ग्रामीण विकास ( Rural development )- Class 12th Indian economy development Chapter - 9th ( 2nd Book ) Notes in hindi

ग्रामीण विकास  ( Rural development )- Class 12th Indian economy development Chapter - 9th ( 2nd Book ) Notes in hindi

1] ग्रामीण विकास 

ग्रामीण विकास का अर्थ ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक एवं आर्थिक संवृद्धि के लिए एक नियोजित कार्य विधि से हैं 
चुनौतियां इस प्रकार है 
1] ग्रामीण साख की चुनौती
2] ग्रामीण विपणन की चुनौती 

2] ग्रामीण विकास की चुनौतियां / साख की चुनौती है

भारत में ज्यादातर किसान छोटे हैं जो केवल जीवन निर्वाह के लिए उत्पादन करते हैं 
फसल को बोन तथा काटने के बीच का समय लंबा होता है इसी कारण साख की आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है

1] अल्पकालीन साख 

अल्पकालीन साख की आवश्यकता का संबंध मूल रूप से बीज, उर्वरक ,खाद तथा कीटनाशक दवाइयों जैसी आगतों को खरीदने से है 
कभी-कभी इसकी जरूरत बिजली के बिलों का भुगतान करने के लिए पड़ती है
यह ऋण 6 से 12 महीना के समय के लिए होता है 

 2] मध्यकालीन साख 

मध्यकालीन साख की आवश्यकता 
1] मशीन खरीदने
2] कुओ खुदवाने के लिए होती है 
ऐसे ऋणों का समय आमतौर पर 12 महीनों से 5 वर्ष तक होती है 

 3] दीर्घकालीन साख

दीर्घकालीन साख की जरूरत 
1] भूमि को खरीदने के लिए पड़ती है 
2] मौजूदा भूमि पर स्थाई सुधार के लिए 
ऐसे ऋणो का समय 5 से 20 वर्ष तक की होती है

3] ग्रामीण साख के स्रोत 

स्रोत 
1] गैर संस्थागत 
2] संस्थागत 
गैर संस्थागत स्रोत परंपरागत स्रोत होते हैं लेकिन संस्थागत स्रोत आधुनिक और उभरते स्रोत होते हैं

1] गैर संस्थागत स्रोत 

भू -स्वामी 
गांव के व्यापारी
महाजन
भारत में गैर संस्थागत ग्रामीण साख के महत्वपूर्ण स्रोत है 
किसानों की ज्यादातर साख की जरूरत 
इन्हीं द्वारा पूरी होती है 
प्रथम पंचवर्षीय योजना के शुरुआत में गैर संस्थागत स्रोत किसानों की कुल उधार की आवश्यकता का 93% भाग पूरा किया करते थे 
लेकिन 1981 तक संस्थागत स्रोत ग्रामीण साख के प्रमुख स्रोत के रूप उभरे 

2] संस्थागत स्रोत 

सरकार 
सहकारी समितियां
वाणिज्यिक बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
प्रथम पंचवर्षीय योजना के शुरुआती सालों में सभी संस्थागत साधन मिलकर किसानों की साख संबंधी केवल 7% आवश्यकताओं को पूरा किया करते थे लेकिन वर्तमान में बढ़कर 66% से अधिक है

1] सहकारी साख समितियां 

किसानों को सरकारी साख समितियां पर्याप्त मात्रा में उचित ब्याज दरों पर साख देती है 
यह किसानों के कामों में मार्गदर्शन करती है उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद करती है 
उद्देश्य 
1] देश के सभी क्षेत्रों में साख सुविधाएं फैलाना 
2] साख एजेंसी की रूपरेखा में महाजन के प्रभाव को धीरे-धीरे खत्म करना

2] स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य व्यापारिक बैंक 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना सन् 1955 में हुई 
ग्रामीण साख पर ध्यान देते हुए सरकार ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि ग्रामीण साख की आवश्यकता को केवल सहकारी साख समितियां ही पूरा नहीं कर सकती अतः किसानों को साख देने के लिए व्यापारिक बैंकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए 

3] क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा भूमि विकास बैंक 

यह बैंक अपना काम जिला स्तर पर अन्य स्टाफ की सहायता से संपन्न करते हैं इन्हें आदेश है कि ज्यादातर ग्रामीण जनसंख्या के कमजोर वर्गों को ही साथ प्रदान करें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और भूमि विकास बैंक की स्थापना पिछड़े जिलों तथा ग्रामीण क्षेत्र की साख पूर्ति को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी 

4] कृषि विपणन की चुनौती 

फसल काटने के बाद किसानों को अपनी फसल को संग्रह करने की आवश्यकता होती है फिर उसका वर्गीकरण करना होता है
कृषि विपणन में फसल कटाई और किसानों द्वारा उत्पादन की अंतिम बिक्री के बीच यह सभी प्रक्रियाएं होती है 
लगभग यह प्रक्रियाएं होती है 
1] फसल कटाई के बाद उसको इकट्ठा करना 
2] उत्पाद को प्रसंस्करण करना (जैसे भूसे को दाने से अलग करना )
3] भविष्य में बिक्री के लिए उत्पाद का भंडारण करना 
4] उत्पाद की बिक्री तब करना जब कीमत लाभप्रद हो

1] विपणन प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय 

1] नियमित मंडियां 

नियमित मंडियां वहां लगाई लगी जहां कृषि के उत्पादों की खरीद और बिक्री हो सके इसमें सरकारी अधिकारी किसान तथा व्यापारी शामिल होते हैं यह बाजार व्यवस्था को बढ़िया तरीके से चलाते हैं बिक्री के पैमाने और बाट के प्रयोग पर कठोर निगरानी रखते हैं यह समितियां यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत मिले

