कविता के बहाने से ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह- Aroh ) Class 12th Kavita ke bahane se - Easy Explained

परिचय
इस कविता में कविता की शक्ति पर प्रकाश डाला गया है |
कवि का कहना है की कविता में चिड़िया की उड़ान, फूलों की मुस्कान और बच्चों की क्रीड़ा तीनों का समावेश है |
कवि ने कविता के अस्तित्व से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं |
सन्दर्भ :-
प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित कवि कुँवर नारायण द्वारा रचित कविता ‘कविता के बहाने’ से लिया गया है | यह कविता कुँवर नारायण जी के कविता संग्रह ‘इन दिनों’ में मूल रूप से संकलित है |
प्रसंग :-
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने ?
व्याख्या
कवि ने कविता के अस्तित्व से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं |
प्रस्तुत कविता में कवि ने कविता की तुलना चिड़िया और फूल से की है |
कवि कहता है कि कविता भी चिड़िया की तरह उड़ान भरती है लेकिन कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान से अलग है
क्योंकि चिड़िया की उड़ान कि एक निश्चित सीमा है जबकि कविता भावों की विचारों की उड़ान किसी भी सीमा यह बंधन से मुक्त है वह अनंत उड़ान है |
कविता न केवल घर के भीतर होने वाली गतिविधियों पर लिखी जाती है बल्कि बाहर के संसार को भी व्यक्त करती है |
वह कभी इस घर के बारे में लिखी जाती है तो कभी उस घर के बारे में |
कविता किस प्रकार कल्पना के पंख लगाकर सब जगह घूम जाती है यह उस बेचारी चिड़ियाँ की समझ से परे है |
अर्थात प्रकृति कि एक सीमा है किंतु कविता का क्षेत्र अनंत है |
प्रसंग :-
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने ?
व्याख्या
इस काव्यांश में कवि ने कविता की तुलना फूलों से की है |
कभी कहता है कि कविता का खिलना भी फूलों के खिलने के समान ही है लेकिन कविता के खिलने और फूलों के खिलने में एक अंतर है फूल खिलने के बाद उसमें जीवन और तत्पश्चात मुर्झाकर समाप्त हो जाने की एक निश्चित अवधि होती है |
फूलों की जीवन अवधि सीमित होने के कारण वे निश्चित समय थी अपनी सुगंध फैला सकते हैं, जबकि कविता एक बार विकसित होकर जीवन पाकर अमर हो जाती है | फुल तो बेचारा 1 दिन गंध रहित हो ही जाता है किंतु कविता बिना मुरझाई महकती रहती है |
प्रसंग :-
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर. वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
व्याख्या
इस काव्यांश में कवि ने कविता की तुलना बच्चों की क्रीड़ा से की है तथा कविता का सुंदर वर्णन किया है |
जिस प्रकार बच्चे मनोरंजन के लिए क्रीड़ा करते है, खेलों के पीछे उनका कोई गंभीर उद्देश्य नहीं होता |
उसी प्रकार कविता रचना भी कवि की एक क्रीड़ा है, लीला है |
जिस प्रकार बच्चे खेल खेलते हुए कभी घर जाते हैं, कभी बाहर भागते हैं | उनके मन में अपने पराये का भेद नहीं होता | वे खेल खेल में सभी को अपना बना लेते हैं | उन्ही बच्चों के अनुसार कवि कर्म भी एक खेल है शब्दों का खेल | कवि शब्दों के माध्यम से अपने मन के, बाहरी संसार के, अपनों के, परायों के सबकी भावनाओं को सामान मानकर व्यक्त करता है |
विशेष :-
कविता की भाषा सरल साहित्यिक खड़ी बोली है |
प्रश्न शैली का प्रयोग करने से कविता रोचक हो गयी है |
कवि ने अलंकारों का काफी सुन्दर प्रयोग किया है
कवि की भाषा लयात्मक, काव्यात्मक तथा भावानुरूप है
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