बच्चे में प्रमुख देखभालकर्ता की अनुपस्थिति में भी सुरक्षा का बोध विकसित हो जाता है ।
  • शारीरिक विकास के कारण बच्चा तेजी से बढ़ता है , जिसके कारण पहले वह धीरे - धीरे चलना सीखता है, ठीक से चीजों को पकड़ना तथा अनेक मुद्राओं में अपने शरीर को संतुलित रखना सीखता जाता है ।
  • कुछ समय बाद बच्चा अपने मल और मूत्र विसर्जन पर भी नियंत्रण करने में सक्षम होता जाता है ।

वैकल्पिक देख - रेख

  • माता अथवा माता - पिता की अनुपस्थिति में बच्चे की मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए उसकी देखभाल करना " वैकल्पिक देख - रेख कहलाता है।
  • बच्चे को वैकल्पिक देख - रेख की सुविधा घर में ( भाई - बहन तथा संबंधियों द्वारा ) व घर से बाहर क्रेच या डे - केयर केन्द्रों द्वारा की जा सकती है। 
  • अनौपचारिक पारिवारिक देखभाल की व्यवस्था भी की जा सकती है जिसमें परिवार के आस - पड़ोस की कोई महिला अपने घर में ही व्यवसाय के रूप में शिशु केंद्र ( क्रेच ) चलाती हो, अथवा यह कोई संस्थागत केंद्र भी हो सकता है, जहां बच्चों की देखभाल के लिए फीस वसूली जाती हो ।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की मूलभूत संकल्पनाएँ ( Basic Concepts of Early Childhood Care and Education )

  • जन्म से लेकर आठ वर्ष की आयु तक की अवस्था को प्रारंभिक बाल्यावस्था माना जाता है ।
  • इस अवस्था के दौरान होने का विकासात्मक परिवर्तनों के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा जाता है
  • ( a ) जन्म से लेकर 1 वर्ष तक ( b ) 3 से लेकर 8 वर्ष तक । 
  • शैशवास्था जन्म से लेकर एक वर्ष की आयु तक की अवधि को शैशवास्था कहते है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ शैशवावस्था को 2 वर्ष तक मानते है ।
  • इस अवस्था के दौरान बच्चा अपनी प्रत्येक जरूरत के लिए वयस्कों पर निर्भर रहता है
  • ऐसे में यदि माँ का में बाहर नौकरी करती हो, तो शिशु की देखभाल वैकल्पिक रूप से देखभाल करने वाले व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो परिवार का कोई भी सदस्य या वेतन पर रखा गया काई व्यक्ति हो सकता है ।
  • शिशु केंद्र / क्रेच एक प्रकार की संस्थागत व्यवस्था होती है जिसे विशेषरूप से शिशुओं और छोटे बच्चों की घर में देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति में वैकल्पिक देखभाल के लिए बनाया गया है ।
  • डे केयर सेंटर दिन में देखभाल करने वाले केंद्र होते हैं जिनमें शिशुओं और विद्यालय पूर्व बच्चों की, घर में प्रमुख देखभालकर्ता की अनुपस्थिति में विद्यालय पूर्व वर्षों में देखभाल की जाती हैं ।
  • दो से तीन वर्ष के बच्चों को  "टॉडलर" भी कहा जाता है ।
  • इस शब्द की उत्पति इस उम्र के छोटे बच्चों द्वारा फुदक कर चलने की प्रवृत्ति से हुई है ।
  • इसी प्रकार 1 से 6 वर्ष तक के आयु के बच्चे को पूर्व - स्कूलगामी बच्चा या विद्यालय पूर्व बच्चा माना जाता है ।
  • उन्हें यह संज्ञा इसलिए दी गई है, क्योंकि 1 से 6 वर्ष का बच्चा किसी किसी भी ऐसे वातावरण में रहने के लिए तैयार होता है जो परिवार से बाहर का होता है ।

जीविका की तैयारी- (Preparing For Career)

