राजनीतिक दल (Political Parties ) Chapter - 6- Class – 10th || Polity / Civics
राजनीतिक दल का अर्थ ?
राजनीतिक दल को लोगों का ऐसा संगठित समूह समझा जाता है
जो चुनाव लड़ने और सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है
समाज के सामूहिक हितों को ध्यान में रखते हुए
यह समूह कुछ नीतियां और कार्यक्रम तय करता है
सामूहिक हित एक विवादास्पद विषय है
क्योंकि इसको लेकर सबकी राय अलग - अलग हो सकती है
राजनीतिक दल सामूहिक हितो के आधार पर लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियां अन्य से बेहतर है
राजनीतिक दल लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद अपनी उन्हीं नीतियों को लागू करने का प्रयास करते हैं
राजनीतिक पार्टियां समाज के किसी एक हिस्से से संबंधित होती हैं
इसलिए इन पार्टियों का नजरिया समाज के उस वर्ग समुदाय विशेष की तरफ झुका होता है
किसी भी राजनीतिक दल की पहचान उसकी नीतियों तथा उसके सामाजिक आधार से तय होती है
राजनैतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से होते हैं
1- नेता
2- सक्रिय सदस्य
3- समर्थक
राजनीतिक दलों के कार्य
( चुनाव लड़ना )
राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं
ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों में चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के मध्य लड़ा जाता है
राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव कई तरीकों से करते हैं
अमेरिका जैसे कुछ देशों में उम्मीदवारों का चुनाव दल के सदस्य तथा समर्थक करते हैं
लेकिन भारत जैसे देशों में दलों के नेता ही उम्मीदवार को चुनते हैं
( नीतियां और कार्यक्रम बनाना )
विभिन्न राजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं
और मतदाता अपनी पसंद की नीति और कार्यक्रम के आधार पर चुनाव करते हैं
देश के लिए कौन सी नीति बेहतर है इसके बारे में हम सब की राय अलग हो सकती है
लेकिन सरकार इतने अलग-अलग विचारों को एक साथ लेकर नहीं चल सकती
लोकतंत्र में एक जैसे मिलते जुलते विचारों को एक साथ लाना होता है
( कानून निर्माण )
राजनीतिक पार्टियां देश के कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
देश में कोई भी कानून बनने से पहले संसद में उस में बहस होती है
उसे विधायिका में पास करवाना पड़ता है
और विधायिका के सदस्य किसी ना किसी दल के होते हैं
( सरकार बनाना और चलाना )
राजनीतिक पार्टियां ही सरकार बनाती हैं तथा सरकार को चलाते हैं
नीतियों और बड़े फैसलों के मामले में निर्णय राजनेता ही करते हैं
और यह नेता विभिन्न दलों के होते हैं, पार्टियां नेता को चुनती हैं
उनको प्रशिक्षित करती हैं तथा फिर पार्टी के सिद्धांत और कार्यक्रम के अनुसार फैसले करने के लिए उन्हें मंत्री बनाती हैं
जिससे वह पार्टी की इच्छा के अनुसार सरकार चला सके
( विपक्ष की भूमिका निभाना )
जो राजनीतिक दल चुनाव हारते हैं वे शासक दल के विरोधी पक्ष ( विपक्ष ) की भूमिका अदा करते हैं
लोकतंत्र में विपक्ष का महत्व होता है
सरकार की गलत नीति और असफलताओं की आलोचना विपक्ष द्वारा की जाती है
विपक्ष आम लोगों को सरकार के विरुद्ध गोलबंद करते हैं
( जनता के मुद्दों को उठाना और उन पर बहस करना )
राजनीतिक पार्टियां जनता के मुद्दों तथा समस्याओं को उठाते हैं
इन पर चर्चा की जाती है राजनीतिक दलों के लाखों कार्यकर्ता देश भर में बिखरे होते हैं
समाज के अलग-अलग समूहों में उनके मित्र संगठन कार्य करते हैं
राजनीतिक पार्टियां कई बार लोगों की समस्याओं को लेकर आंदोलन भी करती हैं
( सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना )
राजनीतिक पार्टियां हैं सरकारी मशीनरी तथा सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं तक जनता की पहुंच बनाते हैं
एक आम नागरिक किसी सरकारी अधिकारी की अपेक्षा
किसी राजनीतिक कार्यकर्ता से पहचान बनाना उसके लिए ज्यादा आसान होता है
इसी कारण लोग दलों पर पूरा विश्वास ना करते हुए भी उन्हें अपने निकट मानते हैं
राजनीतिक दलों की जरुरत ?
