Chapter - 2nd Science (Acid, Bases And Salts ) अम्ल,क्षार एवं लवण Class -10th Notes In Hindi

Chapter - 2nd  Science  (Acid, Bases And Salts ) अम्ल,क्षार एवं लवण  Class -10th Notes In Hindi

अम्ल(Acids)

वे पदार्थ जिनका स्वाद खट्टा होता है तथा जो नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं,अम्ल कहलाते है।
अम्ल शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द एसिड्स से हुई है , जिसका अर्थ है,खट्टा।
उदाहरण; सिरके, सिट्रस फ़ल,(नींबू,संतरा),इमली

अम्लों के प्रकार
(Types of Acids)

1)प्रबल अम्ल(strong acids) वे अम्ल जो जल में पूरी तरह से वियोजित होते है, प्रबल अम्ल कहलाते हैं।
उदाहरण-HCl, H2SO4, HNO3
2) दुर्बल अम्ल(weak Acids) वे अम्ल जो जल में पूरी तरह वियोजित नही होते ,दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।
उदाहरण-लैक्टिक अम्ल,CH3COOH
3)सांद्र अम्ल; जिसमे अम्ल अधिक मात्रा में होतेहैं,जबकि जल कम मात्रा में होता है।
4)तनु अम्ल; जिसमे अम्ल अल्प मात्रा में होता है,जबकि जल अधिक मात्रा में होता है ।

अम्लों के भौतिक गुण
(Physical properties of acids) 

1)अम्ल स्वाद में खट्टे तथा जल में विलय होते है ।
2)अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं।
3)अम्लों कि प्रकृति संक्षारक(corrosive) होती है।इनकी क्रिया से कपड़ा, लकड़ी,कागज़,त्वचा,आदि नष्ट हो जाते हैं।

अम्लों के रासायनिक गुण(chemical properties of acids)

1) धातु के साथ अभिक्रिया (reaction with metals)
-अम्ल विभिन्न सक्रिय धातुओं जैसे जिंक (Zn), सोडियम(Na),मैग्नीशियम(Mg),आदि से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस छोड़ते हैं।

अम्ल+धातु------->लवण +हाइड्रोजन
उदाहरण:
Zn+H2SO4-------->ZnSO4+H2

-हाइड्रोजन गैस जलाने पर पॉप(pop) की ध्वनि के साथ जलती है।

पॉप टेस्ट; हाइड्रोजन गैस से निहित परखनली के पास जब एक जलती हुई मोमबत्ती लायी जाती है, तो पॉप की ध्वनि उत्पन्न होती है। इस टैस्ट को हाइड्रोजन की उपस्थिति दर्शाने के लिए प्रयोग करते हैं।

2)धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया(Reaction with मेटल carbonate and metal hydrogen)*
अम्ल,धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उतपन्न करते हैं।

धातु कार्बोनेट+अम्ल--->लवण+कार्बनडाइऑक्साइड+जल

धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट+अम्ल------>लवण+कार्बनडाइऑक्साइड+जल

उदाहरण
CaCO3+2HCl----->CaCl2+H2O+CO2

Ca(HCO3)2+2HCl---->CaCl2+2H2O+2CO2

3)धातु ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया(reaction with metal oxide) 

अम्ल कुछ धातु ऑक्साइडों (क्षारीय ऑक्साइडों) के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं।
धत्विक ऑक्साइड+अम्ल------>लवण+जल

उदारहण-CaO+2HCl------->CaCl2+CaCl2

अम्लों के उपयोग Uses of Acids

अम्लों के उपयोग निम्नलिखित हैं 

( i ) सल्फ्यूरिक अम्ल ( H2SO4 ) को लेड बैट्रियों में , पेट्रोलियम उद्योग में , प्लास्टिक , कृत्रिम रेशे बनाने में , उर्वरक निर्माण , आदि में प्रयुक्त किया जाता है । 

( ii ) नाइट्रिक अम्ल ( HNO3 ) को सोने तथा चाँदी के शोधन में प्रयुक्त किया जाता है । उर्वरक , औषधि , विस्फोटक बनाने में भी इसी अम्ल का उपयोग किया जाता है । 

नोट नाइट्रिक अम्ल को शोरे का अम्ल भी कहते हैं , क्योंकि उसे शोरे ( KNO3 ) से बनाया जाता है ।

( iii ) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ( HCI ) को वस्त्र- उद्योगों में कपड़ा रंगने के लिए तथा कलई से पूर्व लोहे की चादरों को साफ करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है ।

