अपना मालवा खाऊ- उजाड़ू सभ्यता में - Class 12th hindi ( Antral ) Term- 2 Important question

अपना मालवा खाऊ- उजाड़ू सभ्यता में - Class 12th hindi ( Antral )  Term- 2 Important question

 1- धरती का वातावरण गरम क्यों हो रहा है ?  इसके गरम होने में यूरोप और अमेरिका की भूमिका लिखें।

उत्तर 1) वातावरण के गरम होने का कारण : आज औद्योगिक विकास के चलते हम जो उद्योग धंधों, कल-कारखाने लगा रहे हैं उनसे वातावरण को गरम करने वाली गैसें निकलती हैं। ये गैसे वातावरण के तापमान को कई डिग्री से बढ़ा रही

2) यूरोप और अमेरिका की भूमिका : ये हानिकारक गैसें सबसे अधिक यूरोप और अमेरिका जैसे देशों से निकलती है। इन देशों में लगे उद्योगों से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों से वातावरण सर्वाधिक प्रदूषित हो रहा है।

3)  वातावरण के गर्म होने से हानियाँ : इन गैसों द्वारा तापमान बढ़ने के कारण समुद्रों का पानी गर्म हो रहा है, धरती के ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघल रही है, मौसमों का चक्र बिगड़ रहा है तथा पर्यावरण असंतुलित हो गया है।

4) इसे रोकने के लिए प्रयास : इन हानियों से बचने के लिए हमें प्रकृति के विकास के साथ लेकर चलना होगा। उद्योग धंधों में ऐसा विकल्प चुनना होगा जिससे हमारे पर्यावरण को भी हानि न पहुँचे। जैसे बंजर धरती पर औद्योगीकरण करना या जंगलों को बेवजह न काटना आदि।

2- आज की सभ्यता इन नदियों को गंदे पानी के नाले कैसे बना रही हैं ?

उत्तर : आज की सभ्यता के अनुसार हम नदियों को माता नहीं मानते बल्कि उसे उपयोग की वस्तु समझते हैं तथा कई रूपों में उसे दूषित कर रहे हैं-

1) कूड़ा-कचरा फेंक कर : लोगों द्वारा अपने घर का कूड़ा कचरा इन नदियों में बहा दिया जाता है। जिसे पूर्णत: बहा ले जाने में असमर्थ नदियाँ प्रदूषित हो जाती हैं।

2) पूजा सामग्री बहाकर : हिन्दु सभ्यता के अनुसार पूजा सामग्री को पवित्र मान नदियों में बहा दिया जाता है जिसके कारण नदियाँ दूषित होती जा रही है।

3) कल कारखानों का रासायनिक पदार्थ : उद्योगों कारखानों से निकला सारा रासायनिक पदार्थ नदियों में बहाया जाता है जिनसे नदियों का पानी जहरीला भी हो जाता है।

3- मालवा में जब सब जगह बरसात की झड़ी लगी रहती है। तब मालवा के जनजीवन पर इसका क्या असर पड़ता है ?

  • मालवा में जब सब जगह बरसात की झड़ी लगी रहती है तब मालवा का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इधर-उधर सभी
  • जगह पानी भर जाता है। जगह-जगह लबालब पानी रहता है। जितने भी छोटे-मोटे नदी नाले दिखाई देते हैं। सब बरसाती पानी
  • से भरे होते हैं। अतः लोगों की दिनचर्या में बाधा बरसात की झड़ी के कारण दिखाई देती है।

4- अब मालवा में वैसा पानी नहीं गिरता , जैसा गिरा करता था । उसके क्या कारण है ? 

