भक्तिन- Bhaktin ( आरोह- Aroh ) Easy Summary In Hindi and Explanation

भक्तिन- Bhaktin ( आरोह- Aroh ) Easy Summary In Hindi and Explanation

परिचय

  • भक्तिन महादेवी वर्मा का प्रसिद्ध संस्मरणात्मक रेखाचित्र है |
  • जो स्मृति की रेखाएं नामक पुस्तक में संकलित है |
  • लेखिका ने अपनी सेविका के अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का मनोहारी चित्रण किया है |

भक्तिन के  व्यक्तित्व का चित्रण 

  • भक्तिन छोटे कद और दुबले शरीर की एक गांव में रहने वाली स्त्री 
  • छोटी आंखें पतले होंठ तथा हमेशा गले में कंठी की माला पहनने वाली 
  • भक्तिन का असली नाम लछमिन अर्थात लक्ष्मी 
  • लेकिन उसने अपनी स्वामिनी से प्रार्थना की थी कि उसके नाम का प्रयोग न किया जाए अत उसकी कंठी माला को देखकर लेखिका ने उसका नाम भक्तिन रख लिया था वह अहीर कुल में पैदा हुई थी |

भक्तिन की सौतेली माँ 

  • गाँव – झूंसी 
  • लक्ष्मी का लालन पालन – सौतेली माँ 
  • पांच वर्ष की आयु में विवाह, नौ वर्ष की उम्र में गौना 
  • हंडिया गाँव के एक गोपालक के छोटे पुत्र के साथ विवाह  
  • विमाता को यह डर हमेशा सताता रहता था कि लक्ष्मी के पिता सारी जायदाद उसके नाम न कर दें |
  • इसलिए लक्ष्मी के पिता जब बीमार पड़े तो इसकी सूचना लक्ष्मी को नहीं दी गई |
  • संत पिता की मृत्यु का दुखद समाचार उसे मायके आकर ही मिला सौतेली माँ का पूरा व्यवहार देखकर उसने मायके में पानी तक नहीं पीया और वापस ससुराल लौट आई | 

लक्ष्मी का विवाहित जीवन 

  • ससुराल में भी दुःख 
  • सास के तीन कमाने वाले बेटे 
  • लक्ष्मी सबसे छोटे बेटे की पत्नी होने के कारण अपनी बेटियों सहित घर का सारा काम करती थी , और जिठानियां अपने बेटों के साथ मौज मस्ती में रहती थी |
  • लक्ष्मी की बेटियाँ – 3 
  • बड़ी बेटी की शादी के बाद ही भक्तिन के पति का देहांत हो गया |
  • अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए उसने अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में ही कर दी |
  • उसने अपने बड़े दामाद को घरजमाई बना लिया |
  • भक्तिन का दुर्भाग्य – बड़े दामाद का भी निधन 
  • जेठ के लड़के का साला लक्ष्मी की बड़ी बेटी से शादी करने की जिद में जबरदस्ती घर में घुस गया तो बड़ी लड़की ने उसे अच्छी तरह पीटा |
  • उस युवक ने सभी से झूठ बोला किसी लड़की ने मुझे बुलाया था उसकी बातों में आकर पंचायत ने भी उन्हें पति पत्नी की तरह साथ रहने का निर्णय सुना दिया | 
  • उन्हें दुखी होकर पंचायत का निर्णय मानना पड़ा अब घर में गरीबी रहने लगी झगड़ा होने लगा तथा लगान समय पर न चुका पाने के कारण भक्तिन को दिनभर धूप में खड़े रहने का दंड सहना पड़ा |
  • इस अपमान और कलंक को भक्ति सह न सकी और वह कमाने के उद्देश्य से शहर में आ गई |

भक्तिन का शहरी जीवन 

  • शहर में भक्तिन लेखिका के पास रहकर उसके घर का काम करने लगी सुबह के समय भक्तिन नहाकर लेखिका की  धोती पहन कर 2 मिनट जप करती और सूर्य एवं पीपल को अर्घ्यं देती फिर खाना बनाती | 

भक्तिन द्वारा बनाया  भोजन 

  • भक्तिन द्वारा बनाया गया भोजन एक ग्रामीण अहीर परिवार के स्तर का होता था उसने कोई सब्जी न बनाकर केवल दाल बना दी और मोटी मोटी रोटी सेक सेक कर काली कर दी |
  • लेखिका ने जब इस भोजन के प्रति ?  दृष्टि डाली तो भगतिन ने लाल मिर्च और अमचूर की चटनी या गांव से लाए गए गुड़ का प्रस्ताव रख दिया घी और गुड़ से अरुचि के कारण लेखिका ने इसी दाल से एक रोटी खाकर विश्वविद्यालय की राह पकड़ी |
  • भक्तिन दूसरों को अपने मन के अनुकूल बनाने की इच्छा रखती थी किंतु स्वयं बदलने को तैयार नहीं रहती | 
  • उसने लेखिका को ग्रामीण खानपान सीखा दिया किंतु स्वयं कभी रसगुल्ला नहीं खाया ना ही ओय को बदलकर जी पर आ सकी |

भक्तिन का स्वभाव 

  • भक्तिन दूसरों को अपने मन के अनुकूल बनाने की इच्छा रखती थी किंतु स्वयं बदलने को तैयार नहीं रहती | 
  • उसने लेखिका को ग्रामीण खानपान सीखा दिया किंतु स्वयं कभी रसगुल्ला नहीं खाया ना ही ओय को बदलकर जी पर आ सकी |

भक्तिन के तर्क वितर्क 

  • वह लेखिका के इधर उधर पड़े पैसों को किसी मटकी में छिपाकर रख देती थी |
  • उसका मत हैं अपना घर ठहरा पैसा रुपया जो इधर उधर पड़ा देखा संभाल कर रख दिया |
  • वे अपनी बातों को शास्त्र सम्मत मानती थी  
  • वह स्वयं पढ़ी लिखी नहीं थीं और अब हस्ताक्षर करना भी सीखना नहीं चाहती थी किंतु इसके पीछे भी उसका तर्क था कि उसकी मालकिन दिनभर पड़ती है यदि वह भी पढ़ने लगे तो घर के काम कौन करेगा ? 

लेखिका के प्रति भक्तिन का सेवाभाव 

  • लेखिका के साथ भक्तिन हर समय उपस्थित रहती थी जिससे लेखिका को जिस  किसी भी चीज़ की आवश्यकता हो तो वह उसकी मदद कर सकें | 
  • वह लेखिका के साथ बदरीनाथ और केदारनाथ भी गयी थी भक्तिन की बेटी और दामाद बुलाने आए तो वह लेखिका को छोड़ने का मन बना पाई लेखिका के सामने भक्तिन ने धन के महत्व को भी कम कर दिया वह लेखिका के लिए अपना सबकुछ लुटाने को तैयार थी |

भक्तिन एवं लेखिका का संबंध 

  • लेकिन क्या यह मानती थी कि उसके और भक्तिन के बीच स्वामी सेवक का संबंध नहीं है |
  • भक्तिन छात्रावास की बालिकाओं को चाय बनाकर देती थी लेखिका चाहकर भी भक्तिन को अपने से दूर नहीं कर पाई भक्तिन  लोगों को लंबे बाल और अस्तव्यस्त वेशभूषा देखकर टीका टिप्पणी भी करती थी इस प्रकार भक्तिन और लेखिका के बीच अत्यंत गहरे संबंध स्थापित हो चुके थे | 

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