  क्षारक Bases

वे पदार्थ , जिनका स्वाद तीक्ष्ण ( या कड़वा ) होता है तथा जो लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं , क्षारक कहलाते हैं । 
 -उदाहरण - साबुन । 


नोट- वे क्षारक , जो जल में घुलनशील होते हैं , क्षार ( Alkali ) कहलाते हैं । अत : सभी क्षार , क्षारक होते हैं किन्तु सभी क्षारक , क्षार नहीं होते ।

क्षारकों के प्रकार Types of Bases

आयन के आधार पर क्षारकों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है 

(1)प्रबल क्षारक ( Strong Bases ) 

वे क्षारक , जो जल में पूर्णतया वियोजित  होकर हाइड्रॉक्साइड आयन ( OH )देते हैं , प्रबल क्षारक कहलाते हैं । उदाहरण- KOH , NaOH , Ba ( OH ) 2 , आदि ।

( 2 ) दुर्बल क्षारक ( Weak Bases ) 

वे क्षारक , जो जल में पूर्णतया वियोजित  नहीं होते हैं , दुर्बल क्षारक कहलाते हैं । उदाहरण- AI ( OH )3 , NH4OH , आदि

क्षारकों के भौतिक गुण Physical Properties of Bases

क्षारकों के प्रमुख भौतिक गुण निम्नलिखित हैं 
( 1 ) क्षारक जल में विलेय तथा स्वाद में तीखे और कड़वे होते हैं । 
( ii ) क्षारक लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं । ( iii ) क्षारक स्पर्श करने पर साबुन के समान चिकने होते हैं  ( iv ) अम्लों के समान क्षारकों की भी प्रवृत्ति संक्षारक होती है । यह प्रवृत्ति प्रबल अम्लों की तुलना में कम होती है ।

क्षारकों के रासायनिक गुण Chemical Properties of Bases

क्षारकों के रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं 

( i ) धातु के साथ क्रिया ( Reaction with Metal ) प्रबल क्षारक , सक्रिय धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं । 
अतः क्षारकों को धातु पात्रों ( सक्रिय धातु ) में नहीं रखना चाहिए । 

क्षारक + धातु -- लवण + हाइड्रोजन गैस 

Zn (s) + 2NaOH (aq ) - Na ZnO ( aq ) + H2( g )

 2Al (s)+ 2NaOH (aq)+ 2H2O---->           
                         2NaAlO3( aq ) + 3H2 ( g )

नोट सोडियम मेटा ऐलुमिनेट को सोडियम ऐलुमिनेट भी कहा जाता है । 

ii ) अधात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया ( Reaction with Non - metal ) 
क्षारक अधातु ऑक्साइड ( अम्लीय ऑक्साइड ) के क्रिया करके लवण एवं जल बनाते हैं । यह अभिक्रिया अधातु के ऑक्साइडों की अम्लीय प्रकृति को सिद्ध करती है ।

क्षारक + अधातु - ऑक्साइड → लवण + जल 
 CO2  + Ca ( OH ) 2—>CaCO3+ H2O 

 ( iii ) क्षारक अम्लों से अभिक्रिया करके उनके प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल ( H.O ) का निर्माण करते हैं । 

उदाहरण- 2AI( OH )3+ 3H2SO4--> Al2( SO4)3 + 6H2O

( iv ) प्रबल क्षारकों को जल में विलेय करने पर ये पूर्णतया आयनित होकर जलीय विलयन में हाइड्रॉक्साइड आयन ( OH ) प्रदान करते हैं । इसके विपरीत दुर्बल क्षारक जलीय विलयन में प्रबल क्षारक की अपेक्षा कम आयनित होते हैं । 

NH4OH+ H2O = NH4+ OH 

( v ) कुछ क्षारक गर्म करने पर क्षारीय ऑक्साइड व जल में विघटित हो  जाते है ।
 Mg( OH )2---> MgO+ H20 

क्षारकों के मुख्य उपयोग(Uses of Bases)

