Class 12th Physical education chapter- 10th Term-2 ( खेलों में प्रशिक्षण ) Important question
( शक्ति )
यह वह योग्यता है जो किसी प्रतिरोध के विरुद्ध कार्य करने में मदद करती है।
शक्ति के प्रकार
1)गतिशील शक्ति
2) स्थिर शक्ति
गतिशील शक्ति
(i) अधिकतम शक्ति
(ii) विस्फोटक शक्ति
(iii) शक्ति सहनक्षमता
(क) अधिकतम शक्ति:- अधिकतम अवरोध के विरुद्ध कार्य करने की योग्यता
(ख) विस्फोटक शक्तिः- अवरोध के विरुद्ध तेजी से कार्य करने की योग्यता
(ग) शक्ति सहनशीलता:- अवरोद्व के विरुद्ध थकावट की स्थिति में कार्य करने की योग्यता
1- शक्ति का विकास करने की विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए ?
किसी भी प्रकार के प्रतिरोध का सामना करने की मांसपेशियों की योग्यता को शक्ति कहा जाता है , तथा इसका विकास करने की विधियाँ इस प्रकार हैं :-
शक्ति के विकास की विधियाँ
(1) आइसोमैट्रिक व्यायाम
(2) आइसोटोनिक व्यायाम
(3) आइसोकाइनेटिक व्यायाम
i) आइसोमैट्रिक व्यायाम
- आइसोमैट्रिक व्यायाम का अर्थ होता है ऐसे व्यायाम जिनको करने से मांसपेशियों की लम्बाई में कोई बदलाव नहीं होता आइसोमैट्रिक व्यायाम कहलाते हैं |
उदाहरण : भार उठाना , जिम्नास्टिक
[ लाभ :- ]
- चोटों की रिकवरी में ये बहुत लाभदायाक होते हैं |
- जिमनास्टिक में ये व्यायाम बहुत लाभदायक होते हैं |
ii) आइसोटोनिक व्यायाम
- ये ऐसे व्यायाम होते हैं जिन्हें करते समय हमारे शरीर की मांसपेशियों की लम्बाई बढ़ते हुए तथा घटते हुए साफ़ दिखाई देती हैं |
इस प्रकार के व्यायाम उपकरण के साथ तथा बिना उपकरण के भी किये जा सकते हैं |
- लाभ :-
इन व्यायामों को करने से मांसपेशियों की लम्बाई बढ़ती है |
उदाहरण : रनिंग करना , weight lifting
iii) आइसोकाइनेटिक व्यायाम
- ये ऐसे व्यायाम होते हैं जिन्हें मशीनों द्वारा किया जाता है इन व्यायामों को करने से हमारी मांसपेशियों की शक्ति बढ़ती है |
लाभ :-
- इन व्यायामों को करने से हमारे शरीर में विस्फोटक शक्ति का विकास होता है |
- इन व्यायामों को करने से सहन शक्ति का भी विकास होता है |
( गति )
- यह वह योग्यता है जो किसी क्रिया को जल्द से जल्द करने में मदद करते है।
गति के प्रकार
- प्रतिक्रिया गति योग्यता
- तत्वरण गति योग्यता
- लोकोमोटर गति योग्यता
- मूवमेंट गति योग्यता
- गति सहनशीलता योग्यता
गति बढ़ाने की विधि
तत्वरण दौड़ प्रशिक्षण विधि
- पेस दौड़
1. प्रतिक्रिया गति योग्यता:- किसी संकेत के विरुद्ध जल्द-जल्द कार्य करने की योग्यता
2. त्वरण गति योग्यता:- अपने अधिकतम गति की स्थिति जल्द से जल्द को प्राप्त करने की योग्यता।
3. लोकोमोटर गतियोग्यता:- अधिकतम गति की स्थिति को लंबे समय तक बनाये रखने की योग्यता।
4. मूवमेंट गति योग्यताः- किसी एक क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता
5. गति सहनशीलताः- थकावट की स्थिति में किसी क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता।
2- गति का विकास करने की विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए ?
