भारत में पंचवर्षीय योजनाएं- Indian economy 1950- 19990- Class 12th Indian economy development Chapter 2nd ( 2nd Book ) Notes in hindi

भारत में पंचवर्षीय योजनाएं- Indian economy 1950- 19990- Class 12th Indian economy development Chapter 2nd ( 2nd Book ) Notes in hindi

आर्थिक नियोजन

आर्थिक नियोजन से अभिप्राय उस प्रणाली से है जिसमें एक केंद्रीय अधिकारी लक्ष्यों के समूह को निर्धारित करता है
और एक निश्चित समय में उन लक्ष्यो को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रम और नीतियों का निर्धारण करता है

भारत में नियोजन की आवश्यकता

भारत को अंग्रेजों से विरासत में पिछड़ी हुई और गतिहीन अर्थव्यवस्था मिली उत्पादन और उत्पादकता का स्थर कम होने के कारण यह पिछड़ी हुई थी

अर्थव्यवस्था के प्रकार

1- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
2- समाजवादी अर्थव्यवस्था
3- मिश्रित अर्थव्यवस्था


1- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व व्यक्तियों के पास होता है और व्यक्ति अपने आर्थिक निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होता है

( विशेषताएं )

उत्पादन के साधनों पर निजी उद्यमों का स्वामित्व होता है
उत्पादन के साधनों का उपयोग इस ढंग से किया जाता है कि लाभ अधिकतम हो सके
सरकार की भूमिका मुख्य रूप से देश के कानून एवं व्यवस्था तथा सुरक्षा तक ही सीमित होता है

( गुण )

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मुख्य गुण यह है कि लाभ ज्यादा से ज्यादा होता है
GDP समृद्धि की गति तेज होती है

( अवगुण )

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था केवल उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करती है जिन से अधिक लाभ प्राप्त हो उत्पादन धनी वर्ग की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया जाता है
यह बिना सामाजिक न्याय के विकास होता है

2- समाजवादी अर्थव्यवस्था

एक समाजवादी अर्थव्यवस्था उस व्यवस्था को कहते हैं जिसमें उत्पादनों के साधनों पर सामूहिक सार्वजनिक स्वामित्व होता है इसमें सामाजिक कल्याण पर ध्यान दिया जाता है तथा आर्थिक निर्णय सरकारी अधिकारी द्वारा लिए जाते हैं

( विशेषताएं )

उत्पादन के साधनों पर पूर्ण रूप से समाज का स्वामित्व होता है
उत्पादन के साधनों का प्रयोग इस तरह होता है कि लाभ ज्यादा से ज्यादा हो सके
सरकार की भूमिका केवल कानून, व्यवस्था तथा सुरक्षा तक सीमित नहीं होता
उत्पादन की प्रक्रिया में सरकार की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है

( गुण )

समाजवादी अर्थव्यवस्था आए के वितरण में समानता प्राप्त करती
सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित होती है

( अवगुण )

समाजवादी अर्थव्यवस्था का प्रमुख अवगुण यह है कि GDP समृद्धि एक धीमी प्रक्रिया होती है 
यह लाभ अर्जित करने पर बहुत ज्यादा जोर नहीं देता बल्कि यह समानता और न्याय के सिद्धांत पर जोर देता है


3- मिश्रित अर्थव्यवस्था

एक मिश्रित अर्थव्यवस्था व अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी तथा सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है
उत्पादन निर्णय अधिकतमीकरण के सिद्धांत द्वारा लिए जाते हैं
लेकिन सामाजिक न्याय की जांच और संतुलन के बिना नहीं

( विशेषताएं )

उत्पादन के साधन निजी उद्यमियों के साथ साथ सरकार के स्वामित्व में होते हैं
उत्पादन की प्रक्रिया में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

( गुण )

मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रमुख गुण यह है कि यह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ समाजवादी अर्थव्यवस्था के गुणों को भी जोड़ती है
इसमें लाभ ' अधिकतमीकरण ' पर ध्यान केंद्रित करते हैं
इसके साथ साथ सामाजिक न्याय या समानता को बढ़ावा दिया जाता है

( अवगुण )

मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रमुख अवगुण यह है कि सरकारी क्षेत्र अक्सर भ्रष्टाचार से प्रभावित होते हैं जिसमें कुशलता/ उत्पादकता कम होती है

1991 तक नियोजन के अंतर्गत अपनाई गई आर्थिक नीति की विशेषताएं

भारत सरकार की आर्थिक नीति सन 1991 के पश्चात नियोजन में महत्वपूर्ण बदलाव आया
आर्थिक नीति की विशेषताओं का अध्ययन दो अवधियों में हुआ
सन 1991 से पूर्व और सन 1991 के बाद

1) सार्वजनिक क्षेत्र पर बहुत भरोसा करना

1991 से पहले आर्थिक नीति सार्वजनिक क्षेत्र पर बहुत भरोसा करती थी
इसलिए 1956 की औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए 17 उद्योग सुरक्षित रखे गए जबकि निजी क्षेत्र के लिए केवल 12 उद्योग सुरक्षित रखे गए 