क्षारकों के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं

  (1 ) ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड [ AI(OH)3 ] का प्रयोग वस्त्र तथा प्रतिअम्ल ( Antacid ) बनाने में किया जाता है। 
 ( ii ) अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ( NH , OH ) का प्रयोग क्लीन्जिंग एजेन्ट ( निर्मलीकारक ) तथा अमोनिया लवण बनाने में होता है ।
 ( iii ) सोडियम हाइड्रॉक्साइड ( NaOH ) का प्रयोग साबुन तथा धावन पाउडर के निर्माण में, रेयॉन के निर्माण में तथा कागज व लुगदी के निर्माण उद्योगों में होता है ।
 ( iv ) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड ( Ca ( OH ) का प्रयोग चमड़ा उद्योगों , खारे जल को मृदु बनाने, ब्लीचिंग पाउडर बनाने, आदि में किया जाता है ।

नोट • टूथपेस्ट हल्का सा क्षारकीय होता है । इस कारण यह दाँतों के चारों ओर अम्ल के आधिक्य को उदासीन कर देता है । 

- मधुमक्खी तथा चींटी के काटने पर मेथेनोइक अम्ल ( फॉर्मिक ) सावित होता है । इस कारण इनके काटने पर हमे दर्द व जलन का अनुभव होता है । इस जलन व दर्द को शान्त करने के लिए उस डंक लगे स्थान पर दुर्बल क्षारक जैसे - बेकिंग सोडा ( सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट ) को लगाने पर प्रभावित क्षेत्र में आराम का अनुभव होता है ।

अम्ल तथा क्षारक के बीच अभिक्रिया Reactions Between Acids and Bases 

अम्ल तथा क्षारकों की बीच निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं
 ( i ) अम्ल क्षारकों या धातु ऑक्साइडों ( क्षारीय ऑक्साइड ) से क्रिया करके उनके प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल का निर्माण करते हैं । लवण व जल बनने की यह अभिक्रिया 
उदासीनीकरण अभिक्रिया ( Neutralisation reaction ) कहलाती है ।
HCI + NaOH - NaCl + H2O 
( ii )  प्रबल अम्ल को जल में विलेय करने पर अधिक ऊष्मा उत्सर्जित होती है । 

अतः प्रबल अम्लों को तनु करने के लिए सदैव अम्ल को धीरे - धीरे जल में मिलाना चाहिए , जल को अम्ल में नहीं , क्योंकि यह अभिक्रिया अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती है , जिस कारण अम्ल में जल मिलाने पर अम्ल छलककर बाहर गिर सकता है तथा हमें हानि पहुंचा सकता है । 

अम्लों या क्षारकों के जलीय विलयन(Water Solution in Acids or Bases)
 किसी अम्ल या क्षारक को जल में विलेय करने के पश्चात् प्राप्त जलीय विलयन में विद्युत का चालन होता है , क्योंकि अम्ल या क्षारक के जलीय विलयन में मुक्त आयन उपस्थित होते हैं । 
 अम्ल तथा क्षारक अपने जलीय विलयन में मुक्त आयनों की उपस्थिति के कारण वैद्युत का प्रवाह करते हैं । 
 नोट सभी क्षारक जल में विलेय नहीं होते हैं । केवल जल में विलेय क्षारकों को क्षार कहा जाता है । 

अम्ल या क्षारक पर तनुता का प्रभाव Effect of Dilution on an Acid or Base
अम्ल या क्षार को जल में मिलाना तनुकरण ( Dilution ) कहलाता है , 
जिसके फलस्वरूप प्रति इकाई आयतन में ( H3O+/OH-) आयनों की सान्द्रता में कमी हो जाती है , इसे ही तनुता कहा जाता है । 
नोट अम्ल तथा क्षारक दोनों ही जलीय विलयन में मुक्त आयनों की उपस्थिति के कारण विद्युत धारा का चालन करते हैं ।

सूचक Indicators

 वे पदार्थ जिनका उपयोग किसी अनुमापन ( Titration ) में उदासीन बिन्दु या अन्तिम बिन्दु ( End point ) को निर्धारित करने के लिए किया जाता है , सूचक कहलाते हैं ।
 अम्ल- क्षार सूचक वे पदार्थ है , जिनका अम्लीय तथा क्षारकीय विलयन में रंग भिन्न - भिन्न होता है । 
 ये विलयन में हाइड्रोजन आयन [ H+ ] सान्द्रण अथवा हाइड्रॉक्साइड आयन [ OH- ] सान्द्रण अर्थात् pH मान के परिवर्तित होने की सूचना अपने रंग को परिवर्तित करके देते हैं । 
 अम्ल- क्षारक अनुमापनों में सामान्यत : निम्नलिखित तीन सूचकों का प्रयोग होता है ; लिटमस, मेथिल ऑरेन्ज तथा फीनॉल्फ्थैलिन । 
 नोट हल्दी, लाल पत्ता गोभी, हाइड्रेजिया, पेटूनिया तथा जेरानियम जैसे फूलों की पत्तियाँ, आदि भी सूचक के रूप में प्रयुक्त किये जा सकते हैं । हल्दी का रंग क्षारकीय माध्यम में लाल - भूरा हो जाता है । 

