दल तथा भारत में दलीय व्यवस्था- Class 12th Political Science 2nd Book CH- 5th- Parties and the party system in India

दल तथा भारत में दलीय व्यवस्था- Class 12th Political Science 2nd Book CH- 5th- Parties and the party system in India

Congress System–  कांग्रेस प्रणाली

भारत 1947 में आजाद हुआ.
भारत में प्रथम आम चुनाव 1952 में हुए.
भारत में एक लोकतांत्रिक देश है यंहा बहुदलीय व्यवस्था है.
लेकिन भारत में आजादी के बाद से अब तक सत्ता में सबसे अधिक समय तक कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा है.
इससे कांग्रेस प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है.

भारत में 8 राष्ट्रीय पार्टी है

1) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.
2) भारतीय जनता पार्टी.
3) बहुजन समाज पार्टी.
4) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी.
5) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ).
6) राष्ट्रवादी कांग्रेस.
7) ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस.
8) नेशनल पीपुल्स पार्टी.

कांग्रेस के प्रभुत्व का कारण

1) देश की सबसे बड़ी पार्टी तथा सबसे पुरानी पार्टी
2) सबसे मजबूत संगठन
3) सबसे लोकप्रिय नेता इसमें शामिल थे
4) आजादी की विरासत हासिल थी
5) सभी वर्गों का समर्थन
6) नेहरु जैसे करिश्माई नेता इसी में शामिल

नेहरु जी की मौत के बाद उत्तराधिकार का संकट

1964 में नेहरू की मृत्यु हो गई.
उनकी मृत्यु के बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर बहस तेज हो गई.
ऐसी आशंका होने लगी कि देश टूट जाएगा.
देश में सेना का शासन आ जाएगा.
देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा.

1960 दशक को खतरानाक दशक क्यों कहते है ?

गरीबी, गैर बराबरी, साम्प्रदायिकता.
इसी समय पर 2 युद्ध हुए.
खाद्यान संकट.
दो प्रधानमंत्रियो की मौत.
नेहरू जी के उत्तराधिकारी को बड़ी आसानी से चुन लिया गया.
लाल बहादुर शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनाया गया.
कांग्रेस अध्यक्ष के .कामराज ने पार्टी से सलाह मशविरा करके शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनवा दिया.
शास्त्री जी नेहरू के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुके थे.
एक बार इन्होंने रेलमंत्री के पद से इस्तीफा भी दिया था.
कारण - रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए.

चौथा आम चुनाव तक देश में आये बदलाव

दो प्रधानमंत्री की मौत.
दो युद्ध, सैन्य खर्चे में बढ़ोतरी.
नए प्रधानमंत्री को कम अनुभवी माना गया .
गंभीर आर्थिक संकट.
मानसून की असफलता, सूखा.
खेती की पैदावार में गिरावट.
विदेशी मुद्रा की कमी.
रुपए का अवमूल्यन.
महंगाई बढ़ना.
खाद्यान्न की कमी.
बेरोजगारी.
बंद और हड़ताल.
साम्यवादी और समाजवादी पार्टी ने संघर्ष छेड़ दिया.
कम्युनिस्ट पार्टी ( M ) ने सशस्त्र कृषक विद्रोह छोड़ दिया.
किसानों को संगठित किया.
हिंदू मुस्लिम दंगे हुए.

गैर कांग्रेसवाद का अर्थ

देश में बिगड़ते माहौल को देखकर विपक्षी पार्टियां सक्रिय हो गई.
इन दलों को लगा कि इंदिरा गांधी की अनुभव हीनता और कांग्रेस की.
अंदरूनी उठापटक से उन्हें कांग्रेस को सत्ता से हटाने का.
एक अवसर हाथ लग गया.
राम मनोहर लोहिया ने इसे गैर कांग्रेसवाद का नाम दिया.
राम मनोहर लोहिया ने कहा कांग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक और गरीबों के खिलाफ है.
इसलिए जितनी भी गैर कांग्रेसी दल है.
सभी को एक साथ आ जाना चाहिए.
ताकि लोकतंत्र को वापस लाया जा सके.

चौथे आम चुनाव -1967

फरवरी 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए.
इस चुनाव में कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर गहरा धक्का लगा.
कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी.
जैसे - तैसे लोकसभा में बहुमत मिला लेकिन सीटें और वोट कम मिले.
इतने कम वोट कांग्रेस को कभी नहीं मिले थे.
कांग्रेस के दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए.

