भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास ( भूगोल) Book -2 Chapter- 9th Geography Class 12th ( Planning and Sustainable Development in indian Context ) Notes in Hindi

भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास ( भूगोल) Book -2 Chapter- 9th  Geography Class 12th ( Planning and Sustainable Development in indian Context ) Notes in Hindi

Introduction

इस अध्याय में हम भारत में नियोजन बारे में पढ़ने वाले हैं
इसमें हम यह भी पढेगे भारत में सतत विकास कैसे हुआ
इसमें हम जानेगे की हम सतत विकास को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं

नियोजन का अर्थ

नियोजन का तात्पर्य सोच विचार की प्रक्रिया कार्यक्रम की
रूपरेखा तैयार करना तथा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए
गतिविधियों का क्रियान्वयन 

खंडीय नियोजन

अर्थव्यस्था के विभिन्न सेक्टरों जैसे कृषि, सिंचाई, विनिर्माण, ऊर्जा
परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना एवं सेवाओं के विकास के लिए
कार्यक्रम बनाना एवं उन्हें लागू करना |

प्रादेशिक नियोजन

देश के सभी क्षेत्रों में आर्थिक विकास समान रूप से नहीं हो पाता
इसलिए विकास का लाभ सभी को समान रूप से पहुचाने के लिए
योजनाकारों ने प्रदेशो की आवश्यकता अनुसार नियोजन किया, इसे
प्रादेशिक नियोजन कहा जाता है |

पर्वतीय विकास कार्यक्रम

National Committee on the developement ने 1981 में 600 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र को इस
योजना के अंतर्गत शामिल करने की सिफारिश की जो जनजातियों के लिए बने योजनाओं के अंतर्गत न आते
इस कार्यक्रम को बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा गया :
1- सभी लोगों को लाभ मिले
2- स्थानीय संसाधनों का विकास
3- पारिस्थितिक संतुलन
4- अतः प्रादेशिक व्यवहार में बिछड़े क्षेत्रों का शोषण ना करना
5- पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार करना

सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम

इस कार्यक्रम की शुरुआत चौथी पंचवर्षीय योजना में हुई |
उददेश्य
सूखा संभावी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना
सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन साधनों को विकसित करना

1- सिविल निर्माण कार्यक्रम पर जोर दिया गया, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जा सके
2- सिंचाई परियोजनाओं, वनीकरण तथा भूमि सुधार पर जोर दिया गया
3- गांव में आधारभूत सुविधाएं तथा बाजार, ऋण जैसी सुविधा उपलब्ध कराना
प्रमुख सुखा संभावी क्षेत्र
राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र (मराठवाडा), तेलंगाना पठार,
कर्नाटक पठार, तमिलनाडू के कुछ क्षेत्र

भरमौर क्षेत्र के विकास के लिए क्या कदम उठाये गए
एवं इनका समाज पर और आर्थिक रूप से क्या प्रभाव
पड़ा:

यह क्षेत्र विकास योजना भरमौर क्षेत्र के निवासियों की जीवन गुणवत्ता सुधारने और हिमाचल के अन्य प्रदेशो
के विकास के उद्देश्य से शुरू की गयी |
इस क्षेत्र में गद्दी जनजातीय समुदाय रहता है, इस समुदाय की हिमाचल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान है,
इन लोगो की गद्दीयाली भाषा है |

1- आधारभूत सुविधाएं School, hospitals का विकास किया गया
2- स्वच्छ जल, सड़कों तथा बिजली का विकास किया
3- कृषि के प्रदूषण मुक्त तरीकों का विकास
4- पशुपालन के वैज्ञानिक तरीकों का विकास

योजना के आर्थिक सामाजिक प्रभाव :

1-  साक्षरता दर में वृद्धि
2- नकदी एवं व्यापारिक फसलों का उत्पादन
3- बाल विवाह तथा अन्य रूढ़िवादी कुरीतियों का अंत
4-  लिंगानुपात में सुधर
5- जीवन स्तर में सुधर

इंदिरा गांधी नहर

1- इंदिरा गाँधी नहर को पहले राजस्थान नहर के नाम से जाना जाता था , यह भारत के सबसे
बड़े नहर तंत्रों ।
2- यह नहर परियोजना : 31 मार्च 1958 को शुरू हुई
3- यह नहर पंजाब के हरिके बांध से निकलती है और राजस्थान के थार मरुस्थल पाकिस्तान
की सीमा के सामानांतर तक बहती है।
4- लम्बाई : 9060 किलोमीटर
5- इस नहर का निर्माण कार्य 2 चरणों में पूरा किया गया |

चरण 1 चरण 2
गंगानगर बीकानेर
हनुमानगढ़ जैसलमेर
बीकानेर बाड़मेर
जोधपुर
नागौर और चुरू 

इंदिरा गांधी नहर के सकारात्मक प्रभाव

हरियाली बालू और रेतीली हवाओं में कमी
पारिस्थितिकी संतुलन अर्थव्यवस्था का विकास
यहाँ की पारंपरिक फसलों चना
बाजरा ग्वार का स्थान गेहूं
कपास, मूंगफली और चावले ने ले
लिया
फसल सघनता एवं उत्पादन
में वृद्धि हुई

सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले उपाय

1- जल प्रबंधन नीति का कठोरता से पालन
2- जल सघन फसलों को न बोया जाये और खट्टे फलों की खेती की जाये
3- कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसे : नालों को पक्का करना , भूमि विकास , तथा समतलन किया जाये |
4- वनीकरण
5-  इस प्रदेश में सामाजिक सतत पोषणीयता का लक्ष्य तभी पूरा किया जा सकता है यदि निर्धन आर्थिक स्थिति
वाले लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए |

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