कुछ प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं 
1. प्राकृतिक सूचक Natural Indicators 
इस प्रकार के सूचक प्रकृति में पाए जाने वाले पौधों में पाए जाते हैं उदाहरण- लाल पत्ता गोभी , हल्दी आदि ।इस प्रकार के सूचक प्रकृति में पाए जाने वाले पौधों में पाए जाते हैं उदाहरण- लाल पत्ता गोभी , हल्दी आदि

कुछ प्राकृतिक सूचक

सूचक    अम्लीय  माध्यम में रंग          क्षारीय माध्यम में रंग 
1) लिटमस    लाल नीला 
2)लाल पत्ता लाल  हरा 
3) हल्दी   पिला  लाल भूरा 
7) हाइड्रेनजिया     
 पौधे के फूल 
नीला   गुलाबी

2 .संश्लेषित सूचक Synthetic Indicators
 प्रयोगशाला में निर्मित सूचक संश्लेषित सूचक कहलाते हैं । उदाहरण - फीनॉल्पथैलिन, मेथिल ऑरेन्ज आदि । 

सूचक अमलीय विलयन।  क्षारीय विलयन विल्यम में रंग  उदासीन विलयन में रंग 
फिनॉल्फ़थेलिन  
मैथिल ऑरेंज।
रंगहीन गुलाबी। रंगहीन

3. गंध युक्त सूचक Olfactory Indicators
  विशिष्ट गन्ध द्वारा अम्ल व क्षार को पहचानने में प्रयुक्त होने वाले सूचक गन्ध युक्त सूचक कहलाते हैं । इनकी गन्ध अम्लीय व क्षारकीय माध्यम में परिवर्तित हो जाती है ।
   उदाहरण - वैनिला , प्याज़ व लौंग आदि । 

4.सार्वत्रिक सूचक Universal Indicator
  विभिन्न प्रकार के सूचकों को परस्पर एक - दूसरे में मिलाकर एक मिश्रण निर्मित किया जाता है , जो हाइड्रोजन आयनों की विभिन्न सान्द्रताओं के सापेक्ष भिन्न - भिन्न रंग प्रदर्शित करता है , इसे सार्वत्रिक सूचक कहते हैं ।

अम्ल क्षारक कितने प्रबल है?
किसी विलयन में उपस्थित हाईड्रोजन आयन की सांद्रता जानने के लिए एक स्केल का निर्माण किया गया जो pH स्केल कहलाता है।
pH एक ऐसी संख्या है जो किसी विलयन की अम्लीयता या क्षारीयता को दर्शाती है।
हाईड्रोनियम आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी उस विलयन का pH उतना ही कम होगा।
किसी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होता है।अगर pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो ये अम्लीय विलयन होगा।यदि pH मान 7 से 14 तक बढ़ता तो क्षार की शक्ति बढ़ती है।
अधिक संख्या में H+ आयनों का निर्माण करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं।जबकि कम H+ आयनों का निर्माण करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।

दैनिक जीवन में pH का महत्व
(importance of  pH in Everyday life)

1)पौधों एवं जन्तुओं की pH के प्रति संवेदन शीलता
जीवित प्राणी केवल संकीर्ण pH परास ( परिसर ) में ही जीवित रह सकते हैं ।
हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है।
जब नदी के जल का pH अम्लीय वर्षा के कारण 5.6 से कम हो जाता है , तो उसे अम्लीय वर्षा कहते है ,जिससे जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है । 

( ii ) मृदा pH अधिकांश पौधे सर्वोत्तम रूप से विकसित होते हैं , जब मृदा की pH 7 के निकट होती है । अत : सर्वप्रथम मिट्टी की प्रकृति ज्ञात करने के लिए इसका pH परीक्षण करते हैं , इसके बाद इसमें विशेष फसल को उगाते हैं । मिट्टी की pH ज्ञात होने पर विशेष फसल के लिए उर्वरक चुनाव सरल हो जाता है । 

