Poverty- निर्धनता - Class 12th Indian economy development Chapter - 7th ( 2nd Book ) Notes in hindi

Poverty- निर्धनता - Class 12th Indian economy development Chapter - 7th ( 2nd Book ) Notes in hindi

निर्धनता क्या है

निर्धनता से अभिप्राय जीवन के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओ को प्राप्त करने की अयोग्यता 

निर्धन कौन

इन न्यूनतम आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र,मकान शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं शामिल होती है 
इन न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं के पूरा न होने से मनुष्य को दुख झेलने पड़ते हैं इन्हीं को निर्धन कहा जाता है 

सापेक्ष निर्धनता

सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न वर्गों प्रदेशों या दूसरे देशों की तुलना में की जाने वाली निर्धनता से है 
जिस देश या वर्ग के लोगों का जीवन स्तर या निर्वाह स्तर नीचा होता है वे उच्च जीवन स्तर या निर्वाह स्तर के लोगों या देश की तुलना में गरीब या सापेक्ष रूप से निर्धन माने जाते हैं 

निरपेक्ष निर्धनता

भारत में निरपेक्ष निर्धनता का अनुमान लगाने के लिए निर्धनता रेखा का प्रयोग किया जाता है 
निर्धनता रेखा से अभिप्राय उस सीमा बिंदु से है प्रति व्यक्ति व्यय के रूप में जो किसी क्षेत्र के लोगों को निर्धन तथा अनिर्धन में बढ़ता है 

निर्धनता रेखा क्या है

इससे अभिप्राय उस सीमा बिंदु से है जो प्रति व्यक्ति व्यय के रूप में किसी क्षेत्र के लोगों को निर्धन तथा अनिर्धन में विभाजित करता है 
उदाहरण
यदि 1500 रुपए प्रति माह प्रति व्यक्ति व्यय को सीमा बिंदु मान लिया जाए ।
तब 1500 से कम व्यय करने वाले को निर्धन और 1500 से अधिक व्यय करने वाले को अनिर्धन कहा जाएगा ।

EXTRA

चिरकालिक निर्धन

वे जो सदैव निर्धन बने रहते हैं जो सामान्यत: निर्धन रहते हैं 
उदाहरण
भूमिरहित श्रमिक 

अल्पकालिक निर्धन

वह सभी व्यक्ति जो निरंतर निर्धन और गैर निर्धन वर्गों के बीच आते जाते रहते हैं 
जैसे - मौसमी मजदूर

कभी निर्धन नहीं

वे व्यक्ति जो कभी निर्धन नहीं होते इन्हें गैर निर्धन कहा जाता है

अंतर्राज्यीय तुलना

भारत में अलग-अलग राज्यों में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत अलग-अलग है 
हमारा अनुमान यह है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, असम और मध्यप्रदेश में निर्धनों की संख्या सबसे अधिक है 
उत्तर प्रदेश की लगभग 29.4 प्रतिशत बिहार की 33.7 प्रतिशत
ओडिशा की 32.6 प्रतिशत
मध्य प्रदेश की 31.7 प्रतिशत
अनुमानित जनसंख्या निर्धनता रेखा के नीचे रह रही है 
निर्धनता रेखा से नीचे पंजाब में केवल 8.3 प्रतिशत जनसंख्या रह रही है
हरियाणा में 11.2 प्रतिशत तथा राजस्थान में 14.7 प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे है 

ग्रामीण शहरी निर्धनता

ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाने वाली निर्धनता शहरी निर्धनता की तुलना में अभी भी अधिक है 
लेकिन इस बात पर कोई शक नहीं है कि समय के साथ-साथ दोनों में काफी गिरावट आई है 
ग्रामीण निर्धनता 1972-73 मैं 54 प्रतिशत से घटकर 2011-12 मैं 25.7 प्रतिशत के लगभग हो गई शहरी निर्धनता में भी गिरावट आई है शहरी निर्धनता 42% से घटकर 13.7 प्रतिशत  हो गई है 

निर्धनता के कारण

1] विकास की कम दर

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान विकास की दर बहुत कम रही है 
योजनाओं की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर लगभग 5% रही है 
परंतु जनसंख्या की वृद्धि 2% हुई है लगभग जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि केवल 3% हुई है 
प्रति व्यक्ति आय में कम वृद्धि जोकि निर्धनता का एक मुख्य कारण है 

2] चिरकालिक बेरोजगारी और अल्परोजगार

भारत में चिरकालिक बेरोजगारी तथा अल्परोजगार पाया जाता है निर्धनता केवल बेरोजगारी का प्रतिबिंब है 
सन 2011-12 मैं भारत में लगभग 2.45 करोड़ व्यक्ति बेरोजगार थे 
यह संख्या दिसंबर 2014 तक बढ़कर 4.83 करोड़ हो गई

3] जनसंख्या का अधिक दबाव

भारत में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है इस वृद्धि का मुख्य कारण मृत्यु दर में तेजी से गिरावट आना 
जनसंख्या वृद्धि की दर 1941-51 मैं 1.0 प्रतिशत थी बढ़कर 1991-2001 मैं 2.1 प्रतिशत हो गई 
2011 में भारत की जनसंख्या बढ़ कर 121 करोड से अधिक हो गई 
बात करें 1991 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 84.63 करोड़ ही थी।
जनसंख्या का अधिक दबाव निर्भरता भार को बढ़ा देता है जिससे निर्धनता अधिक हो जाती है 
राष्ट्रीय उत्पाद का निम्न स्तर
भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पाद जनसंख्या के आकार की तुलना में काफी कम है इस कारण भी प्रति व्यक्ति आय कम रही है देश की प्रति व्यक्ति आय UNO द्वारा निर्धारित मानदंड के अनुसार निर्धन देशों की श्रेणी में आते हैं 

आय के असमान वितरण की वजह से निर्धनता

1- सरकार द्वारा प्रगतिशील कार्य प्रणाली तथा दूसरे उपायों द्वारा आय के असमान वितरण को दूर करने का प्रयत्न किया लेकिन इन उपायों के बावजूद भारत में निर्धनता बढ़ती जा रही है 
2- एकाधिकार जांच आयोग के अनुसार देश की 1536 कंपनियां मात्र 75 परिवारों के नियंत्रण में है 
3- आय का असमान वितरण ना केवल वर्तमान निर्धनता को प्रकट करता है बल्कि निकट भविष्य में धनी और निर्धन के बीच चौड़े अंतर को प्रकट करता है 
4- क्योंकि ज्यादा आय वाले व्यक्तियों के पास कम आय वाले व्यक्तियों की तुलना में निश्चित ही भविष्य में और ज्यादा आय अर्जित करने की क्षमता होगी 
5- संपत्ति व धन दौलत के भारी भंडार के साथ धनी वर्ग अपना भाग्य उज्जवल बनाने में सक्षम हो रहे हैं 
6- लेकिन निर्धन वर्ग को अपने जीवन निर्वाह के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है

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