ग्रामीण समाज में विकास और परिवर्तन Class 12th Sociology ( 2nd Book ) Chapter 4th || Change and development in rural society Notes in hindi

ग्रामीण समाज में विकास और परिवर्तन  Class 12th Sociology ( 2nd Book ) Chapter 4th || Change and development in rural society Notes in hindi

भारतीय समाज की विशेषता ?

भारतीय समाज मुख्य रूप से ग्रामीण समाज है 
लेकिन पिछले कुछ दशक से यहां नगरीकरण बढ़ रहा है
भारत के बहुसंख्यक लोग गांव में ही रहते हैं 
इनका जीवन कृषि या उससे संबंधित व्यवसाय से चलता है
भारत में विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाया जाता है

फसल काटने के समय मनाए जाने वाले त्योहार ?

तमिलनाडु में पोंगल 
असम में बिहू 
पंजाब में बैसाखी 
कर्नाटक में उगाड़ी 
यह सब मुख्य रूप से फसल काटने के समय मनाए जाने वाले त्योहार हैं

भारत में ग्रामीण लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत क्या है ?

भारत में अधिकतम ग्रामीण जनसंख्या की आजीविका का स्रोत कृषि है
कृषि के अलावा भी गांव के लोग अन्य प्रकार के रोजगार में लगे हैं
जैसे – 
कुम्हार, जुलाहे, लुहार 
सुनार पशुपालन, डेयरी उत्पाद इत्यादि 

प्रबल जाति से क्या तात्पर्य है ?

प्रत्येक क्षेत्र में एक या दो जाति के लोग भूमि रखते है  ( भूस्वामी ) 
इनकी संख्या गांव में महत्वपूर्ण है 
श्रीनिवास ने इन्हे प्रबल जाति का नाम दिया है l
( प्रबल जाति )
पंजाब -  जाट , सिक्ख 
हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश –  जाट
आंध्र प्रदेश -  कम्मास और रेडडी
कर्नाटक -  वोक्लागिलास , लिंगायत 
बिहार -  यादव, भूमिहार

कृषि संरचना के बारे में लिखिए ?

कृषक संरचना
मध्यम तथा बड़ी जमीन के मालिक  = अच्छी आमदनी  
काश्तकार या पट्टीदार =सामान्य आमदनी
कृषि मजदूर = निम्न आमदनी, बेरोजगारी

औपनिवेशिक काल में भूमि सुधार के परिणाम बताइए ?

अंग्रेजों की सरकार ने स्थानीय जमीदारों को संपत्ति के अधिकार दिए थे
औपनिवेशिक काल में अंग्रेजी सरकार द्वारा नई राजस्व नीति लागू की गई
अंग्रेजों ने इस नई राजस्व नीति के अनुसार कृषि भूमि पर टैक्स बढ़ा दिया
जमीदारी व्यवस्था के कारण ब्रिटिश काल के दौरान कृषि उत्पादन कम होने लगा 
जमींदार लोग किसानों का शोषण करते थे
जमींदारी व्यवस्था – 
अंग्रेजी सरकार ने जमीदारों को भूमि के अधिकार दे दिए थे 
यह जमीदार किसानों से कर इकट्ठा करके अंग्रेजी सरकार को सौंप देते थे 
इस प्रणाली के तहत सरकार और किसान के बीच सीधा संबंध नहीं था
रैयतवाड़ी व्यवस्था – 
इस व्यवस्था में भूमिका कर किसान के द्वारा सीधा अंग्रेजी सरकार को जाता था 
इस व्यवस्था में जमीदार को बीच से हटाया गया था

स्वतंत्र भारत में भूमि सुधार के सुधार के लिए उठाए गए कदम की व्याख्या कीजिए ?

1950 से 1970 के बीच में भूमि सुधार कानून लाए गए  
जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करना 
पट्टेदारी व्यवस्था को नियंत्रित करना 
भूमि की हदबंदी नियम लाया गया 

हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है ? हरित क्रांति के लाभ ? हरित क्रांति के परिणाम ? हरित क्रांति के सामाजिक परिणाम ?

1960 का दशक

हरित क्रांति कृषि आधुनिकीकरण का एक सरकारी कार्यक्रम था

इसके तहत सरकार ने कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया 
1- अच्छी गुणवत्ता के बीज 
2- कीटनाशक 
3- खाद 
4- सिंचाई तकनीक किसानों को उपलब्ध कराई गई 
इससे कृषि क्षेत्र को लाभ हुआ गेंहू का उत्पादन बढ़ा
हरित क्रांति से कुछ राज्यों को अधिक लाभ हुआ जैसे 
1- पंजाब 
2- पश्चिमी उत्तर प्रदेश 
3- आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु
नई तकनीक द्वारा कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई
हरित क्रांति सरकार तथा इसमें योगदान देने वाले वैज्ञानिकों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी गई है
हरित क्रांति से अधिकतर क्षेत्रों में मध्यम तथा बड़े किसान ही नई तकनीक का लाभ उठा पाए 
छोटे किसानों को इसका लाभ नहीं मिला
हरित क्रांति का अंतिम परिणाम विभेदीकरण की प्रक्रिया भी थी 
इसमें धनी किसान अधिक धनी हो गए और निर्धन किसान पहले से भी गरीब हो गए

स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण समाज में परिवर्तन ?

गहन कृषि के कारण कृषि मजदूरों की बढ़ोतरी 
भुगतान नकद में किया जाने लगा 
दिहाड़ी मजदूरी अधिक होने लगी
समृद्ध राज्यों में मजदूरों का प्रवास 
भूस्वामियों और किसान के बीच पुस्तैनी संबंध में कमी आने लगी

मजदूरों का संचार (सरकुलेशन) से क्या अभिप्राय है ?

समृद्ध राज्यों में कृषि मजदूरों का पलायन तेजी से होने लगा
ऐसा इसलिए था क्योंकि वहां इन मजदूरों को अधिक पैसे और रोजगार मिल रहा था
कृषि के व्यापारी करण के कारण भी ऐसा हुआ
समृद्ध राज्यों में मजदूरों का प्रवास 
मजदूरों के प्रवचन का यह प्रवाह सूखाग्रस्त तथा कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों से कृषि संपन्न क्षेत्रों तथा महानगरों की तरफ हुआ

कृषि के भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताओ ?

कृषि का भूमंडलीकरण की प्रक्रिया कृषि फसलों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में शामिल किए जाने की ओर संकेत है 
भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का किसानों पर असर पड़ा
पंजाब कर्नाटक जैसे इलाकों में किसानों द्वारा कंपनियों ने कुछ निश्चित फसलें बेचने का कॉन्ट्रैक्ट किया है
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा संविदा खेती पद्धति के तहत उगाई जाने वाली फसलों की पहचान की जाती है
बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसानों से फसलें खरीद लेती हैं
यह कंपनियां पूर्व निर्धारित मूल्य पर फसल खरीदने को आश्वासन देती है
इससे किसान बाजार की तरफ से चिंतित नहीं रहता 
इसके अलावा कृषि के भूमंडलीकरण के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा कृषि मद जैसे 
बीज, कीटनाशक, खाद और उर्वरक के विक्रेता के रूप में बाजार में प्रवेश करती हे

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