( iii ) हमारे पाचन तन्त्र का pH
हमारे उदर में पाया जाने वाला HCL पाचन में सहायता करता है । अपच की स्थिति में उदर अत्यधिक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है , जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है , इस बिगड़ी हुई pH परिसर को सही करने के लिए मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड ( मिल्क ऑफ मैग्नीशिया ) को औषधि के रूप में प्रयुक्त करते हैं । इसे प्रतिअम्ल भी कहते हैं , क्योंकि यह अम्ल के प्रभाव ( या अम्लता ) को कम कर देती है ।

 iv ) pH परिवर्तन के कारण दन्त- क्षय दाँतों का इनैमल ( दन्तवल्क ) कैल्सियम फॉस्फेट से बना होता है जोकि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है । मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय प्रारम्भ हो जाता है । इसका कारण मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया है जोकि , भोजन के पश्चात् मुँह में अवशिष्ट खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं , दाँतों के क्षय को रोकने के लिए क्षारकीय दन्तमंजन का उपयोग करके अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन कर देते हैं ।

( v ) पशुओं एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा जब कीट जैसे - मधुमक्खी , चींटी इत्यादि डंक मारते हैं , तो एक अम्ल छोड़ते हैं , जिसके कारण दर्द एवं जलन का अनुभव होता है । डंक मारे गए अंग पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक के उपयोग से आराम मिलता है । 

( vi ) पौधों में pH नेटल के पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं , जिन्हें गलती से छू लिया जाए , तो डंक जैसा दर्द अनुभव होता है , क्योंकि इन बालों से मेथेनॉइक अम्ल का स्राव त्वचा में हो जाता है , जिसके कारण दर्द का अनुभव होता है । इसका उपचार डंक वाले स्थान पर डॉक पौधे की पत्ती रंगड़कर करते हैं । ये पौधे अधिकतर नेटल के पास ही पैदा होते हैं ।

लवण(Salts)
किसी अम्ल तथा क्षारक की उदासीनीकरण अभिक्रिया से प्राप्त आयनिक ठोस को लवण कहते हैं।इस क्रिया में लवण के साथ जल(H2O) का निर्माण भी होता है।
उदाहरण- अम्ल+क्षार---->लवण+ जल

लवणों का परिवार Family of Salts
समान धनात्मक या ऋणात्मक मूलक वाले लवण समान परिवार के होते हैं । 
उदाहरण- NaCl तथा Na SO , दोनों सोडियम लवण परिवार के है । समान रूप से NaCl तथा KCI दोनों क्लोराइड लवण परिवार के हैं ।

लवणों का pH( pHof Salts)
  प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवण उदासीन होते हैं तथा इनका pH 7 होता है । प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण अम्लीय होते हैं तथा इनका pH 7 से  कम होता है। प्रबल क्षार तथा दुर्बल अमल से बने लवण क्षारीय होते हैं इनका pH मान 7 से अधिक होता है

साधारण नमक के रसायन 
सादहरन नमक हैड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सोडियम हैड्रॉक्साइड विलयन के संयोंग द्वारा बनता है इसे सोडियम क्लोराइड NaCl भी कहते है।
इसी लवण का प्रयोग हम अपने भोजन में करते है।

कास्टिक सोडा (caustic soda)
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हैड्रॉक्साइड उतपन्न करता है।इस प्रक्रिया क्लोर-क्षार भी कहते है।
इस प्रक्रिया में क्लोरीन गैस एनोड पर मुक्त होती है एवं हायड्रोजन गैस कैथोड पर उतपन्न होती है एवं कैथोड पर सोडियम हैड्रॉक्साइड का निर्माण भी होता है ।
इस प्रक्रिया में उतपन्न तीनो उत्पाद बहुत उपयोगी हैं।

कास्टिक सोडा के उपयोग(Uses of Caustic soda)
कास्टिक सोडा के उपयोग निम्नलिखित है।
1)इसका प्रयोग साबुनों तथा अपमार्जको को बनाने में होता है ।
2)कागज़ निर्माण ,विरंजको के निर्माण में।

विरंजक चूर्ण(Bleaching Powder)
रासायनिक नाम- कैल्शियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट या क्लोराईट ऑफ लाइम अथवा क्लोरोनेटेड लाइम
सामान्य नाम-विरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर
अणु सूत्र- CaOCl2 
अणु भार-127
शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन की क्रिया  से विरंजक चूर्ण का उत्पादन होता है।

