History Class 12th Chapter -10th ( उपनिवेशवाद और देहात ) Most Important Question Answer
स्थाई बंदोबस्त क्या था ? अथवा इस्तमरारी बंदोबस्त क्या था ?
स्थाई बंदोबस्त प्रथा एक कर व्यवस्था थी.
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई थी इससे इस्तमरारी बंदोबस्त के नाम से भी जाना जाता है.
स्थाई बंदोबस्त प्रथा 1993 में ब्रिटिश गवर्नर जर्नल लॉर्ड कार्नवालिस ने चलाई.
जिसमें भूमिकर या लगान इकट्ठा करना था.
इस व्यवस्था में जमींदारों को एक निश्चित राशि इकट्ठा करके कंपनी को देनी थी.
जमींदारों को किसानों से कर लेकर कंपनी को एक निश्चित समय पर कर देना पड़ता था.
अगर जमींदार उस समय पर कर नहीं जमा करता था तो उसकी जमींदारी नीलाम कर दी जाती थी.
रैयतवाडी बंदोबस्त क्या था ?
रैयतवाडी व्यवस्था भी एक कर व्यवस्था थी.
यह कर प्रणाली बंबई दक्कन में लागू की गई.
इसमें कर सीधा किसानों (रैयतों) से लिया जाता था.
इस व्यवस्था में अलग-अलग प्रकार की भूमि से होने वाली औसत आय का अंदाजा लगा लिया जाता था.
इसके बाद किसान की राजस्व अदा करने की क्षमता का अनुमान लगा लिया जाता था.
प्रत्येक 30 साल के बाद जमीनों का फिर से सर्वेक्षण किया जाता था और राजस्व की दर समय के अनुसार बढ़ा दी जाती थी.
संथाल कौन थे ?
संथाल लोग आदर्श बशिंदे थे.
अंग्रेजों ने उन्हें जमीन देकर राजमहल की पहाड़ियों तथा उनके तलहटी के नीचे बसने के लिए तैयार किया था.
कंपनी ने इन्हें पहाड़ी इलाकों को साफ करने के लिए भाड़े पर लगाया था.
इन्होंने बड़े पैमाने पर पहाड़ी क्षेत्रों को समतल कर के खेती योग बनाया.
यह लोग मुख्य रूप से हल और बैल का प्रयोग करके स्थाई कृषि करते थे.
जोतदार कौन थे ?
18वीं शताब्दी में धनी किसानों का समूह जो अपनी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा था.
उसे जोतदार कहा जाता था.
इन्होंने जमीदारों की मुसीबतों का फायदा उठाकर अपनी शक्ति को बढ़ा लिया था.
19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक आते-आते जोतदारों ने जमीन के बड़े-बड़े टुकड़े जो कभी-कभी हजार एकड़ में फैले थे हासिल कर लिए थे.
जोतदार गरीब काश्तकारों पर व्यापक शक्तियों का प्रयोग करते थे.
इनकी जमीन का बड़ा भाग बटाईदारों के माध्यम से जोता जाता था.
जो खुद अपने हल लाते थे ,खेत पर मेहनत करते थे फसल के बाद उपज का आधा हिस्सा जोतदार को दे देते थे.
जोतदार की शक्ति गांव में जमीदारों से अधिक होती थी.
जोतदार गांवों में ही रहते थे.
गरीब गांव वालों के काफी बड़े वर्ग पर जोतदार का सीधा नियंत्रण था.
जब जमीदार गांव में लगान की राशि बढ़ा देते थे तो जोतदार इसका विरोध करते थे
पांचवी रिपोर्ट क्या थी ?
पांचवी रिपोर्ट 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी.
जो भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रशासनिक क्रियाकलापों के बारे में तैयार की गई थी.
यह रिपोर्ट 1002 पृष्ठों में थी.
इसमें 800 से अधिक पृष्ठों में किसानों और जमीदारों की अर्जियां, भिन्न-भिन्न इलाकों के कलेक्टरों की रिपोर्ट, राजस्व से संबंधित सांख्यिकी और तालिकाएं, अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व, तथा न्याय प्रशासन पर लिखित टिप्पणियां थी शामिल की गई थी.
दामिन- ए- कोह क्या थी ?
अंग्रेजों द्वारा संथालों को दिया गया विशाल क्षेत्र था ।
किसानों द्वारा विद्रोह करने के दो कारण ?
1- भू राजस्व कि दर अत्यधिक थी और वसूलने का तरीका अत्यधिक कठोर.
2- ऋणदाता कानूनों का दुरुपयोग तथा बहीखातो में हेरफेर करते थे.
भाड़ा-पत्र क्या था ?
1) भाड़ा पत्र एक ऐसा दस्तावेज था जिसमें रैयत लिख कर देते थे कि वह जमीन और पशुओं को ऋण दाताओं से किराए पर ले रहे हैं.
2) वास्तव में वह जमीन और पशु उन्हीं के होते थे कर ना चुकाने की स्थिति में ऋणदाता उनसे वह हथिया लेते थे.
जोतदार जमींदारो से अधिक प्रभावशाली क्यों थे ?
जोतदार के पास विस्तृत भू-क्षेत्र थे.
वह स्थानीय ऋणदाता थे.
वह स्थानीय व्यापार पर नियंत्रण रखते थे.
जोतदार गांव में रहते थे.
जोतदार जमीदारों को अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं करने देते थे.
जोतदार धनी वर्ग था.
जोतदार किसानों पर नियंत्रण रखते थे.