2) छोटे पैमाने के उद्योगों को संरक्षण तथा बड़े पैमाने के उद्योगों का नियमन

बड़े पैमाने की उद्योगों का कई अधिनियम द्वारा नियमन किया गया
दूसरी और छोटे पैमाने के उद्योग को प्रतियोगिता से संरक्षित किया गया उत्पादन के कई क्षेत्र केवल छोटे पैमाने के उद्योगों के लिए आरक्षित किया गया 

3) बचत तथा निवेश पर केंद्रित

बचत को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज की ऊंची दरें प्रदान की गई
निवेश को आर्थिक सहायता एवं पूंजी अनुदानओं द्वारा प्रोत्साहित किया गया

4) आय प्रतिस्थापन पर केंद्रित

इसका अर्थ है विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं का देश में ही उत्पादन किया जाए ताकि हम आत्मनिर्भर बन सके

भारत में नियोजन की उपलब्धियां एवं सफलता है 

( राष्ट्रीय आय में वृद्धि )

राष्ट्रीय आय में वृद्धि आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है नियोजन से पहले की बात करें तो भारत का राष्ट्रीय आय में 0.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि हुई थी 
इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था एक गति हीन अर्थव्यवस्था थी
पहली योजना में राष्ट्रीय आय में वृद्धि का लक्ष्य 2.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष था जबकि वास्तव में राष्ट्रीय आय में 4.6 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि रही।

( प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि )

समय के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय में महत्वपूर्ण वृद्धि रिकॉर्ड की गई
नियोजन से पहले की अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि दर केवल नाममात्र की थी
योजनाओं के शुरुआत में वृद्धि की गति धीमी की
पहली योजना में यह केवल 2.7 प्रतिशत थी लेकिन बाद मैं बढ़ गई
11वीं योजना में वृद्धि दर 6% प्रतिवर्ष रिकॉर्ड की गई
12वीं योजना की बात करें तो 5.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया

( बचत तथा निवेश में वृद्धि दर )

1950- 51 में बचत की दर राष्ट्रीय आय का 9.5 प्रतिशत था
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत में 2011 -2012 में बचत की दर बढ़कर 31.3 प्रतिशत हो गई
2016- 2017 के लिए इसका 30. 3 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया
निवेश
इसी प्रकार निवेश की दर
1950- 1951 में GDP के 9.3 प्रतिशत था
जो कि बढ़कर 2016 - 2017 में 30. 9 प्रतिशत हो गई

( आर्थिक आधारिक संरचना )

1- यातायात तथा संचार के साधन
2- सिंचाई की सुविधा तथा बिजली उत्पादन क्षमता
3- बैंकिंग
4- यह सभी आर्थिक आधारिक संरचना के मुख्य तत्व है
5- योजनाओं के समय बुनियादी आर्थिक ढांचे में परिवर्तन 
6- सन 1950 - 1951 में बिजली उत्पादन की संस्थापक क्षमता 2300 मेगावाट थी
7- यह बढ़कर 2017 में 330861 मेगा वाट हो गई

( सामाजिक आधारिक संरचना )

स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं देश की सामाजिक आधारिक संरचना के मुख्य घटक है
समय के साथ इन में काफी विकास हुआ है
मृत्यु दर 1951 में 27 प्रति हजार तुलना करें तो
2016 में घटकर 6.4 प्रति हजार रह गई
औसत जीवन प्रत्याशा 1951 में 32 वर्ष
2015 में बढ़कर 68.3 वर्ष हो गई
अगर हम बात करें

( शिक्षा सुविधा की )

1951 से स्कूल में जाने वाले छात्रों की संख्या 3 गुना बढ़ गई
कॉलेज में जाने वाले छात्रों की यह संख्या 5 गुना तक बढ़ गई

भारत में नियोजन की असफलताएं

( दयनीय निर्धनता )

नियोजन का केंद्रीय विषय निर्धनता का उन्मूलन था परंतु जिस स्थिति में हम खड़े हैं वह इस प्रकार से व्यक्त की जा सकती है
भारत में जनसंख्या का 21.9 प्रतिशत भाग अभी भी निर्धनता रेखा के नीचे अपना जीवन बिता रही है
यह वह लोग हैं जिन्हें जीवन की मौलिक वस्तुएं ( भोजन, निवास तथा वस्त्र ) भी प्राप्त नहीं हो पा रही है

( बेरोजगारी संकट )

रोजगार के अधिक से अधिक अवसरों का सृजन करने के बावजूद भी बेरोजगारी की चुनौतियां भी कम नहीं हुई है
पहली पंचवर्षीय योजनाएं के बाद 5300000 लोग बेरोजगार थे
11वीं योजनाओं के अंत में इनकी संख्या बढ़कर 4 करोड़ से अधिक हो गई

( अपर्याप्त आधारिक संरचना )

नियोजन के 67 वर्ष होने के बावजूद भी आधारिक संरचना जिसमें
1- बिजली
3- सड़क
3- बांध
4- विद्यालय
5- महाविद्यालय का विकास का अपर्याप्त है
विशेष रुप से बिजली का अभाव देश के संपूर्ण विकास
तथा समृद्धि की प्रक्रिया में एक गंभीर बाधा बन रहा है

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