(कांग्रेस के दिग्गज नेता)
तमिलनाडु – के. कामराज
महाराष्ट्र – एस. के. पाटिल
बंगाल – अतुल्य घोष
बिहार – के. बी. सहाय

Multi Party Coalition System – कई दलों का गठबंधन

देश में विभिन्न पार्टियां चुनाव लड़ती हैं
लेकिन कभी कभी ऐसा हो जाता है कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता
ऐसे में एक से अधिक दल मिलकर सरकार बना लेते हैं
इसे गठबंधन सरकार कहा जाता है
भारत में राज्यों में गठबंधन सरकार तथा केन्द्र में गठबंधन सरकार के
कई उदाहरण है
1967 के विधानसभा के चुनाव
गठबंधन.
1967 के विधानसभा के चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला
इसके कारण गठबंधन की परिघटना सामने आई
अनेक पार्टियों ने मिलकर संयुक्त विधायक दल बनाया और गैर कांग्रेसी सरकारों को समर्थन दिया
इन गठबंधनों में अलग-अलग विचारधाराओं के लोग शामिल थे
उदाहरण –
बिहार – एसएसपी, पीएसपी, वामपंथी, दक्षिणपंथी, जनसंघ
उदाहरण
पंजाब पोपुलर यूनाइटेड फ्रंट, अकाली दल और मास्टर ग्रुप
सीपीआई ( एम् ) एसएसपी, रिपब्लिकन पार्ट्री, जनसंघ
1971 के लोकसभा के चुनाव.

चुनावी मुकाबला - 1971 

चुनावी मुकाबला - 1971.
चुनावी मुकाबला कॉग्रेस (आर ) के विपरीत लग रहा था.
क्योंकि नई कॉग्रेस जर्जर हो रही थी.
सबको विश्वास था कि कॉग्रेस पार्टी की असली ताकत कांग्रेस ( ओ ) के नियंत्रण में है.
सभी बड़ी गैर- साम्यवादी और गैर- कोंग्रेसी विपक्षी पार्टी ने चुनावी गठबंधन बना लिया.
इसे ग्रैंड अलायन्स कहा गया.
इससे इंदिरा के लिए स्थिति और कठिन हो गई.
SSP, PSP, भारतीय जनसंघ, भारतीय क्रांति दल तथा.
अन्य पार्टियां सभी एक छतरी के नीचे आ गई.
नई कांग्रेस के पास एक मुद्दा था जो कांग्रेस के पास नहीं था.
इंदिरा जहां भी देशभर में जाती हमेशा यही कहती थी कि विपक्षी गठबंधन के पास बस एक ही मुद्दा है “ इंदिरा हटाओ ”
लेकिन इंदिरा ने हमेशा यही कहा “ गरीबी हटाओ “
इसके अलावा इंदिरा गांधी ने अन्य कदम भी उठाए.
सार्वजनिक क्षेत्र की समृद्धि.
भू स्वामित्व तथा शहरी संपदा का परिसीमन.
आय तथा रोजगार के अवसर तथा पृवी पर्स की समाप्ति.

1971 के नाटकीय चुनाव परिणाम

कांग्रेस ( आर ) और सी. पी. आई . गठबंधन को इतनी सीटें मिली.
जितनी पिछले आम चुनावों में नहीं मिल.
गठबंधन को मिली सीट – 375.
कांग्रेस ( आर ) को मिली सीट – 352.
कांग्रेस ( ओ ) को केवल - 16 सीट मिली.
महागठबंधन को कुल - 40 सीट मिली.
1) 1971 लोकसभा चुनाव के बाद बांग्लादेश संकट हो गया.
2) भारत-पाक युद्ध हुआ.
3) भारत जीता और बांग्लादेश नामक स्वतंत्र देश पूर्वी पाक को बनवा दिया.
4) इसके बाद इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को चार चांद लगे.
5) विपक्ष के नेताओं तक ने इन की प्रशंसा की.
6) 1972 में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस (R) चुनाव में जीती.
7) इंदिरा को गरीबों और वंचितों के रक्षक के रूप में देखा गया.
8) कांग्रेस (R) ने अपना दबदबा बना लिया.

Bi – Party System –  दो दलीयव्यवस्था

भारत में बहुदलीय व्यवस्था है.
भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक चुनाव लड़ सकता है.
तथा अपनी राजनीतिक पार्टी बना सकता है.
भारत में कई राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय पार्टियां हैं.
लेकिन इसके बावजूद भी भारत में केंद्रीय सत्ता पर दो दलों का वर्चस्व देखने को मिलता है.
कांग्रेस और भाजपा.
गठबंधन के रूप में – यू.पी.ए और एन.डी.ए

VIDEO WATCH

ASK ANY PROBLEM CLICK HERE

What's Your Reaction?

like
539
dislike
47
love
183
funny
50
angry
37
sad
38
wow
165