सांवले सपनों की याद- Chapter - 4th Class- 9th Hindi - क्षितिज
( लेखक परिचय )
- जाबिर हुसैन का जन्म सन 1945 में गाँव नौनहीं, राजगीर, जिला नालंदा, बिहार में हुआ ।
- वे अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य के प्राध्यापक रहे।
- इन्होने सक्रिय राजनीति में भी भाग लिया और विधानसभा के सदस्य, मंत्री और सभापति भी रहे।
- ये हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं में समान अधिकार के साथ लेखन करते रहे हैं।
- इस पाठ में लेखक हुसैन जी ने पक्षी प्रेमी सालिम अली का स्मरण करते हुए उनका व्यक्तित्व परिचय दिया है।
- लेखक ने बताया वो ठीक एक सैलानी के तरह अपने कंधो पर बोझ उठाये पलायन कर गए I
- परन्तु यह उनका आखिरी पलायन था
- यानी वो मृत्यु को प्राप्त हुए।
- वो प्रकृति में ठीक उस पक्षी की तरह विलीन हो गए जो आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो।
- सालिम का मानना था की लोग पक्षियों को आदमी की नजर से देखना चाहते हैं।
- लेखक ने वृन्दावन का जिक्र करते हुए कहा है की भले ही कृष्ण के बचपन की शरारतों को किसी ने नही देखा,
- कब उन्होंने घने पेड़ की छाहों में विश्राम किया और कब उन्होंने बांसुरी बजाई यह कोई नही जानता
- पर आज भी अगर कोई वृन्दावन जाकर नदी के सांवले पानी को देखे तो वह कृष्ण की याद दिला देता है।
- आज भी वृन्दावन कृष्ण की बांसुरी के जादू से खाली नही हुआ।
- उसी तरह सालिम अली को भी पक्षी प्रेमी के रूप में हरदम याद किया जाएगा।
- पूर्व समय की याद करते हुए लेखक ने बताया है की वे उम्र की सौवें पड़ाव के करीब थे,
- यात्राओं की थकान ने उन्हें कमजोर कर दिया था और कैंसर जैसी जानलेवा मृत्यु उनके मौत का कारण बनी।
- परन्तु एक बात स्पष्ट थी की वे सब मिलकर उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नही हो पायीं
- जो पक्षियों की तलाश और उनके हिफाजत के प्रति समर्पित थीं।
- अपने जीवन के एकांत क्षणों में भी वह दूरबीन के साथ पक्षियों को निहारते ही देखे गए ।
- वे उन लोगों में से थे जो प्रकृति के प्रभाव में ना जाकर प्रकृति को अपने प्रभाव में लाता है।
- उन्होंने अपना जीवनसाथी अपने स्कूल सहपाठी तहमीना को चुना, जिन्होने हर लम्हे में उनका सहयोग दिया।
- सालिम जी अनेकों अनुभवों के मालिक थे।
- एक दिन वे केरल की 'साइलेंट वैली' को रेगिस्तानी हवाओं
- के झोंको से बचाने का अनुरोध लेकर पूर्व प्रधानमन्त्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे
- जो की मिटटी पर पड़ी पानी की पहली बून्द का असर जाननें वाले नेता थे
- परन्तु पर्यावरण के संभावित खतरों के बारे में जब सालिम ने उन्हें अवगत कराया तब उनकी भी आँखे नम हो गयी।
- सालिम ने अपनी आत्मकथा का नाम 'फॉल ऑफ़ स्पैरो' रखा।
- जिसमे उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए लेखक को डी.एच. लॉरेंस के बारे में लिखा है
- की उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी से कहा गया की वे अपने पति पर कुछ लिखें
- तब उन्होंने कहा की उनके बारे में मेरे से ज्यादा मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया जानती है।
- मुमकिन है लॉरेंस सालिम का अटूट हिस्सा हों।
- वे सदा जटिल प्राणियों के लिए एक पहेली रहेंगे
- बचपन में उनके एयरगन की शिकार
- एक गोरैया ने उन्हें पक्षी प्रेमी बनाकर जो राह दिखाई
- वे उन्हें नए- नए रास्तों की ओर ले जाती रही।
- वे एक भ्रमणशील व्यक्ति थे
- जो की प्रकृति के दुनिया में एक टापू के बजाए अथाह सागर बनकर उभरे।