खनिज तथा ऊर्जा संसाधन ( भूगोल) Book -2 Chapter- 7th Geography Class 12th ( Minerals and Energy Resources) Notes in Hindi
इस अध्याय में हम खनिज तथा ऊर्जा संसाधनों के बारे में पढ़ने वाले हैं।
इसमें हम यह भी पढेगे भारत में खनिज संरक्षण की अधिक आवश्यकता क्यों है
इसमें हम जानेगे की भारत में खनिज कहाँ कहाँ पाए जाते हैं |
खनिज
खनिज एक ऐसा भौतिक पदार्थ है जो हमें खनन की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त
होता है, प्रत्येक खनिज की कुछ भौतिक तथा रासायनिक विशेषताएं होती है
भारत की प्रमुख खनिज पेटियां
खनिज पेटी- खनिज पेटी का अर्थ होता है
वह क्षेत्र जहां खनिज पाए जाते हैं
1 - उत्तर पूर्वी पेटी
लोहा, कोयला, बॉक्साइट
क्षेत्र, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़
2- उत्तर पश्चिम पेटी
तांबा, जिंक ग्रेनाइट
क्षेत्र- राजस्थान गुजरात
3- दक्षिण पश्चिम पेटी
मैग्नीज, चूना, लौह अयस्क
क्षेत्र- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा
लौह खनिज
लौह अयस्क
भारत में लौहा अच्छी मात्रा में उपलब्ध है, यहाँ एशिया के विशालतम लोह अयस्क हैं।
हमारे देश में लौह अयस्क के 2 प्रमुख प्रकार हैं : हेमेटाइट और मैग्नेटाइट
इसकी सर्वोत्तम गुणवत्ता के कारण इसकी विश्वभर में मांग है
प्रमुख क्षेत्र : ओड़िसा, झारखण्ड, छतीसगढ़, कर्नाटक, गोवा
मैगनीज
1- लौह अयस्क को पिघलने के लिए मैगनीज एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है |
2- इसका उपयोग लौह मिश्रित धातु और विनिर्माण में किया जाता है |
3- यह मुख्य रूप से इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाता है
4- 1000 किलो इस्पात बनाने में 10 किलो मैगनीज की आवश्कता पड़ती है।
5- ओड़िसा मैगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक है |
6- कर्नाटक एक और बड़ा उत्पादक है |
7- महाराष्ट्र भी एक बड़ा उत्पादक है।
अलौह खनिज
बॉक्साईट
बॉक्साईट एक अयस्क है जिसका प्रयोग एल्युमिनियम के विनिर्माण में किया जाता है |
यह मुख्यत: लेटराइट चट्टानों में पाया जाता है |
ओड़िसा बॉक्साईट का सबसे बड़ा उत्पादक है |
झारखण्ड के लोहरडागा में अच्छी मात्र में इसके निक्षेप हैं।
तांबा
बिजली की मोटर, ट्रांसफार्मर तथा जेनेरेटर्स आदि बनाने और विद्युत् के लिए ताम्बे का
प्रयोग किया जाता है ।
आभूषण को मजबूती प्रदान करने के लिए भी ताम्बे का प्रयोग किया जाता है |
तांबा मुख्यतः : झारखण्ड के सिंहभूम जिले में एवं मध्यप्रदेश के बालाघाट में पाया जाता है
ऊर्जा संसाधन
ऊर्जा उत्पादन के लिए खनिज ईंधन अनिवार्य है |
कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत हैं |
ये स्त्रोत समाप्य साधन हैं।
1- कोयला
2- पेट्रोलियम
3- प्राकृतिक गैस
कोयला
कोयला सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है जिसका मुख्य प्रयोग लौह अयस्क को पिघलने
और ताप विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है |
भारत में कोयला निक्षेपों का लगभग 80% भाग बिटूमिनियस प्रकार का तथा गैर कोककारी
श्रेणी का है।
भारत में प्रमुख क्षेत्र : दामोदर घाटी (झारखण्ड -बंगाल कोयला पट्टी), रानीगंज, झरिया,
बोकारो एवं करनपुरा
झरिया सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है उसके बाद रानीगंज आता है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोयला खनन केंद्र मध्यप्रदेश में सिंगरौली है ।
छतीसगढ़ में कोरबा, ओड़िसा में तलचर
इसके अतिरिक्त भूरा कोयला या लिग्नाइट तमिलनाडु के तट के भाग में पाया जाता है
पेट्रोलियम
