पर्यावरण एवं सतत विकास - Class 12th Indian economy development Chapter - 12th ( 2nd Book ) Notes in hindi

पर्यावरण एवं सतत विकास - Class 12th Indian economy development Chapter - 12th ( 2nd Book ) Notes in hindi

पर्यावरण

पर्यावरण उन सभी परिस्थितियों और उनके प्रभावों को कहा जाता है जो मानव जीवन को प्रभावित करते हैं यह सभी संसाधनों और उसके आस पड़ोस के वातावरण का कुल जोड़ हैं

1) भौतिक तत्व

इसके अंतर्गत आते ही जल, भूमि, वायु, मौसम पर्वत, खनिज एवं अन्य सभी संसाधनों को शामिल किया जाता है

2) जैविक तत्व

जैविक तत्वों के अंतर्गत सभी पौधे एवं जीव जंतुओं को शामिल किया जाता है जो मानव जीवन को प्रभावित करता है

पर्यावरण का महत्व कार्य

1) पर्यावरण जीवन धारण में सहायक है

पर्यावरण के अंतर्गत भूमि, मिट्टी, जल, वायु आदि को सम्मिलित किया जाता है यह सभी मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है अगर पर्यावरण नहीं होगा तो जीवन भी नहीं होगा

2) पर्यावरण जीवन की गुणवत्ता है

पर्यावरण में नदियां, पर्वत, समुंद्र शामिल होते हैं और मनुष्य इनका आनंद उठाता है जो उसके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है

3) पर्यावरण उत्पादन के लिए संसाधन प्रदान करती है

पर्यावरण के अंतर्गत भौतिक संसाधनों ( लकड़ी, पानी, खनिज, मिट्टी ) शामिल होते हैं
जामिया प्राकृतिक से निशुल्क उपहार के रूप में उपलब्ध होते हैं
यह सारे संसाधन उत्पादन में आगत के रूप में प्रयोग होते हैं

पर्यावरण संबंधी समस्याएं

1) प्रदूषण की समस्या

2) प्राकृतिक संसाधनों के शोषण की समस्या
1) प्रदूषण
प्रदूषण से अभिप्राय उत्पादन तथा उपभोग की उन क्रियाओं से होता है जो वायु, जल और वातावरण को प्रदूषित करता है
2) वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण का अर्थ जीवन के आवश्यक तत्व में प्रदूषण इसके फलस्वरूप जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है
वायु में दूषित पदार्थों के कारण वायु प्रदूषित होती है जैसे जहरीली गैस और वस्तुओं के बिखरे कणों के कारण होता है

वायु प्रदूषण में इनका योगदान

1) उन उद्योगों द्वारा छोड़ा गया धूंआ, जो विशेष रूप से कोयले का ऊर्जा के रूप में प्रयोग करते हैं
2) मोटरवाहनों द्वारा जो गैस बाहर निकलती है वह भी वायु प्रदूषण का कारण है वाहनों में वृद्धि अर्थात प्रदूषण में भी वृद्धि होने की संभावना है

जल प्रदूषण

भारत में कई राज्य जल अकाल के कगार पर खड़े हैं लेकिन सबसे गंभीर समस्या इसके प्रदूषित हो जाने की है

जल प्रदूषण के मुख्य कारण है

1) उद्योगों से निकला खतरनाक रसायन जो नदियों में जाकर गिरते हैं
2) कृषि में पिछड़े कीटनाशक व दवाइयां जो मिट्टी के साथ बहकर नदियों में मिल जाते हैं
3) ध्वनि प्रदूषण- यंत्रीकरण ने कुशलता के स्तरों को बढ़ा दिया साथ ही ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी बढ़ा दिया ध्वनि प्रदूषण में घातकी गर्दी पाई गई क्योंकि तेज आवाज भोपू और शोर वाले इंजन लाखों वाहन सड़क पर चल रहे हैं
जिसके कारण शोर पैदा होता है जिससे चिढ़ ( irritation ) जिससे शरीर व मस्तिष्क में थकान पैदा होती है।

ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण 

1) यातायात के अलग-अलग साधनों के इंजन द्वारा निकाली गई ध्वनियों
2) औद्योगिक मशीनों द्वारा पैदा की गई दुनिया
3) मिक्सर ग्राइंडर और वॉशिंग मशीन जैसे कई घरेलू उपकरणों द्वारा निकली ध्वनियां

