कवितावली लक्षमण मूर्छा और राम का विलाप - Class 12th hindi ( Aroh ) Term- 2 Important question

कवितावली लक्षमण मूर्छा और राम का विलाप - Class 12th hindi ( Aroh )  Term- 2 Important question

1- कुम्भकरण के द्वारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी व्याकुलता के बारे में क्या कहा और कुम्भकरण से क्या सुनना पड़ा ?  

  • कुम्भकरण द्वारा पूछे जाने पर रावण अपनी व्याकुलता बताते हुए कहते हैं कि हनुमान के रूप में साक्षात्कार का देह धारण किए उसने लंका में हाहाकार मचा दिया है इस बात पर कुंभकर्ण ने रावण से कहा भरा था आपने सीताहरण किया है इसी कारण हनुमान सारे असुरों का संहार कर रहा है | 

2- बेकारी की समस्या तुलसी के जमाने में भी थी । उस बेकारी का वर्णन तुलसी के कवित्त के आधार पर कीजिए | 

  • तुलसी का युग भी बेकारी से आक्रांत था । अकाल के कारण चारों ओर हाहाकार मचा था । किसान को कृषि की सुविधा नहीं थी , भिखारी को भीख भी नहीं मिलती थी । काम - धंधे सब चौपट हो चुके थे । कर्मचारीगण खाली थे । चारों ओर बेरोज़गारी का वातावरण था । पेट के लिए अर्थात् परिवार पोषण के लिए लोग अच्छे - बुरे सभी काम करते थे । लाचारी इतनी बढ़ गई थी कि लोग अपनी संतान तक को बेचने के लिए विवश थे अर्थात् दरिद्रता रूपी रावण ने सबको अपने वश में किया हुआ था ।

3- कवितावली के छंदों में अपने युग की आर्थिक एवं सामाजिक विषमता की अभिव्यक्ति है ' कथन की पुष्टि कीजिए | 

  • तुलसीदास मानवीय संवेदना के कवि हैं । उन्होंने युगीन चेतना का सुंदर समावेश काव्य में किया है । कवितावली में उद्धृत पदों के अंतर्गत यह स्पष्ट हो जाता है कि तुलसी को अपने युग की समस्याओं की अच्छी समझ थी । वे संत होते हुए भी जनता की पीड़ा से परिचित थे । उन्हें समाज में व्याप्त गरीबी , बेकारी तथा भुखमरी का ज्ञान था । किसान , मजदूर , बनिक ( बनिया ) इत्यादि वर्गों की जीविका के ह्रास को कवि ने देखा था । इसमें भयंकर बेकारी तथा भूख का चित्रण सामने आया है । ' पेट की आग ' का असर भी व्यक्तियों पर स्पष्ट रूप से नज़र आता था । काम न मिलने की विवशता में लोग ऊँच - नीच कर्म कर रहे थे तथा धर्म - अधर्म पर भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा था । इस प्रकार , तुलसीदास ने अपने युग की आर्थिक - सामाजिक विषमता को ठीक से समझा था 

4- जैहउँ अवध कवन मुहँ लाई । नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई ।। बरु अपजस सहतेउँ जग माही । नारि हानि बिसेष छति नाहीं ।। भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप - वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है ? 

  • उत्तर भाई के शोक में डूबे राम के प्रलाप में स्त्री के प्रति कोई कटु वचन नहीं कहा गया है । भाई तथा पत्नी में से भाई को अवश्य अधिक महत्त्व दिया गया है , किंतु यह महत्त्वपूर्ण है कि उस भाई को राम ने ' नारी ' से अधिक महत्त्व दिया , जिस भाई ने ( लक्ष्मण ने ) बड़े भाई राम के साथ वन जाने के लिए माता - पिता , पत्नी तथा राजमहल का त्याग कर दिया । ऐसे भाई के प्रति राम की ऐसी संवेदना उचित ही है । यहाँ राम ने किसी सामाजिक दृष्टिकोण से स्त्री के लिए कोई हीन वचन नहीं कहा , बल्कि उनके कथन को भ्रातृशोक में डूबे व्यक्ति की स्वाभाविक प्रतिक्रिया मानना अधिक उचित समझा है ।

5- लक्ष्मण - मूर्च्छा और राम का विलाप ' काव्यांश में लक्ष्मण के प्रति राम के प्रेम के कौन - कौन से पहलू अभिव्यक्त हुए हैं ?

  • लक्ष्मण - मूर्च्छा और राम का विलाप ' कविता में लक्ष्मण के प्रति श्रीराम के प्रेम की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति हुई है । यहाँ श्रीराम का मानवीय रूप दृष्टिगत होता है । वे साधारण मानव की तरह दुःखी होते हैं तथा कहते हैं कि उन्हें यदि ज्ञात होता कि वन में भाई का बिछोह होगा , तो वे पिता को दिए गए वचन का भी पालन नहीं वे कहते हैं कि संसार में पुत्र , स्त्री आदि तो एकाधिक बार मिल जाते हैं , परंतु सगा भाई पुनः नहीं मिलता । वे कहते हैं कि लक्ष्मण के बिना वे कौन - सा मुँह लेकर अयोध्या जाएँगे ? इन पंक्तियों में श्रीराम की आंतरिक व्यथा का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है 

6- शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है ?

  • उत्तर हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव इसलिए कहा गया है क्योंकि जब अर्द्ध - रात्रि तक हनुमान के नहीं लौटने से राम अत्यंत दुःखी हुए तो उन्हें भाई का बिछोह संतप्त कर रहा था । शोक ग्रस्त राम जीवन के अतीत की घटनाओं पर विचार करते हुए विलाप कर रहे थे । उनका विलाप उनकी सेना को दु : खी कर रहा था । सभी लोग अत्यंत दुःखी तथा शोकग्रस्त थे । चारों ओर करुण रस का प्रवाह हो रहा था । उसी समय हनुमान द्रोण पर्वत के साथ लंका पहुँच गए । उनके पहुँचते ही वानर और भालुओं में हर्ष का संचार हो गया । करुण रस की जगह वीर रस का प्रवाह हुआ । हनुमान के इस कार्य से सेना में उत्साह तथा शक्ति का संचार हुआ । राम ने हनुमान को गले से लगा लिया ।

7- " नारि हानि बिसेष छति नाहीं " कहकर तुलसीदास ने जो सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है , उस पर अपने विचार एक अनुच्छेद में व्यक्त कीजिए ।

  • उत्तर राम के द्वारा कहे गए ये शब्द कि भाई के समक्ष नारी की हानि विशेष महत्त्व नहीं रखती । यह भाव या कथन उस समय की नारी की हीन अवस्था को दर्शाता हैं । जब नारी मायका छोड़कर सदा के लिए ससुराल आती है , परंतु वहाँ उसे सदैव दूसरे दर्जे का ही समझा जाता था । भाई का संबंध रक्तीय होने के कारण उसे नारी से अधिक महत्त्वपूर्ण समझा जाता था । पत्नी के लिए राम का दृष्टिकोण पूर्णतया गलत है ।

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