उपयोग
विरंजक चूर्ण का प्रयोग विभिन्न पदार्थों जैसे- कपड़े , कागज , जूट , लकड़ी , आदि का रंग उड़ाने में ( अर्थात् उन्हें विरंजित करने में ) किया जाता है । इसके अतिरिक्त उपयोग निम्नलिखित हैं
( i ) जीवाणुनाशक के रूप में । 
( ii ) जल के शुद्धिकरण में । 
( iii ) ऑक्सीकारक के रूप में तथा चीनी को सफेद करने में । 
( iv ) क्लोरोफॉर्म के निर्माण में ( ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन के साथ जल की उपस्थिति में क्रिया द्वारा ) ।
( v ) ऊन को सिकुड़ने से बचाने में ।

बेकिंग या खाने का सोडा Baking Soda
 रासायनिक नाम -सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट 
 सामान्य नाम- खाने का सोडा 
 अणु सूत्र NaHCO 
 अणु भार 84

उपयोग Uses 
सोडियम बाइकार्बोनेट के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है ( i ) आमाशय ( पेट ) की अम्लता को दूर करने में अर्थात् प्रतिअम्ल ( Antacid ) के रूप में ।
( ii ) झागयुक्त पेय पदार्थों व गोलियों ( परिवार नियोजन गोलियों ) के निर्माण में ।
 ( iii ) आग बुझाने वाले यन्त्रों में क्योकि इससे मुक्त CO , अग्नि तथा वायु के मध्य अवरोध उत्पन्न करती है ।
 ( iv ) बेकिंग पाउडर के निर्माण में । 
 ( v ) चर्म रोगों के निदान में ।
   vi ) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में । 
   vii ) कच्चे दूध के फटने के समय को बढ़ाने हेतु ।

धोने का soda (washing soda)
रासायनिक नाम-  सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट
सामान्य नाम- धावन सोडा इस क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट
अणु सुत्र- Na2CO3.10H2O
अणु भार-286
सोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा बनता है धोने का सोडा भी एक क्षारीय लवण है।

उपयोग Uses
धावन सोडा के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है 
( i ) प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में ।
( ii ) काँच , कागज तथा बॉरेक्स उद्योग में ।
( iii ) पेट्रोलियम शोधन तथा धातु शोधन में ।
( iv ) आग बुझाने वाले यन्त्रों में । 
( v ) धातु कार्बोनेटों के निर्माण में । 
( vi ) काँच के बर्तनों की चिकनाई दूर करने तथा वस्त्र धुलाई के लिए अपमार्जक ( Detergent ) के निर्माण में । ( vii ) बेकिंग पाउडर , पेन्ट , रंजक ( Dyes ) तथा सुहागा के निर्माण में ।
( viii ) जल की कठोरता दूर करने में । 

प्लास्टर ऑफ पेरिस Plaster of Paris
 रासायनिक नाम- कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट 
सामान्य नाम-प्लास्टर ऑफ पेरिस 
अणु सूत्र -Caso4 
 अणु भार-136.134

निर्माण की विधि Method of Preparation
    जब काल्सयम सल्फेट डाइहाइड्रेट ( अर्थात् जिप्सम ) को 120 ° C ताप पर गर्म किया जाता है , तो निर्जलीकरण के द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है 
120 ° C
Caso4.2H2O ------------- >CaSO4.1/2H2O+ 
 3/2H2O

उपयोग Uses
 प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्नलिखित हैं 
 ( i ) इसका उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में किया जाता है । 
 ( ii ) इसका उपयोग सजावटी सामान , मूर्तियाँ व खिलौनों के निर्माण में किया जाता है ।
( iii ) इसका उपयोग दन्त चिकित्सा , दीवारों को चिकना बनाने तथा उन पर अलंकरण कार्य करने में भी किया जाता है ।
 ( iv ) इसे अग्निरोधक पदार्थ के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । 

क्रिस्टलन जलः जलयोजित लवण Water of Crystallisation : Hydrated Salts 
कुछ यौगिकों के क्रिस्टल शुष्क ( अनार्द्र ) दिखाई देते हैं , परन्तु वास्तव में उनमें कुछ जल अणु संयुक्त रहते हैं , यह जल क्रिस्टलन जल कहलाता है तथा इस प्रकार के लवण जलायोजित लवण कहलाते हैं ।
लवण के एक सूत्र इकाई में जल के निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टलन का जल कहते हैं ।
यह जल लवण के जलायोजित क्रिस्टल को गर्म करके हटाया जा सकता है।

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