यह मोटर वाहनों, रेलवे तथा वायुयानों के ईंधन के रूप में कार्य करता है |
यह कोयले के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण साधन है |
इसके अनेक सहउत्पाद : उर्वरक, कृत्रिम रबर, कृत्रिम रेशे, दवाइयां, वैसलीन, मोम
साबुन तथा अन्य उत्पादों में प्रक्रमित किये जाते हैं ।
व्यवस्थित रूप से तेल का उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के
बाद प्रारंभ हुआ |
असम का डिगबोई सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है |
मुंबई हाई जो मुंबई नगर से 160 किलोमीटर दूर है को 1973 में खोजा गया और वह 1976
से उत्पादन प्रारंभ हुआ |
प्राकृतिक गैस
गैस अथॉरिटी ऑफ़ india लिमिटेड (GAIL) की स्थापना 1984 में हुई |
इसकी स्थापना प्राकृतिक गैस के परिवहन तथा विपणन के लिए की गयी |
प्रमुख क्षेत्र : तमिलनाडु का पूर्वी तट, ओड़िसा, आन्ध्रप्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान
अपरपरागत ऊजो स्त्रोत
1- नाभिकीय ऊर्जा/ परमाणु ऊर्जा
2- जैव ऊर्जा
3- पवन ऊर्जा
4- भूतापीय ऊर्जा
5- सौर ऊर्जा
6- ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा
नाभिकीय ऊर्जा/ परमाणु ऊर्जा
1- प्रमुख खनिज- यूरेनियम, थोरियम
2- यूरेनियम क्षेत्र- धारवाड़, अलवर, उदयपुर
3- थोरियम क्षेत्र- केरल, आंध्र प्रदेश, विशाखापट्टनम
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गयी थी
इसे बाद में 1967 में भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र के नाम से जाना जाने लगा |
सौर ऊर्जा
फोटोवोल्टेक सेलों में विपाशित सूर्य की किरणों को ऊर्जा के रूप में बदला जाता है, जिसे सौर
ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।
भारत के पश्चिम भागों गुजरात एवं राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक संभावनाएं हैं।
पवन ऊर्जा
यह ऊर्जा का असमाप्य स्त्रोत है |
बहती पवन को ऊर्जा में परिवर्तित करना काफी आसन है |
पवन की गतिज ऊर्जा को टर्बाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में
बदला जाता है।
भारत ने काफी पहले से इसका प्रारंभ कर दिया है |
गैर परंपरा ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय, भारत के तेल के आयात बिल के
भर को कम करने लिए पवन ऊर्जा का विकास कर रहा है |
पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, एवं कर्नाटक में
अनुकूल परिस्थितियां विद्यमान हैं |
ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा
महासागरीय धाराएं ऊर्जा का भंडार हैं।
काफी पहले से ही महासागरीय धाराओं को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है |
भारत के पश्चिम तट पर बड़ी बड़ी ज्वारिये तरंगे उत्पन्न होती हैं।
जैव ऊर्जा
जैव ऊर्जा उस उर्जा को कहा जाता है जिसके जैविक उत्पादों द्वारा प्राप्त किया जाता है इसमें कृषि के अवशेष तथा औद्योगिक कचरा भी होता है उसके बाद उर्जा बनाई जाती है
[ इसकी विशेषता ]
प्रदूषण मुक्त
सस्ती
खाना पकाने में इस्तेमाल
भूतापीय ऊर्जा
पृथ्वी से मैग्मा निकलता है तो बहुत ज्यादा गर्मी निकलती है उस गर्मी को ऊर्जा में बदला जाता है
खनिज संरक्षण
खनिज समय के साथ समाप्त होते जा रहे हैं इन्हें बनने में लंबा समय लगता है इसलिए सतत पोषणीय विकास के लिए संरक्षण जरूरी है
Most important
संरक्षण विधियां
ऊर्जा के परंपरागत साधनों का अधिक प्रयोग करना चाहिए
धात्विक खनिजों की Recycling करनी चाहिए
कम मात्रा में पाए जाने वाले खनिजों का निर्यात नहीं करना चाहिए
संसाधनों का सुझ बुझ से प्रयोग करना चाहिए