गति के विकास की विधियाँ निम्नलिखित हैं :-
गति के विकास की विधियाँ
1) त्वरण दौड़ें
2) पेस दौड़ें
3- यह प्रश्न इस प्रकार भी आ सकता है : त्वरण दौड़ो तथा पेस दौड़ों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए ?
i) त्वरण दौड़ें
- ये ऐसी दौड़ें होती हैं जो maximum speed प्राप्त करने के लिए की जाती हैं |
- यह दौड़ें 50 मीटर तक बहुत तेज़ speed में लगाईं जाती हैं |
- इन दौड़ों को लगाने के लिए warm up करना जरूरी होता है |
- इन दौड़ों को लगाने के बीच 5 minute तक का rest भी जरूरी होता है |
ii) पेस दौड़ें
- इन दौड़ों में किसी दूरी को एक ही चाल या speed से दौड़ना होता है |
- इसमें 800 मीटर तक की दौडें शामिल होती हैं |
- ऐसी दौड़ों में तेज़ी से दौड़ने से ऊर्जा जल्दी ख़त्म हो जाती है इसलिए इसमें 300 मीटर तक तो तेज़ी से दौड़ सकते हैं पर उससे ज्यादा तेज़ नहीं दौड़ना चाहिए |
4- लचक के प्रकार तथा लचक को बढ़ाने की विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए ?
- किसी भी व्यक्ति के शरीर के जोड़ों की गतियों के विस्तार को लचक कहा जाता है, लचक को flexibility भी कहा जाता है इसके प्रकार निम्नलिखित हैं :-
लचक के प्रकार
(1) अक्रिय लचक
(2) सक्रीय लचक
अक्रिय लचक
- किसी बाहरी सहायता से अधिक दूरी तक जोड़ों द्वारा गति करना अक्रिय लचक कहलाता है |
- जैसे : gym के समय भार उठाते समय सहयोगी की सहायता लेना
सक्रीय लचक
- बिना किसी दूसरे की सहायता के शरीर के जोड़ों का अधिक दूरी तक गति करना सक्रीय लचक कहलाता है |
- जैसे : बिना किसी की help लिए stretching वाले व्यायाम करना
लचक को बढ़ाने की विधियाँ
- बलिस्टिक विधि
- स्थिर खिंचाव विधि
- गतिशील खिंचाव विधि
- Post आइसोमैट्रिक विधि
i) बलिस्टिक विधि
- इस विधि में सभी exercise और खिंचाव वाले व्यायाम घुमाकर किए जाते हैं |
- इन exercise को करने से पहले warm up बहुत जरूरी होता है |
- इस विधि में चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है |
ii) स्थिर खिंचाव विधि
- इस विधि में शरीर को धीरे धीरे खिंचाव अवस्था से लाकर कुछ देर तक रोके रखना होता है |
- इस विधि में आगे की ओर बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए |
iii) गतिशील खिंचाव विधि
- इस विधि में हाथों और पैरों को इस प्रकार घुमाया जाता है की जोड़ों में धीरे धीरे ज्यादा से ज्यादा खिंचाव हो |
- इस विधि की शुरुआत धीमी गति से करनी चाहिए |
iv) Post आइसोमैट्रिक विधि
- बड़े बड़े खिलाड़ियों द्वारा लचक बढ़ाने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है |
- इस विधि में खिंचाव से पहले मांसपेशियों का संकुचन किया जाता है |
- इसमें 8 से 10 seconds तक खिंचाव दिया जाता है |
5 . सहन-क्षमता (Endurance) के प्रकारों का उल्लेख कीजिए?
( अथवा )
खेलों में उच्च प्रदर्शन करने के लिए सहन क्षमता एक आवश्यक घटक है उल्लेख करें?
उत्तर- क्रिया की प्रकृति के आधार पर सहनक्षमता
1. आधारभूत सहन क्षमता (Basic Endurance) - व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें बहुत सारी शारीरिक मांसपेशियों के द्वारा धीमी गति से लम्बे समय तक हलचल कर सकता है जैसे कि दौड़ना, चलना, तैरना इत्यादि।
2. सामान्य सहन क्षमता ( General Endurance) - वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति थकान की स्थिति में भी हलचल को करता रहे। जैसे, ऐरोबिक तथा ऐनोरोबिक गतिविधियाँ इत्यादि।
3. विशिष्ट सहन क्षमता (Specific Endurance) - वह योग्यता, विशिष्ट खेलों में अलग-अलग रूप में उपयोग किया जाता है उदाहरण- मुक्केबाजी ओर कुश्ती अलग-अलग प्रकार के विशिष्ट दमखम की आवश्यकता होती है।
क्रिया के समय के आधार पर सहनक्षमता
1. गति सहन क्षमता (Speed Endurance)- यह वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति थकान के बावजूद किसी भी गति को 45 सैकिंड तक तेजी से कर सकता है जैसे 100m Sprint
2. लघु अवधि सहन क्षमता (Short Term Endurance) - यह योग्यता 45 सैकिंड -2 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है जैसे, 800 मी- दौड़।
3. मध्यम अवधि सहन क्षमता (Middle Term Endurance) इस योग्यता में 2 मिनट से 11 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है। जैसे- 1500 मी- दौड।
4. दीर्घ अवधि सहन क्षमता (Long Term Endurance) - इस योग्यता में 11 मिनट से अधिक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है जैसे 5000 मी-क्रॉस कंट्री तथा मैराथन दौड़ आदि।
6- सहनक्षमता के विकास में निरंतर प्रशिक्षण विधि तथा अन्तराल प्रशिक्षण विधि किस प्रकार उपयोगी है वर्णन कीजिए ?
