रोजगार एवं बेरोजगार ( Employment and unemployment )- Class 12th Indian economy development Chapter - 10th ( 2nd Book ) Notes in hindi
बेरोजगारी
इससे हमारा मतलब ऐसी स्थिति से है जिसमें लोग प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए तैयार होते हैं और काम करने के काबिल (योग्य) होते हैं लेकिन फिर भी उन्हें काम नहीं मिलता
श्रमिक
श्रमिक वह व्यक्ति होता है जो कुछ कमाने के लिए या आजीविका कमाने के लिए किसी प्रकार के रोजगार में लगा होता है एक व्यक्ति जो उत्पादन क्रिया में लगा होता है और अपनी सीमाओं के द्वारा GDP की प्रक्रिया में योगदान देता है
स्वनियोजित तथा भाड़े के मजदूर
मजदूर (यह वह लोग जो कोई रोजगार करते हैं)
इन को दो भागों में बांटा गया है
स्वनियोजित मजदूर ( Self Employed Workers )
भाड़े के मजदूर ( Hired Workers )
स्वनियोजित मजदूर
यह वह लोग होते हैं जो अपने ही व्यापार अथवा व्यवसाय में लगे होते हैं
उदाहरण
एक किसान जो अपने ही खेत में काम करता है यह एक उद्यमी जो अपनी ही फैक्ट्री में काम करता है
भाड़े के मजदूर
यह वह लोग होते हैं जो दूसरों के लिए काम करते हैं वह अपनी सेवाएं दूसरों को अर्पित करते हैं और काम के बदले में वेतन प्राप्त करते हैं यह भी संभव है कि उन्हें वस्तुओं के रूप में वेतन प्राप्त हो
उदाहरण
स्कूल में काम करने वाले अध्यापक की तरह
जमीदारों के खेत में छोटे किसानों की तरह
अनियमित तथा नियमित मजदूर
अनियमित मजदूर
इनको दैनिक मजदूरी पर रखा जाता है मालिक उन्हें नियमित आधार पर नहीं लगाते अर्थात उन्हें रोजाना काम नहीं दिया जाता उन्हें सामाजिक सुरक्षा के लाभ जैसे भविष्य निधि पेंशन नहीं दी जाती ।
नियमित मजदूर
इनका नाम मालिकों की स्थाई वेतन सूची पर लिखा होता है उन्हें सामाजिक सुरक्षा के लाभ जैसे - पेंशन और भविष्य निधि के अधिकारी होते हैं
NOTE
हमेशा यह देखा गया है कि अनियमित मजदूर अकुशल (Unskilled) मजदूर होते हैं जैसे कहीं मकान बन रहा है वहां पर काम कर रहा मजदूर इसका उल्टा एक नियमित मजदूर हमेशा कुशल (Skilled) मजदूर होता है जैसे एक फैक्ट्री में काम करने वाला इंजीनियर
कार्यबल
कार्य बल से अभिप्राय वास्तव में काम करने वाले व्यक्तियों से हैं ना कि उन व्यक्तियों से जो काम करने के इच्छुक है (किंतु काम नहीं कर रहे)
कार्यबल = श्रम बल - उन व्यक्तियों की संख्या जो काम नहीं कर रहे लेकिन काम करने के इच्छुक है
भारत मैं कार्यबल का आकार
भारत में कार्यबल की संख्या लगभग 40 करोड लोगों की है
कार्यबल में लगभग 70% पुरुष तथा 30% महिला श्रमिक है
कार्यबल का लगभग 70% ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 30% शहरी क्षेत्रों में पाया जाता है
महिला कार्य बल का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 30% है लेकिन शहरी क्षेत्रों में 20% है
बेरोजगारी के आर्थिक तथा सामाजिक परिणाम
1- आर्थिक परिणाम
2- मानव शक्ति का प्रयोग नहीं
जिस सीमा तक देश में लोग बेरोजगार रहते हैं उस सीमा तक देश में मानवीय साधनों का प्रयोग नहीं हो पाता यह समाज का एक अपव्यय है
उत्पादन की हानि
जिस सीमा तक मानव शक्ति का प्रयोग नहीं हो पाता उस सीमा तक उत्पादन की भी हानि होती है बेरोजगार व्यक्ति उत्पादन में कोई योगदान नहीं देते हैं जबकि उनमें ऐसा करने की क्षमता होती है
सामाजिक परिणाम
1- सामाजिक अशांति
आतंकवाद कई तत्वों के कारण खड़ा हो सकता है परंतु बेरोजगारी के कारण आत्म निराशा का योगदान इसमें किसी भी प्रकार से कम महत्वपूर्ण नहीं है
2- वर्ग संघर्ष
बेरोजगारी समाज को धनी और निर्धन में बांट देती है जिसकी वजह से वर्ग संघर्ष पैदा होता है जो कि सामाजिक अशांति को और भी बढ़ावा देता है
भारत में बेरोजगारी की समस्या दूर करने के संबंध में सुझाव
उत्पादन की तकनीक
उत्पादन की तकनीक देश के साधनों और आवश्यकताओं के अनुसार होनी चाहिए पूंजी प्रधान तकनीक के स्थान पर श्रमदान तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए ऐसे उद्योगों की स्थापना पर बल दिया जाना चाहिए जिनसे उत्पादन तुरंत आरंभ हो जाए
उत्पादन में वृद्धि
रोजगार बढ़ाने के लिए जरूरी है कि देश में कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन को बढ़ाया जाए छोटे तथा बड़े उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित करना चाहिए खनिजों तथा बागानों के उत्पादन को बढ़ाना चाहिए जितना उत्पादन अधिक होगा उतना ही श्रम की मांग भी अधिक होगी और रोजगार के अवसर भी अधिक होंगे
सरकारी नीति और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना
यह योजना सन 2001 में शुरू की गई थी इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए क्षेत्रों का विकास करना
1- क्षेत्र
2- स्वास्थ्य
3- आवास
4- शिक्षा
5- पेयजल
6- सड़कों का विकास
इस योजना के अंतर्गत तीन परियोजनाएं को शामिल की गई है
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
प्रधानमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना
जयप्रकाश रोजगार गारंटी योजना
इस योजना का उद्देश्य देश की बहुत पिछड़े जिलों में गारंटी रोजगार उपलब्ध कराना है
प्रधानमंत्री रोजगार योजना
यह योजना शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए बनाई गई है
यह योजना एक व्यक्ति को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए ₹100000 तथा अन्य क्रियाओं के लिए ₹200000 का ऋण प्रदान करती है
लघु तथा कुटीर उद्योगों का विकास
निर्धनता तथा बेरोजगारी दूर करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लघु तथा कुटीर उद्योगों का विकास करने हेतु ( लघु तथा कुटीर उद्योगों के फैलाव के माध्यम से ) कई विशेष उपाय किए गए हैं
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम
पांचवी योजना में निर्धन लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम लागू किया गया
इस कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ्य, ग्रामीण जलापूर्ति, ग्रामीण सड़कें, ग्रामीण विद्युतीकरण, ग्रामीण आवास इन सभी को सुधार करना।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम MGNREGA
इस अधिनियम के अंतर्गत वे सभी व्यक्ति जो न्यूनतम मजदूरी दर पर काम करने के इच्छुक हैं उन्हें 100 दिनों की न्यूनतम अवधि के लिए काम दिया जाएगा जो रोजगार प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें उन ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचना होगा जहां रोजगार कार्य शुरू किया जा रहा है
इस योजना के अंतर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 14 जनवरी 2018 तक 4.6 करोड़ परिवार को रोजगार प्राप्त हुआ