विश्व के विभिन्न देशों में राजनीतिक दल देखने को मिल जाएंगे
राजनीतिक दल अपनी नीतियां तथा कार्यक्रम जनता के समक्ष रखते है
अगर दल नहीं होंगे तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र या निर्दलीय होंगे
ऐसी स्थिति में कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा
सरकार तो बन जाएगी लेकिन उसकी उपयोगिता संदिग्ध होगी
चुनाव जीते हुए नेता केवल अपने चुनावी क्षेत्र में कार्य के लिए जवाबदेह होंगे
लेकिन देश कैसे चले इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होगा
( उदाहरण )
गैर दलीय आधार पर होने वाले पंचायत के चुनाव का उदाहरण सामने रखकर
इसे परख सकते हैं
पंचायत के चुनाव में दल औपचारिक रूप से अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करते
लेकिन चुनाव के अवसर पर पूरा गांव कई खेमों में बैठ जाता है और हर खेमा सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवारों का पैनल उतारता है
राजनीतिक पार्टी भी ठीक यही काम करती है
यही कारण है कि हमें दुनिया के लगभग सभी देशों में राजनीतिक पार्टियां जरूर नजर आती हैं
चाहे वह देश छोटा हो या बड़ा हो
नया हो या पुराना हो
विकसित हो या विकासशील हो
सभी जगह राजनीतिक पार्टियां देखने को मिलते हैं
कितने राजनीतिक दल ?
लोकतंत्र में नागरिकों का कोई भी समूह राजनीतिक दल बना सकता है
लोकतांत्रिक देशों में बहुत से राजनीतिक दल होते हैं
भारत में बहुत सारे राजनीतिक दल है
भारत में चुनाव आयोग में नाम पंजीकृत कराने वाले दलों की संख्या 750 से अधिक है
लेकिन हर दल चुनाव में गंभीर चुनौती देने की स्थिति में नहीं होता
चुनाव जीतने और सरकार बनाने में कुछ ही पार्टियां सक्रिय होती है
अधिकतर पार्टी काफी कम सीटें जीत पाती हैं
एक दलीय शासन व्यवस्था
कई देशों में सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती हैं
इसे एक दलीय शासन व्यवस्था कहा जाता है
उदाहरण - चीन
चीन में केवल कम्युनिस्ट पार्टी को ही शासन करने की अनुमति है
एक दलीय विकल्प को कभी भी अच्छा विकल्प नहीं माना जा सकता
क्योंकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में कम से कम 2 दलों का राजनीति सत्ता के लिए चुनाव में
प्रतिद्वंदिता करने की अनुमति होनी ही चाहिए
दो दलीय शासन व्यवस्था
कुछ देश ऐसे हैं जहां सत्ता आमतौर पर 2 मुख्य दलों के बीच बदलती रहती है
वहां और भी अनेक पार्टियां हो सकती हैं
चुनाव जीतकर कुछ सीटें जीत सकते हैं
पर सिर्फ दो ही दल बहुमत को पाने और सरकार बनाने में प्रबल दावेदार होते हैं
उदाहरण - अमेरिका और ब्रिटेन
अमेरिका और ब्रिटेन में ऐसी ही दो दलीय व्यवस्था है
बहु - दलीय शासन व्यवस्था
जब अनेक दल सत्ता पाने के लिए होड़ में हो और दो दलों से ज्यादा के लिए
अपने दम पर या दूसरों से गठबंधन करके सत्ता में आने का अवसर हो
तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं
भारत में भी ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था है
इस व्यवस्था में कई दल गठबंधन बना कर भी सरकार बना सकते हैं
गठबंधन सरकार या मोर्चा
जब किसी बहुदलीय व्यवस्था में अनेक पार्टियां चुनाव लड़ती हैं
लेकिन उन्हें बहुमत नहीं मिलता ऐसी स्थिति में दल
सत्ता में आने के लिए अन्य दलों से हाथ मिला ले ,
आपस में गठबंधन बना ले तो
इसे गठबंधन या मोर्चा कहा जाता है
भारत में 1989 के बाद से केंद्र में जो सरकार आईं
वी सभी गठबंधन सरकार है
भारत में गठबंधन के उदाहरण
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए )
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ( UPA )
वाम मोर्चा
ऐसे में सवाल यह बनता है की कौन सी दलीय व्यवस्था किसी बेहतर है ?