2] भंडारगृह सुविधाओं का प्रावधान 

दु :खद बिक्री से बचने के लिए सरकार ने किसानों को भंडार ग्रह सुविधाएं उपलब्ध करा रही है 
केंद्रीय तथा राज्य भंडार गृह निगम सरकार की प्रमुख एजेंसियां हैं जो किसानों को भंडारण के लिए जगह उपलब्ध कराती हैं  
भंडारण से किसानों को बहुत मदद मिलती है किसान अपने उत्पाद को कब भेज सकता है जब बाजार में उसे आकर्षक कीमत मिले 

3] रियायति यातायात  

 रेले किसानों को रियायती यातायात सुविधा प्रदान कर रही है जिससे किसान अपनी उपज को उन शहरी बाजारों में लाए जहां उनकी उपज का बेहतर दाम प्राप्त हो जाए 

4] सूचना का प्रसार

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया किसानों को बाजार संबंधी सूचना प्रदान करना है ज्यादातर कीमत से संबंधित सूचना देता है इससे किसानों को अपने उत्पाद की बिक्री संबंधी सही निर्णय लेने में काफी सहायता मिलती है

2] ग्रामीण विकास की उभरती चुनौतियां 

[ कृषि के बाहर रोजगार ]

1] पशुपालन 

भारत में रोजगार का महत्वपूर्ण गैर कृषि क्षेत्र पशुपालन है 
मुर्गी पालन गाय भैंस ,बकरी भेड़ भारत में पशुपालन में आते हैं 
भारत में मुर्गी पालन का 42 प्रतिशत 
गाय भैंस का 25 प्रतिशत 
बकरी भेड़ का 20  प्रतिशत  भाग है 
गांव के किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन करते हैं जिससे वह अपनी आय को बढ़ा सकें 
पशुपालन को पशुधन खेती भी कहा जाता है 
भारत में पशुधन कृषि महिलाओं के लिए रोजगार का एक अच्छा स्रोत है
1] लेकिन पशुपालन में भी समस्या उत्पन्न होती थी 
1] पिछड़े हुए ज्ञान के कारण कम उत्पादकता 
2] दोषपूर्ण पशु चिकित्सा 

 2] मत्स्य पालन 

केरल ,महाराष्ट्र ,गुजरात ,तमिलनाडु भारत में प्रमुख राज्य है जहां ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन आजीविका का मुख्य स्रोत है
भारत में मछुआरों का समुदाय मछली पकड़ने के अंतवर्ती और महासागर स्रोतों पर समान निर्भर करता है   
अंतवर्ती स्त्रोतों - नदिया, झील ,
तालाब शामिल होते हैं 
महासागर - समुद्र और महा समुद्र शामिल होते हैं 
अंतवर्ती + महासागर = जलागार कहा जाता है
इन्हें जलागार पर मछुआरा समुदाय निर्भर रहती है 
लेकिन मछुआरा समुदाय अभी भी बहुत पिछड़ी हुई अवस्था में है (व्यापक  ऋणग्रस्तता है ) 
इन्हें साथ सुविधाएं देनी चाहिए ताकि इनके ऋणग्रस्तता  के दुश्चक्र को तोड़ा जा सके

3] बागवानी 

ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यान विज्ञान या बागवानी रोजगार का एक अच्छा स्रोत है 
बागान उत्पादों में फल, सब्जियां, फूल, पौधे आदि शामिल होते हैं  
वर्तमान में भारत का विश्व में फलों तथा सब्जियों के उत्पाद में दूसरा बड़ा स्थान है  मसाले के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है 
बागान उत्पादों में लगे कृषि परिवारों की आय में वृद्धि होती है 
इससे गांव की महिलाओं को रोजगार का अवसर मिलता है 
लेकिन भयप्रद बात यह है कि बागवानी के क्षेत्रफल में वृद्धि के कारण दालों के क्षेत्र में कमी हुई है 
दाल की आपूर्ति में गिरावट कीमतों में वृद्धि जिसके कारण (दाल )के उपभोग में कटौती और भारत में शाकाहारी भोजन पर निर्भर अधिकांश घरों में डाले प्रोटीन का स्रोत है

जैविक कृषि 

जैविक कृषि वह पद्धति है जो खेती के लिए जैविक आदतों के प्रयोग पर निर्भर करती हैं 
जैविक आगत में : पशु खाद्य और कंपोस्ट (हरी खाद) शामिल होती है  
यह रसायनिक उर्वरकों कीटनाशक पदार्थों जैसे रसायनिक आगतों के प्रयोग का त्याग करता है

1] जैविक कृषि ही क्यों -? 

1] पर्यावरण मैत्रिक 

जैविक कृषि पर्यावरण मैत्रिक है रसायनिक उर्वरक धरती के जल के भीतर चला जाता है जिसके कारण नाइट्रिक (एसिड )बढ़ जाता है और यह।  नाइट्रिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होता और पर्यावरण भी प्रदूषित होता है 

2] मृदा के उपजाऊपन को बनाए रखती है 

पशु खाद कंपोस्ट का प्रयोग मिट्टी के उपजाऊपन को बनाए रखता है अगर इसके विपरीत हम देखें रासायनिक उर्वरकों को तो यह मिट्टी के उपजाऊपन  को नष्ट करता है दोनों के प्रयोग हमारे सामने हैं इसलिए जैविक खेती कृषि के धारणीय विकास में सहायक है

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