(संविधान का निर्माण) Class 12th History (Most Important Question Answer) (3rd Book) CH- 15th

 (संविधान का निर्माण) Class 12th History (Most Important Question Answer) (3rd Book) CH- 15th

1. जवाहरलाल नेहरु ने संविधान सभा के सामने 'उद्देश्य प्रस्ताव' कब पेश किया ? इसकी क्या विशेषता थी ?

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष 13 दिसंबर 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया था.
( उद्देश्य प्रस्ताव’ की विशेषता )
यह एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था जिसमें स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूप रेखा प्रस्तुत की गई थी और वह फ्रेम वर्क सुझाया था जिसके तहत संविधान का कार्य आगे बढ़ना था.
इसमें भारत को एक स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित किया गया था और भारत के प्रत्येक नागरिक को न्याय समानता व स्वतंत्रता का आश्वासन दिया गया था.
यह वचन दिया गया था की अल्पसंख्यक पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों एवं दमित और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त रक्षात्मक प्रावधान किए जाएंगे.

2. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान बनने के कोई दो कारण लिखिए ?

भारत देश की विशालता और विविधता के कारण
संविधान निर्माण में विस्तृत, गहन चर्चा तथा विचार -विमर्श के कारण.

3. संविधान सभा में डॉ .बी. आर. अंबेडकर की प्रमुख भूमिका क्या थी ?

1) बी. आर. अंबेडकर कांग्रेस के प्रख्यात विधिवेत्ता और अर्थशास्त्री तथा संविधान सभा के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे.
2) बी. आर. अंबेडकर को प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे.
3) उनके पास संविधान सभा में संविधान के प्रारूप को पारित करवाने की भी जिम्मेदारी थी.

4. एन.जी. रंगा ने अल्पसंख्यक को किस प्रकार परिभाषित किया ?

( एन. जी. रंगा ने अल्पसंख्यक को निम्न प्रकार से परिभाषित किया ).
1) असली अल्पसंख्यक कौन है तथाकथित पाकिस्तानी प्रांतों में रहने वाले हिंदू, सिख और यहां तक कि मुसलमान भी अल्पसंख्यक नहीं है.
2) जी नहीं, असली अल्पसंख्यक तो इस देश की जनता है.
3) एन. जी. रंगा ने माना की जनता इतनी दबी- कुचली और इतनी उत्पीड़ित है की अभी तक साधारण नागरिक के अधिकारों का लाभ भी नहीं उठा पा रही है.

5. संविधान सभा में की जाने वाली चर्चाओं को जनमत एवं विभिन्न संगठन किस प्रकार प्रभावित करते थे ? स्पष्ट करो ?

1) जब संविधान सभा में किसी मुद्दे पर बहस होती थी तो विभिन्न पक्षों की दलीलें अखबारों में छपती थी और तमाम प्रस्तावों पर सार्वजनिक रूप से बहस चलती थी.
2) प्रेस में होने वाली इस आलोचना और जवाबी आलोचना से किसी भी मुद्दे पर बनने वाली सहमति या असहमति पर गहरा असर पड़ता था.
3) सामूहिक सहभागिता का भाव लोगों में पैदा करने के लिए जनता के सुझाव भी आमंत्रित किए जाते थे.
4) इस प्रकार सब संविधान सभा को सैकड़ों सुझाव मिलते जिनके कुछ नमूनों को देखने पर ही पता चल जाता कि हमारे कानून निर्माताओं को कितने परस्पर विरोधी हितों पर विचार करना पड़ता था.
5) ऑल इंडिया वर्णाश्रम स्वराज संघ ने आग्रह किया कि हमारा संविधान प्राचीन हिंदू कृतियों में उल्लेखित सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए गौ हत्या पर पाबंदी और बूचड़खाना को बंद करने की विशेष रूप से मांग भी की गई थी.
6) निचली जातियों के समूह ने मांग की कि सवर्णों द्वारा दुर्व्यवहार पर रोक लगाई जाए विधायिका, सरकारी महकमा और स्थानीय निकाय आदि में जनसंख्या के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था भी की जानी चाहिए.
7) भाषाई अल्पसंख्यक लोग चाहते थे की मातृभाषा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए तथा भाषाई आधार पर प्रांतों का पुनर्गठन भी किया जाना चाहिए.
धार्मिक अल्पसंख्यकों ने विशेष सुरक्षा का आग्रह किया.
( निष्कर्ष )
अंततः यह कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान का निर्माण केवल संविधान सभा के अंदर बैठे व्यक्तियों के द्वारा नहीं हुआ बल्कि जनमत भी इसको प्रभावित करता था जनता के सुझावों को भी संविधान सभा में महत्व दिया जाता था.

6. संविधान सभा अंग्रेजों की योजना को साकार करने का काम कर रही थी ? सोमनाथ लाहिड़ी के इस कथन की व्याख्या कीजिए ?