प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा शोषण 

प्राकृतिक की दूसरी समस्या प्राकृतिक संसाधनों का शोषण
प्राकृतिक संसाधनों से अभिप्राय वन, खनिज भूमि आदि से है, प्राकृतिक संसाधनों को प्राकृतिक पूंजी भी कहा जाता है
1) मनुष्य को आर्थिक विकास के लिए भौतिक पूंजी और प्राकृतिक पूंजी दोनों की जरूरत होती है 
2) उत्पादन में वृद्धि करने के फल स्वरुप भौतिक पूंजी तथा प्राकृतिक पूंजी दोनों में गिरावट आती है ( depreciation )

 वन विनाश

औद्योगिकरण उस समय का एक वरदान है जब इसके कारण अनेक प्रकार की वस्तुएं प्राप्त होती थी लेकिन उस समय या अभिशाप है जब इससे वनों का विनाश होता है
1) औद्योगिकीकरण शहरीकरण को बढ़ावा देता है
2) शहरीकरण वनों के विनाश पर विकसित होता है
3) औद्योगिकरण के अलावा गृहस्थो द्वारा लकड़ी का ( इंधन के रूप ) मैं प्रयोग किया जाता है
4) नदी परियोजनाएं वनों के विनाश में योगदान देता है जैसे (भाखड़ा बांध या दामोदर घाटी योजना 

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारण

1) व्यापक निर्धनता

भारत में निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों की संख्या बहुत अधिक है यह लोग अपना निर्वाह के लिए वनों का कटाव करते हैं और अनेक प्रकार की प्राकृतिक पूंजी का शोषण भी करते हैं

2) बढ़ता हुआ शहरीकरण

बढ़ते हुए शायरी करण के कारण मकानों तथा अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की मांग भी काफी बढ़ गई है जिसकी वजह से भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा शोषण किया जा रहा है

3) तीव्र औद्योगिकरण

तीव्र औद्योगिकरण भी वायु जल और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है विशेष रुप से औद्योगिक धुआं भी एक खतरनाक प्रदूषण है

पर्यावरण को कैसे बचाया जाए

1) सामाजिक जागरूकता

यह बहुत जरूरी है कि पर्यावरण के खतरे के बारे में सबको बताया जाए 
सभी व्यक्ति को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वह अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने का प्रयत्न करें।

2) जनसंख्या नियंत्रण

पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है

3) वृक्षारोपण अभियान

पर्यावरण को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को लगाना चाहिए

4) जल प्रबंधन

नदियों के पानी को साफ स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए गांव में पीने के पानी के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था की जाए

5) पर्यावरण संरक्षण कानून का सख्ती से पालन

भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 में लागू किया गया था इस कानून का उद्देश्य पर्यावरण की गुणवत्ता में कमी नहीं होने देना है इस कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए

सतत ( स्थाई ) विकास

इससे अभिप्राय विकास की वह प्रक्रिया है जो पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाती तथा इसलिए भावी पीढ़ी की उत्पादन क्षमता को कम नहीं करती

सतत ( स्थायी ) विकास की विशेषताएं

 1) प्राकृतिक संसाधनों का विचार पूर्वक प्रयोग

सतत विकास का अर्थ यह नहीं है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग है ना किया जाए

इसका अभिप्राय तो यह है कि प्राकृतिक संसाधनों का विचार पूर्वक उपयोग किया जाए जिससे कि उनका शोषण ना हो

 2) प्रदूषण पर रोक

सतत विकास उन गतिविधियों को समर्थन नहीं करता जो पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाती है

सतत विकास की नीतियां

1) जैविक कृषि की और स्थानांतरण

रासायनिक खाद और कीटनाशक का ज्यादा प्रयोग फसल उत्पादन को बढ़ा देता है लेकिन यह लंबे समय के लिए अच्छा नहीं है भाई पीढ़ियों के लिए उत्पादन क्षमता में कमी आएगी इसलिए यह हमारे लिए जैविक कृषि की ओर स्थानांतरण करने का सही समय है जो पौधों की पोषण की बजाय मिट्टी की पोषण का को बढ़ावा देता है

2) सौर ऊर्जा का प्रयोग

1) भारत जैसे देश में सूर्य किरण अच्छी मात्रा में उपलब्ध है जो ऊर्जा का एक धनी स्रोत है
2) सूर्य किरण पर्यावरण- मैत्रीक है तथा ऊर्जा का ऐसा स्रोत है जो कभी समाप्त नहीं होता
3) सौर ऊर्जा को विद्युत शक्ति में बदलना अभी संभव है लेकिन इसकी तकनीक में प्रर्वतन ( innovation ) होना अभी भी बाकी है

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