इसका कोई सटीक जवाब दे पाना मुमकिन नहीं है
क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या एवं विविधता अलग प्रकार की होती है
कुछ देशों में अधिक विविधता नहीं होती है तो कुछ देशों में बहुत अधिक विविधता होती है
ऐसे में कोई एक आदर्श व्यवस्था नहीं हो सकती
उदाहरण - भारत जैसे विशाल देश की बात करें
भारत एक विशाल आबादी वाला देश है
यहां अलग-अलग जाति, धर्म, विचारधाराओं को मानने वाले लोग रहते हैं
ऐसे में यहां बहुदलीय व्यवस्था ज्यादा बेहतर है
क्योंकि समाज के विभिन्न वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर
राजनीतिक दल अपनी नीतियां बनाते हैं
राजनीतिक दलों में जनता की भागीदारी
दक्षिण एशिया में लोगों का राजनीतिक दलों पर विश्वास कम होता जा रहा है
संपूर्ण संसार में राजनीतिक दल ही एक ऐसी संस्था है
जिस पर लोग सबसे कम भरोसा करते हैं
इसके बाद भी राजनीतिक दलों के कामकाज में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं
स्वयं को किसी राजनीतिक दल का सदस्य बताने वाले भारतीयों का अनुपात
कनाडा, स्पेन,जापान तथा दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों से भी ज्यादा है
पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता गया है
इससे पता लग रहा है कि लोग विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़ते जरूर है
भारतीय राजनीतिक दल
विश्व के संघीय व्यवस्था वाले लोकतंत्र में दो प्रकार की राजनीतिक पार्टियां होती हैं
केवल कुछ क्षेत्र में अस्तित्व रखने वाले दल
पूरे देश में अस्तित्व रखने वाले दल
भारत में भी यही स्थिति है
कुछ पार्टियां पूरे देश में फैली हुई हैं उन्हें राष्ट्रीय पार्टी कहां जाता हैं
देश में सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण करवाना पड़ता है
चुनाव आयोग सभी पार्टियों को बराबर मानता है
लेकिन यह बड़े और स्थापित दलों को कुछ मुख्य सुविधाएं देता है इन्हें अलग चुनाव चिन्ह दिया जाता है
जिसका प्रयोग पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार ही कर सकता है
इन्हें मान्यता प्राप्त दल भी कहा जाता है
चुनाव आयोग ने स्पष्ट नियम बना रखे हैं
की कोई दल कितने प्रतिशत वोट और सीट जीतेगा
तो उसे मान्यता प्राप्त दल कहा जाएगा
मान्यता प्राप्त दल बनने के नियम
जब कोई पार्टी
राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल
मतों का 6 फ़ीसदी या उससे अधिक हासिल
करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत
दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक
दल के रूप में मान्यता मिल जाती है।
( प्रांतीय दल)
अगर
कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट
का अथवा चार राज्यों के विधान सभाई
चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत
हासिल करता है और लोकसभा के चुनाव
में कम से कम चार सीटों पर जीत दर्ज
करता है तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता
मिलती है।
( राष्ट्रीय दल)
2006 में देश में 6 दल, राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे
वर्तमान समय में आठ दलों को राष्ट्रीय स्तर का दल के रूप में मान्यता मिली हुई है
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी
बहुजन समाज पार्टी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी )
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
1- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
इसे आमतौर पर कांग्रेस पार्टी कहा जाता है
यह दुनिया की सबसे प्राचीन पार्टी में से एक है
इसकी स्थापना 1885 में ए .ओ. ह्यूम द्वारा की गई