( सोमनाथ लाहिड़ी एक कम्युनिस्ट सदस्य थे.)
लाहिड़ी कहते हैं के अंतरिम सरकार लंदन में स्थित ब्रिटिश सरकार के प्रभाव में काम कर रही थी 1946-47 के जाड़ों में जब संविधान सभा में चर्चा चल रही थी तो अंग्रेज अभी भी भारत में थे.
संविधान सभा अंग्रेजों की बनाई हुई है और वह अंग्रेजों की योजना के अनुसार काम कर रही है.
मामूली से मामूली मतभेद के लिए संघीय न्यायालय तक दौड़ना होगा या वहां इंग्लैंड में जाकर नाचना पड़ेगा.
मूल रूप से सत्ता अभी भी अंग्रेजों के हाथ में है और सत्ता का प्रश्न बुनियादी तौर पर अभी भी तय नहीं हुआ जिसका अर्थ निकला है कि हमारा भविष्य अभी भी पूरी तरह हमारे हाथों में नहीं है.

7. संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के पक्ष में दिए गए बयानों की व्याख्या कीजिए ?

27 अगस्त 1947 में मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने संविधान सभा में पृथक निर्वाचन का के पक्ष में एक जोरदार भाषण दिया था.
अल्पसंख्यक हर जगह होते हैं उन्हें हम चाह कर भी नहीं हटा सकते.
एक ऐसे राजनीतिक ढांचे की आवश्यकता है जिसके भीतर अल्पसंख्यक भी औरों के साथ सद्भाव के साथ जी सकें और समुदायों के बीच मतभेद कम से कम हो.
राजनीतिक व्यवस्था में अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व हो उनकी आवाज सुनी जाए और उनके विचारों पर ध्यान दिया जाये.
देश के शासन में मुसलमानों की एक सार्थक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक निर्वाचिका के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता.
मुसलमानों की जरूरतों को गैर मुसलमान अच्छी तरह नहीं समझ सकते ना ही अन्य समुदाय के लोग मुसलमानों का कोई सही प्रतिनिधि चुन सकते हैं.

8. संविधान की उद्देशिका की कोई चार बातें अपने शब्दों में लिखिए ?

1) भारत में सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक न्याय की स्थापना की जाएगी.
2) यहां विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता स्थापित की जाएगी.
3) भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य में प्रतिष्ठा और अवसर की समानता स्थापित की जाएगी.
4) बंधुता प्राप्ति का उद्देश्य बताया जाएगा.

9. संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के विरोध में दिए गए बयानों की व्याख्या कीजिए ? अथवा संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के विरोध में आर. वी. धुलेकर और गोविन्द वल्लभ पन्त के बयानों की व्याख्या कीजिए ?

27 अगस्त 1947 में मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने संविधान सभा में पृथक निर्वाचन का के पक्ष में एक जोरदार भाषण दिया था
पृथक निर्वाचका के पक्ष वाले बयान को सुनकर ज्यादातर राष्ट्रवादी भड़क गए
इसका विरोध आर. वी. धुलेकर और गोविन्द वल्लभ पन्त ने किया
( आर. वी धुलेकर )
आर. वी धुलेकर ने बहादुर को संबोधित करते हुए कहा था अंग्रेजों ने संरक्षण के नाम पर अपना खेल खेला इसकी आड़ में उन्होंने तुम्हें (अल्पसंख्यक) फुसला लिया अब इस आदत को छोड़ दो अब कोई तुम्हें बहकाने वाला कोई नहीं है
( गोविन्द वल्लभ पन्त )
वल्लभ पंत ने ऐलान किया कि यह प्रस्ताव न केवल राष्ट्र के लिए बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए भी खतरनाक है.

10. भारतीय संविधान के निर्माण प्रक्रियाओं का वर्णन करो ?

( संविधान निर्माण को निम्नलिखित प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा.)
15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ तथा 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान अस्तित्व में आया.
यह विश्व का सबसे लंबा संविधान है, मूल अम्विधन में 395 अनुछेद थे.
इस संविधान को काफी गहन सोच-विचार के उपरांत बनाया गया था.
इस संविधान में लंबे समय से चले आ रहे ऊंच-नीच तथा अधीनता के भेद -भाव को समाप्त करके लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास किया गया.
संविधान निर्माण एक बहुत जटिल प्रक्रिया थी, इसके सभी मुद्दों के एक-भाग पर लंबी चर्चाएं चली.
संविधान सभा के 11 सत्र हुए जिनमें 165 दिन बैठके हुई जिनमें समितियां तथा उपसमितियां मसौदे को सुधारने का कार्य करती थी.

11. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध क्या कहा ?

सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनुसार पृथक निर्वाचक एक ऐसा विष है.
जो हमारे देश की पूरी राजनीति में समा चुका है.
उनकी राय में यह एक ऐसी मांग थी जिसने एक समुदाय को दूसरे समुदाय से भिड़ा दिया, राष्ट्र के टुकड़े कर दिए ,रक्तपात को जन्म दिया और देश के बंटवारे का कारण बना.
इसलिए वे पृथक निर्वाचका के बिल्कुल विरुद्ध थे.

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