Class 12th ( Hindi Core ) Term- 2 नमक Easy Summary

Class 12th ( Hindi Core ) Term- 2 नमक Easy Summary

परिचय 

इस कहानी में भारत - पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित पुनर्वासित व्यक्तियों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन है । विस्थापित होकर भारत में रह रही सिख बीबी आज भी लाहौर को ही वतन मानती है और सौगात के रूप में लाहौर का नमक चाहती है । पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी देहली को अपना वतन बताता है । भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्त ढाका को अपना वतन कहता है ।

राजनीतिक यथार्थ के आधार पर भले ही अब इनका वतन बदल गया है किंतु इनका हृदय क्रमश : लाहौर, देहली व ढाका से ही जुड़ा है । अपने जन्म - स्थानों से विस्थापित ये लोग हृदय के स्तर पर अपने मूल स्थान को भुला नहीं पाए हैं । लेखिका आशा करती है कि राजनीतिक सीमाएँ एक दिन बेमानी हो जाएँगी । इस प्रकार की आशा का जीवित रहना तीनों राष्ट्रों के हित में है । 

कीर्तन में भेंट 

सफ़िया अपने पड़ोसी सिख परिवार के घर कीर्तन में गई थी । जहाँ एक सिख बीबी को देखकर उसे अपनी माँ का स्मरण हो आया क्योंकि वह स्त्री उसकी माँ की हमशक्ल थी । सफ़िया की प्रेम - दृष्टि से प्रभावित होकर सिख बीबी ने भी उसके विषय में जानकारी करनी चाही ।

घर की बहू ने बताया कि सफ़िया मुसलमान है जिसके भाई लाहौर में रहते हैं । यह उनसे मिलने कल लाहौर जा रही है । सिख बीबी ने बताया कि उसका वतन भी लाहौर है और उसे वहाँ के व्यक्ति, वहाँ का खाना, पहनावा, सैर - सपाटे और ज़िंदादिली आज भी याद आती है । लाहौर की याद में सिख बीबी की आँखों में आँसू निकल आते हैं । सफ़िया ने सांत्वना देने की दृष्टि से पूछा कि क्या आप लाहौर से कोई सौगात मँगाना चाहेंगी । इसके उत्तर में बीबी ने थोड़े - से लाहौरी नमक की इच्छा प्रकट की ।

लाहौर से सफ़िया की विदा 

सफ़िया लाहौर में पंद्रह दिन रुकी । सफ़िया की इतनी खातिरदारी हुई, इतना प्यार मिला कि उसे पता ही नहीं चला कि कैसे पंद्रह दिन बीत गए ।

उसे मित्रों, शुभचिंतकों व संबंधियों से ढेर सारे उपहार मिले । उसने सिख बीबी के लिए भी एक सेर ( एक किलो से थोड़ा कम ) लाहौरी नमक ले लिया था । सामान की पैकिंग चल रही थी ।

पुलिस अफसर भाई से बातचीत 

पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना गैरकानूनी है । अतः सफ़िया ने इस सौगात को ले जाने के संबंध में अपने भाई से बात की जो एक बड़ा पुलिस अफसर था । सफ़िया के पूछने पर भाई ने बताया कि नमक ले जाना गैरकानूनी है और कस्टम वाले आपके सामान की तलाशी लेंगे । वैसे भी भारत में नमक की कोई कमी नहीं है ।

सफ़िया ने बताया कि माँ की हमशक्ल एक सिख बीबी ने नमक मँगाया है और यह मैं सौगात की तरह ले जाना चाहती हूँ । भाई के तर्क करने पर सफ़िया ने कहा कि मैं इसे चोरी - छिपे नहीं अपितु दिखाकर ले जाना चाहती हूँ । सफ़िया ने प्रेम, आदमीयत व शालीनता को कानून से ऊपर मानकर नमक ले जाने की अपनी प्रतिबद्धता प्रकट कर दी । भाई के यह कहने पर कि आप नमक नहीं ले पायेंगी, बदनामी अवश्य होंगी ; क्रोध की अधिकता में सफ़िया की आँखों में आँसू आ गए ।

नमक ले जाने की योजना 

सफ़िया ने रात को सामान की पैकिंग की । सामान सूटकेस और बिस्तरबंद में आ गए । शेष रह गई कीनू ( संतरे और माल्टे को मिलाकर पैदा किया गया फल, माल्टे की तरह रंगीन और मीठा, संतरे की तरह नाजुक ) की एक टोकरी और नमक की पुड़िया ।

सफ़िया ने नमक की पुड़िया कीनू की टोकरी में नीचे छिपा दी । उसने लाहौर आते समय देखा था कि भारत से जाने वाले केला ले जा रहे थे और पाकिस्तान से आने वाले कीनू ला रहे थे । कस्टम वाले इन फलों की जाँच नहीं कर रहे थे । उसे विश्वास था कि इस प्रकार नमक सुरक्षित पहुँच जाएगा । अतः नमक को कीनू की टोकरी ; में छिपा दिया गया ।