इस पार्टी में कई बार विभाजन हुए हैं
भारत देश की आजादी के बाद
राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर इस पार्टी ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
आजादी के बाद से लेकर आज तक देश में सबसे अधिक समय तक इसी पार्टी की सरकार रही है
1989 के बाद इस पार्टी के जन समर्थन में कमी आई
कांग्रेस पार्टी की विचारधारा मध्यम मार्गीय है
यह न तो वामपंथी है, न ही दक्षिणपंथी है
इस वर्ग ने धर्मनिरपेक्ष तथा अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया है
1989 के बाद भारतीय राजनीति में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला
ऐसे में जो भी सरकारें आई
वह सारी गठबंधन सरकारें थी
2 . भारतीय जनता पार्टी
पुरानी भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 में यह पार्टी बनी
यह पार्टी राष्ट्रवाद पर आधारित है
यह पार्टी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने के विरुद्ध है
यह पार्टी समस्त भारत में रहने वाले लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने के पक्ष में है
1990 के दशक में इस पार्टी का समर्थन आधार बहुत व्यापक हुआ
भारतीय जनता पार्टी ने अपना एक गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाया
वर्तमान में विदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है
3 . बहुजन समाज पार्टी
स्वर्गीय कांशी राम के नेतृत्व में 1984 में इस पार्टी का गठन हुआ
बहुजन समाज जिसमें आदिवासी लोग, दलित लोग, पिछड़ी जाति तथा धार्मिक अल्पसंख्यक लोग सम्मिलित हैं
इस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अच्छा बहुमत हासिल किया है
यह पार्टी शाहू महाराज, महात्मा फूले, पेरियार रामास्वामी तथा बाबा अंबेडकर के विचारों व शिक्षाओं से प्रेरणा लेती हैं
दलितों और निर्बल वर्ग की जनता के लिए कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दों पर सबसे अधिक सक्रिय है
4 . भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी
इस पार्टी का गठन 1925 में हुई
मार्क्सवाद - लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्र में आस्था अलगाववादी और सांप्रदायिक शक्तियों का विरोध
यह पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजदूर वर्ग, किसानों और गरीबों के हितो को आगे बढ़ाने का एक उपकरण मानती है
इस पार्टी में 1964 में फूट पड़ी उसके बाद यह पार्टी दो हिस्सों में टूट गई
सी.पी.आई सी.पी.आई ( मार्क्सवादी )
केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु में इस पार्टी का जनाधार है
5. भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी )
1964 में गठन हुआ मार्क्सवाद और लेनिनवाद में आस्था समाजवाद धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के समर्थक तथा सांप्रदायिक तो साम्राज्यवाद की विरोधी
यह पार्टी भारत में सामाजिक आर्थिक न्याय का लक्ष्य साधने में लोकतांत्रिक चुनाव को मददगार और आवश्यक मानती है
इस पार्टी का समर्थन पश्चिम बंगाल केरल और त्रिपुरा में है
इस पार्टी का गरीबों, मजदूरों, खेतिहर मजदूरों, बुद्धिजीवियों के बीच बेहतर पकड़ है
यह पार्टी मुल्क में पूंजी और सामानों की मुक्त आवाजाही की अनुमति देने वाली नई आर्थिक नीतियों की आलोचना करती है
6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस पार्टी में बंटवारे के बाद 1999 में यह पार्टी बनी
लोकतंत्र, गांधीवादी, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और संघवाद में आस्था रखती है
यह पार्टी सरकार के मुख्य पदों में केवल भारत में जन्मे नागरिकों के लिए आरक्षित करना चाहती है