- किसी भी कार्य को लम्बे समय तक जारी रखने की शारीरिक योग्यता को सहन क्षमता कहा जाता है, तथा इसे बढ़ाने के लिए जो विधियाँ अपनाई जाती हैं वे निम्नलिखित हैं :-
सहन क्षमता को बढ़ाने की विधियाँ
(1) निरंतर प्रशिक्षण विधि
(2) अन्तराल प्रशिस्क्षण विधि
i) निरंतर प्रशिक्षण विधि
इस विधि में व्यायाम को बिना रुके लम्बे समय तक किया जाता है |
इस विधि में लगभग 30 minutes तक व्यायाम किया जाता है |
इस विधि से हृदय की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है |
यह सहनक्षमता को बढ़ाने की सबसे बहतर विधि है |
ii) अंतराल प्रशिक्षण विधि
इस विधि खिलाड़ी तेज़ गति से व्यायाम करता है तथा उसके बाद rest लेता है और उसके बाद दुबारा से तेज़ गति से व्यायाम करता है |
यह विधि football, hockey जैसे खेलों में बहुत उपयोगी होती है |
इस विधि से श्वसन तंत्र को लाभ मिलता है तथा सहनक्षमता बढ़ती है |
7- फोर्टलेक प्रशिक्षण विधि से आप क्या समझते हैं इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए ?
- विशेषताएं
यह लचक को बढ़ाने की एक विधि है , इस विधि में निरंतर प्रशिक्षण विधि तथा अंतराल प्रशिक्षण विधि का मिश्रण होता है |
इस विधि में खिलाड़ी अपने आस पास की जगहों को देखते हुए दौड़ता है जैसे : कच्ची सड़क, पक्की सड़क, पहाड़ , कीचड़ आदि |
इस विधि को गति खेल भी कहा जाता है |
इस विधि में खिलाड़ी आसपास की परिस्थिति को देखते हुए अपनी speed में बदलाव करता है |
इस विधि में recovery के लिए खिलाड़ी तेज़ दौड़ने के बाद धीरे पैदल चल सकता है |
8- विभिन्न प्रकार की तालमेल संबंधी योग्यताओं का वर्णन कीजिए ?
व्यक्ति की ऐसी योग्यताएं जो उसे विभिन्न गति क्रियाएं सुचारू तथा प्रभावशाली तरीके से करने के लायक बनाती हैं
( Orientation Ability )
- यह योग्यता मनुष्य में समय तथा स्थान की स्थिति के अनुसार स्वयं को अनुकूल बनाने की योग्यता है |
(Coupling Ability )
- खिलाड़ी के शारीरिक अंगों की क्रियाओं को करने की योग्यता
- हाथों और आँखों का तालमेल ,पाँव आँखों का तालमेल
( Reaction Ability )
- किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के दौरान विभिन्न संकेतों के प्रति तत्काल तथा तेज़ प्रभावशाली प्रतिक्रिया देने की योग्यता होती है |
( Balance Ability )
- खेल के दौरान शारीरिक गतिविधियाँ करते समय अपना शारीरिक संतुलन बनाए रखने की योग्यता |
जैसे : जिमनास्टिक में
( Rhythm Ability )
- खेल के दौरान किसी गतिविधि को लयात्मक रूप से पूर्ण करने की योग्यता |
( Adaption Ability )
- खेलों के दौरान होने वाले पूर्व निर्धारित परिवर्तनों के कारण अपनी गतियों के प्रभावशाली समायोजन की योग्यता
( Differential Ability )
- खेलों के दौरान उच्च दर्जे की सटीकता तथा शरीर की अलग अलग गतियों की मितव्यता की योग्यता