सफ़िया का स्वप्न

सामान की पैकिंग के बाद सफ़िया सो गई । वह लाहौर के घर के सौंदर्य, यहाँ के परिवेश, भाई , मित्र और संबंधियों के संबंध में स्वप्न देख रही है । उसे भतीजियों की भोली - भोली बातें याद आ रही हैं । कल चले जाने और फिर कब आने या कभी न आ पाने की चिंता भी स्वप्न में है 

सिख बीबी और उसकी आँख से निकले आँसू, इकबाल का मकबरा, लाहौर का किला उसे सभी दिखाई दे रहे हैं । अचानक उसकी आँख खुल जाती हैं क्योंकि नींद में उसका पैर कीनू की टोकरी पर जा पड़ा था जिनको देते समय उसके दोस्त ने कहा था - यह हिंदुस्तान -पाकिस्तान की एकता का मेवा है । 

ट्रेन में सफ़िया- 

फर्स्ट क्लास के वेटिंग रूम में बैठी सफ़िया सोच रही थी कि आस - पास, इधर - उधर इतने लोग हैं, लेकिन सिर्फ वही जानती है कि टोकरी की तह में कीनुओं के नीचे नमक की पुड़िया है । जब उसका सामान जाँच के लिए कस्टमवालों के पास जाने लगा तो सफ़िया को हल्का - सा कंपन हुआ ।

उसने तय किया कि प्रेम की सौगात चोरी से नहीं ले जाएगी । अतः उसने नमक की पुड़िया निकालकर बैग में रख ली । जब सामान जाँच के बाद रेल की ओर चला तो उसने एक कस्टम अधिकारी को अपनी समस्या बताई । समस्या से पहले सफ़िया ने पूछ लिया था कि आप कहाँ के रहने वाले हैं । अधिकारी ने अपना वतन देहली बताया था ।

इसी आधार पर सफ़िया की हिम्मत बढ़ गई और उसने हैंडबैग से पुड़िया निकालकर मेज़ पर रख दी । सफ़िया ने सारी कहानी सुना दी । कस्टम अधिकारी ने स्वयं अपने हाथ से पुड़िया बैग में रख दी । जब सफ़िया चलने लगी तो कस्टम अधिकारी ने कहा, “ मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है । "

सफ़िया से अंत में कस्टम अधिकारी ने कहा, ' जामा मसज़िद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा , तो बाकी सब रफ्ता - रफ्ता ठीक हो जाएगा । ‘

गाड़ी भारत की ओर बढ़ रही थी । अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतर गई, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई । सफ़िया सोचती रही – एक ज़बान , एक - सी सूरतें और लिबास, एक - सा लबोलहजा और एक - सा अंदाज़, फिर भी दोनों के हाथों में भरी हुई बंदूकें ।

अमृतसर में कस्टम 

अमृतसर में कस्टम वाले फर्स्ट क्लास वालों के सामान की जाँच उनके डिब्बे के सामने ही कर रहे थे । सफ़िया का सारा सामान देखा जा चुका था । सफ़िया ने अपना हैंडबैग खोलकर पुड़िया निकाली और कस्टम अधिकारी से कहा- मेरे पास थोड़ा - सा नमक है ।

सफ़िया ने अधिकारी को सब कुछ बता दिया । अधिकारी ने सफ़िया की बात गौर से सुनी और सफ़िया के सामान का ध्यान रखने का निर्देश देते हुए सफ़िया से कहा, ' इधर आइए ज़रा ‘ । 

धिकारी सफ़िया को प्लेटफार्म के कमरे में ले गया । सम्मान से बिठाया , चाय पिलाई और फिर एक किताब दिखाई जिसके ऊपर लिखा था- “ शमसुलइसलाम की तरफ से सुनीलदास गुप्त को प्यार के साथ , ढाका 1946 " सफ़िया के पूछने पर सुनीलदास गुप्त ने बड़े गर्व से कहा- मेरा वतन ढाका है । बचपन में हम नजरुल और टैगोर दोनों को ही पढ़ते थे । विभाजन से पहले वर्ष पड़ने वाली मेरी सालगिरह पर मेरे मित्र ने मुझे यह किताब दी थी । सुनीलदास ढाका की याद में खो गया और कहने लगा, “ वैसे तो डाभ कोलकाता में भी होता है, जैसे नमक यहाँ भी होता है, पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है ।

  • हमारी ज़मीन , हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है । " और पुड़िया सफ़िया के बैग में रखकर आगे - आगे चलने लगा । पीछे - पीछे सफ़िया चली 
  • वह निचली सीढ़ी के पास सर झुकाए चुपचाप खड़ा था | साफिया सोच रही थी की किसका वतन कहाँ है , कस्टम के इधर या उधर |
  • दोनों ओर की सीमाओं में एक ही प्रकार की भावना वाले लोग रहते हैं | केवल उन्हें इन सीमाओं ने एक –दूसरे से अपनी भावनाओं का आदान प्रदान करने से रोक रखा है |

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