  • मालवा में पहले काफी पानी गिरता था अर्थात् काफी वर्षा होती थी, पर अब वहाँ वैसा पानी नहीं गिरता । अब तो स्थिति यह हो गई है कि यदि पहले का औसत पानी गिरे तब भी लोगों को लगता है कि ज्यादा पानी गिर गया । इस बार जब 40 इंच पानी गिरा तो लोग टी.वी. की समझ में अत्ति की बोलने लगे । कम पानी गिरने के कारण निम्नलिखित हैं
  • औद्योगिक विकास- आज के युग में मानव विकास के नए प्रतिमानों को छू रहा है । हर क्षेत्र में विकास हो रहा है । उद्योगों के क्षेत्र में यह विकास अत्यंत तीव्र गति से हो रहा है । इन उद्योगों से निकलने वाली गैसों ने पृथ्वी के तापमान को तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है । इससे मौसम में काफी परिवर्तन आ गया है । इसका प्रभाव वर्षा पर भी पड़ा है । अब बीते सालों की तुलना में कम वर्षा हो रही है । 
  • वायु प्रदूषण – आज के विकास के साथ वायु प्रदूषण भी तेज़ी से फैलता जा रहा है | कारखानों ने पर्यावरण को बहुत अधिक प्रदूषित कर दिया है | इससे वर्षा पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है |
  • वनस्पति विनाश – तिजोरियां भरने के लिए वन साफ़ कर दिए जा रहे हैं , बाग़-बगीचों के पेड़ काटे गए हैं , हरियाली भूमि बंजर बना दी गयी है | धरती उजाड़ी जा रही है |

5- हमारे आज के इंजीनियर ऐसा क्यों समझते हैं कि वे पानी का प्रबंध बेहतर जानते हैं और पहले जमाने के लोग कुछ नहीं जानते थे ?  

हमारे आज के इंजीनियरों की सोच यह कि हम पानी का प्रबंध करना पहले से बेहतर जानते हैं । वे यह भी मानते हैं कि पहले जमाने के लोग कुछ नहीं जानते थे क्योंकि ज्ञान तो पश्चिम से बाद में आया था । इसे वे रिनेसां की देन मानते हैं । हमारे मत में उनका यह विचार गलत है । रिनेसां से भी पहले भारत में सभी प्रकार का ज्ञान था । भारत ने तो विश्व को ज्ञान दिया । यह तो कह सकते हैं कि पश्चिम में ज्ञान रिनेसां के बाद आया । भारत में तो पहले ही काफी ज्ञान था । भारत तो विश्व गुरु था । मालवा के पुराने राजाओं ने पानी को रोके रखने के लिए तालाब बनवाए , बड़ी - बड़ी बावड़ियाँ बनवाई । इनमें काफी पानी रुका रहता था । आज के नियोजकों और इंजीनियरों ने तालाबों को गाद से भर जाने दिया और जमीन के पानी को पाताल से भी निकाल लिया । नदी - नाले सूख गए । मालवा सूखा हो गया । 

6- ' मालवा में विक्रमादित्य और भोज और मुंज रिनेसां के बहुत पहले हो गए । ' पानी के रख - रखाव के लिए उन्होंने क्या प्रबंध किया ?   

मालवा में विक्रमादित्य , भोज और मुंज जैसे राजा यूरोप के रिनेसां से बहुत पहले हो गए थे । वे पानी के रख- . रखाव के प्रति सतर्क थे । उन्होंने समझ लिया था कि पठार पर पानी को रोके रखना होगा । इसके लिए उन्होंने तालाब बनवाए , बड़ी - बड़ी बावड़ियाँ बनवाईं ताकि बरसात के पानी को रोककर रखा जा सके और धरती के गर्भ के पानी को जीवंत रखा जा सके । 

7- अपना मालवा पाठ के लेखक को ऐसा क्यों लगता है की आज की विकाशील और औद्योगिक सभ्यता उजाड़ की अपसभ्यता है ? 

लेखक का ऐसा मानना एकदम सही है | विकास की इस अंधी दौड़ ने हमारी जीवन-पद्धति को पूरी तरह से तहस नहस करके रख दिया है | इसका बीज यूरोप और अमेरिका की खाऊ उजाड़ू सभ्यता से आया है | वहां कोई जीवन मूल्य नहीं है | वे खाते हैं और प्रकृति को उजाड़ते हैं | हमारी वर्तमान विकास की सभ्यता इन्ही के नक़्शे कदम पर चल रही है | इससे सारा पर्यावरण प्रदूषित हो गया है | नदी सूख गयी |  

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