महाराष्ट्र में इस पार्टी को जनाधार प्राप्त है
इस पार्टी का जन समर्थन मेघालय, असम और मणिपुर में भी है
प्रांतीय दल या क्षेत्रीय दल
इन पार्टियों के अलावा अन्य मुख्य पार्टियों को क्षेत्रीय दल या प्रांतीय दल के रूप में मान्यता मिली है
इसके पीछे एक कारण यह भी है कि इन्हें कुछ प्रांतों में ही समर्थन प्राप्त है
यह जरूरी नहीं है –
कि अपनी विचारधारा अथवा नजरिये में यह पार्टियां क्षेत्रीय ही हों
इनमें कुछ अखिल भारतीय दल है
लेकिन इन्हें कुछ ही प्रांतों में कामयाबी मिल पाई है
समाजवादी पार्टी, समता पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल का राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक संगठन है
और इनकी अनेक राज्य में इकाई हैं
बीजू जनता दल, सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा तथा मिजो नेशनल फ्रंट जैसी पार्टी अपनी क्षेत्रीय पहचान को लेकर सजग है
1989 के बाद क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व बढ़ा है क्योंकि 1989 के बाद सभी सरकारें गठबंधन सरकारें रही हैं और इन सरकारों में इन क्षेत्रीय पार्टियों का बहुत महत्व है
कुछ पार्टियां कांग्रेस के गठबंधन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हैं
तो कुछ पार्टियां भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में
शामिल हैं
राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियां
( वंशवाद )
पार्टी के बड़े नेता अपने परिवार के सदस्यों एवं अपने करीबी लोगों को पार्टी में
उच्च स्थान देना पसंद करते हैं ऐसे में जो कार्यकर्ता ईमानदारी से कार्य करता है
उसके साथ अन्याय होता है
( पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार )
राजनीतिक दलों में पारदर्शिता की कमी भी एक बड़ी समस्या है
कई बार राजनीतिक दलों द्वारा घोटाले सामने आते हैं
( अपराधिक तत्वों की घुसपैठ –)
राजनीतिक पार्टियों की चिंता चुनाव जीतने की होती है इसके लिए पार्टियां कोई भी तरीका अपनाने को तैयार हो जाती हैं
कई बार ऐसे उम्मीदवार को उतारा जाता है जिस पर कई क्रिमिनल मुकदमे चल रहे हैं
ऐसे में जब अपराधिक प्रवृत्ति के लोग राजनीति में आएंगे
तो इसे राजनीति का स्तर भी गिरता है
( पार्टी के अंदर लोकतंत्र ना होना )
पार्टी के अंदर लोकतंत्र ना होना, राजनीतिक पार्टियों में शक्ति कुछ नेताओं
के हाथ में होती है वह जैसा चाहे वैसे पार्टी को चला सकते हैं
ऐसे में कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होता है
( विकल्पहीनता )
सार्थक विकल्प का अर्थ होता है विभिन्न पार्टियों की नीतियों तथा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण अंतर होना
लेकिन हाल ही के कुछ वर्षों में दलों के मध्य वैचारिक अंतर कम होता जा रहा है
यह प्रवृत्ति पूरे विश्व में दिख रही है
जैसे ब्रिटेन की लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी के मध्य अब बड़ा कम अंतर रह गया है
दलों को कैसे सुधार जा सकता है ?
राजनीतिक दलों को अपने खर्चे का प्रबंध करना चाहिए
दलों को प्रभावशाली व्यक्तियों या कंपनियों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए
विभिन्न राजनेताओं को धन, पद का लालच देकर दलबदल करवाया जाता है
दलबदल पर अंकुश लगाया जाना चाहिए
विभिन्न राजनीतिक दलों को अपने संगठन के प्रत्येक स्तर पर स्त्रियों को सीटें उपलब्ध कराई जानी चाहिए
राजनीतिक पार्टियों को अपने दल में ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले व्यक्तियों को ही शामिल करना चाहिए
अपराधिक गतिविधियों वाले व्यक्तियों को शामिल नहीं करना चाहिए