उषा - Class 12th hindi ( Aroh ) Term- 2 Important question

उषा - Class 12th hindi ( Aroh )  Term- 2 Important question

1- शमशेर की कविता गाँव की सुबह का जीवंत चित्रण है | पुष्टि कीजिए | 

  • उषा कविता में कवि शमशेर ने ग्रामीण उपमानों का प्रयोग कर गाँव की सुबह को गतिशील शब्द चित्र के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है | कविता में नीले रंग के प्रातः कालीन आकाश को ‘राख से लीपा हुआ चौका’  कहा है | ग्रामीण परिवेश में ही गृहिणी भोजन बनाने के बाद चूल्हे को राख से लीपती है | दूसरा बिम्ब काले सिल का है | काली सिल अर्थात पत्थर के काले टुकड़े पर केसर पीसने का काम भी महिलाएं ही करती है | तीसरा बिम्ब , काले स्लेट पर लाल खडिया चाक मलने की क्रिया नन्हे ग्रामीण बालकों द्वारा होती है | इस बिम्बात्मक चेतना में गतिशील शब्द चित्र भी मौजूद हैं | यहाँ सवेरे अपने अपने कार्यों में लगे ग्रामीण वर्ग तथा जनजीवन की गतिशीलता को स्पष्ट करने वाले प्रतिमान है | 

2- ' उषा ' कविता के प्रतिपाद्य को स्पष्ट कीजिए |  

  • उत्तर- ' उषा ' कविता की रचना नई कविता के विशिष्ट कवि शमशेर बहादुर सिंह ने की है । उषा का सौंदर्य मोहक होता है । इस समय की प्रकृति अपने रूपाकाश को पल - पल परिवर्तित करती है , जिसे कवि ने अत्यंत आकर्षक तथा सजीव रूप में चित्रित किया है । उषाकाल का आकाश पवित्र , निर्मल तथा उज्ज्वल प्रतीत होता है । यह समय सृष्टि की नवगति का संदेशवाहक है । कवि का बिंब तथा प्रतीकों के माध्यम से उषाकाल के प्राकृतिक सौंदर्य में परिवर्तन को रोचकता के साथ दर्शाना महत्त्वपूर्ण है । प्रयोगवादी कविता में प्रकृति के साथ मानवीय चेतना को एकाकार करना प्रभावित करता है ।

3- ' उषा ' कविता में ' भोर के नभ ' की तुलना किससे की गई है और क्यों ?   

  • उत्तर ' उषा ' कविता में ' भोर के नभ ' की तुलना ' राख से लीपे हुए चौके ' , ' नीले शंख ' , ' लाल केसर से युक्त काली सिल ' तथा ' लाल खड़िया या चाक से लिप्त स्लेट ' जैसे उपमानों से की गई है , क्योंकि कवि ने इन उपमानों के माध्यम से अंधकार के समाप्त होने तथा प्रकृति में प्रतिपल आ रहे परिवर्तनों को रेखांकन करने का प्रयास किया है । यहाँ सवेरे अपने - अपने कार्यों में लगे ग्रामीण वर्ग तथा जनजीवन की गतिशीलता को स्पष्ट करने वाले प्रतिमान हैं । यहाँ स्थिरता का नामोनिशान नहीं है । गतिशीलता इस अर्थ में भी है कि तीनों शब्द चित्र  स्थिर न होकर किसी न किसी क्रिया के अभी समाप्त होने के सूचक हैं। 

4- कवि ने भोर के नभ की पवित्रता , निर्मलता तथा उज्ज्वलता को किन रूपों में स्पष्ट किया है ?   

  • उत्तर- ' उषा ' कविता में कवि ने भोर के नभ की पवित्रता , निर्मलता तथा उज्ज्वलता को विविध बिंबों एवं प्रतीकों के माध्यम से दर्शाया है । ‘ राख से लीपा हुआ चौका ' पवित्रता का प्रतीक है । ' नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह ' में निर्मलता तथा ' काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो ' में उज्ज्वलता का प्रतिबिंब है । यह उज्ज्वलता निर्मलता व पवित्रता ग्रामीणों में नई उम्मीद व आशा का संचार करती है । अतः भोर के नभ के बदलते सौंदर्य को कवि ने जन - जीवन की गतिशीलता तथा मानवीय गतिविधियों में हो रहे परिवर्तनों के रूप में रखा है । 

5- सूर्योदय से पहले आकाश में क्या - क्या परिवर्तन होते हैं ?  

  • उत्तर -  सूर्योदय से पहले आकाश की छवि क्षण - क्षण बदलती रहती है । इस परिवर्तन को चित्रित करने तथा उसकी गतिशीलता को पकड़ने के लिए कवि ने विविध प्रतीकों तथा बिंबों का प्रयोग किया है । प्रातः काल में अंधकार के हटने तथा प्रकाश के फैलने की प्रक्रिया को ग्रामीण जन - जीवन की गतिविधियों से जोड़ा गया है । उषाकाल के दौरान आकाश में नमी मौजूद होती है । कवि ने इसे ' राख से लीपा हुआ चौका ' जैसे बिंब के माध्यम से दर्शाया है । भोर के नभ का नीला रंग तथा राख से लीपे चौके में दृश्य - साम्य है । कवि ने सूर्योदय से पहले आकाश को काले सिल तथा स्लेट के रूप में भी चित्रित किया है । सूर्य की छिटकती लालिमा , काले सिल को लाल केसर से धुल जाने तथा स्लेट पर लाल खड़िया या चाक मल देने का बिंब परिवेश में हो रहे परिवर्तन को चित्रित करते हैं तथा सूर्योदय के समय आकाशरूपी नीले जल में किसी युवती का गोरा शरीर चमकना भी परिवर्तन को चित्रित करता है । 

6- शमशेर की कविता गाँव की सुबह का जीवंत चित्रण है | पुष्टि कीजिए | 

  • उषा कविता में कवि शमशेर ने ग्रामीण उपमानों का प्रयोग कर गाँव की सुबह को गतिशील शब्द चित्र के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है | कविता में नीले रंग के प्रातः कालीन आकाश को ‘राख से लीपा हुआ चौका’  कहा है | ग्रामीण परिवेश में ही गृहिणी भोजन बनाने के बाद चूल्हे को राख से लीपती है | दूसरा बिम्ब काले सिल का है | काली सिल अर्थात पत्थर के काले टुकड़े पर केसर पीसने का काम भी महिलाएं ही करती है | तीसरा बिम्ब , काले स्लेट पर लाल खडिया चाक मलने की क्रिया नन्हे ग्रामीण बालकों द्वारा होती है | इस बिम्बात्मक चेतना में गतिशील शब्द चित्र भी मौजूद हैं | यहाँ सवेरे अपने अपने कार्यों में लगे ग्रामीण वर्ग तथा जनजीवन की गतिशीलता को स्पष्ट करने वाले प्रतिमान है | 

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