  • पाठ्यक्रम के भाग के रूप में बाल / मानव विकास और / अथवा बाल - मनोविज्ञान जैसे विषय में स्नातक - पूर्व उपाधि होना आवश्यक है ।
  • यदि शिक्षा पूरी करने के बाद ही इस क्षेत्र में आने की इच्छा हो तो इस क्षेत्र में एक वर्ष का डिप्लोमा अथवा मुक्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक पाठ्यक्रमों का विकल्प भी है । 
  • नर्सरी अध्यापक प्रशिक्षण ( नर्सरी टीचर ट्रेनिंग ) एक अन्य ऐसा पाठ्यक्रम है जो इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करता है ।
  • उपरोक्त पाठ्यक्रमों को करने और डिग्री / स्टीफिकेट अर्जित करने के अतिरिक्त, यह याद रखना जरूरी है कि एक प्रभावी प्रारंभिक बाल्यावस्था विशेषज्ञ बनने के लिए बच्चों के प्रति उदारता और उनसे बातचीत करने के लिए रूझान होना एक मूलभूत आवश्यकता है ।
  • इसके अतिरिक्त व्यक्ति को समुदाय और संस्कृति की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि डे- केयर या क्रंच की गतिविधियाँ उस सांस्कृतिक और क्षेत्रीय पर्यावरण के अनुरूप हो जिसमें बच्चा पला - बढ़ा है |
  • क्षक में विविध कला कौशल होना भी अत्यधिक सहायक होता है । कहानी सुनाने, नृत्य, संगीत, आवाज में परिवर्तन करने तथा भौतर और बाहरी खेल - पूर्व गतिविधियाँ आयोजित करने के कौशल बच्चों के लिए काम करने में अत्यधिक लाभदायक होते हैं ।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा का कार्यक्षेत्र ( Scope of Early Childhood Care and Education )

  • छोटे बच्चों के शिक्षक अथवा देखभालकर्ता के रूप में प्रशिक्षित व्यक्ति नर्सरी स्कूल शिक्षक के रूप में कार्य कर सकते हैं ।
  • डे - केयर या कैच में देखभालकर्ता के रूप में में कार्य कर सकते है ।
  • छोटे बच्चों के कार्यक्रमों के लिए काम करने वाले दल के सदस्य के रूप में काम कर सकते हैं । 
  • अनेक सरकारी और गैर - सरकारी संगठन छोटे बच्चों के लिए अभियानों अथवा सेवाओं की योजना बनाने और संवर्धन के लिए के पर व्यावसायिकों की सेवाएँ लेते हैं ।
  • व्यक्ति एक ऐसे व्यावसायिक के रूप में भी अपनी सेवाएं दे सकता है ।
  • व्यक्ति, अपने घर या किसी अन्य स्थान पर स्वयं का बाल - देखभाल केंद्र या बाल - शिक्षा संबंधी कार्यक्रम प्रारंभ कर सकता है ।
  • बाल देखभाल एवं शिक्षा संबंधी संस्था या संगठन में प्रशिक्षक अथवा प्रबंधक के रूप में कार्य कर सकते है ।
  • इस कार्य क्षेत्र में कार्य करने का इच्छुक व्यक्ति यदि उच्चतर शिक्षा अर्जित करना चाहता हैं तो वह प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के स्नातकोत्तर अथवा डिग्री के लिए पंजीकरण करवा सकता हैं या क्षेत्र में शोध ( पी.एच.डी. ) भी कर सकता है ।
  • इस क्षेत्र में उपलब्ध कुछ सामान्य सेवाएँ निम्न हैं- 
  • शिशु देखभाल केंद्र ( Creches )
  • डे- केयर सेंटर ( Day Care Centers ) 
  • नर्सरी स्कूल ( Nursery Schools )
  • गैर - सरकारी संगठन ( एन.जी.ओ. ) ( NGOs ) 
  • समेकित बाल - विकास सेवाएँ ( आई.सी.डी.एस. ) ( ICDS )-   
  • प्रशिक्षण संस्थान ( Training Institutes)

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