भारत में मानव पूंजी निर्माण- Class 12th Indian economy development Chapter - 8th ( 2nd Book ) Notes in hindi
मानव पूंजी
मानव पूंजी से अभिप्राय किसी राष्ट्र में किसी समय विशेष पर पाए जाने वाली कौशल तथा निपुणता के भंडार ( stock of skill and expertise ) से है यह उन इंजीनियरों, डॉक्टरो, अध्यापकों तथा सभी प्रकार के श्रमिकों के कौशल तथा निपुणता का कुल जोड़ से है जो उत्पादन प्रक्रिया में व्यस्त रहते हैं या व्यस्त रहने की क्षमता रखते हैं।
मानव पूंजी निर्माण
इससे अभिप्राय समय के साथ- साथ मानव पूंजी के स्टॉक में होने वाली वृद्धि की प्रक्रिया को मानव पूंजी निर्माण कहते हैं।
मानव पूंजी निर्माण के निर्धारक तत्व और स्रोत
मानव पूंजी के निर्धारक तत्वो से अभिप्राय मानव पूंजी निर्माण के स्रोतों से है
यह वह तरीके है जिससे मानव पूंजी के स्टॉक में वृद्धि होती है
1) शिक्षा पर व्यय
देश में उत्पादन कार्य बल की संख्या को बढ़ाने के सबसे ज्यादा जरूरी शिक्षा पर व्यय ज्यादातर परिवार ज्यादा मात्रा में शिक्षा पर व्यय करते हैं भले ही इसके लिए उन्हें ऋण ही क्यों न लेना पड़े
इसका कारण
इस प्रकार के व्यय से प्राप्त फल अधिक होता है
शिक्षा पर व्यय करने वाला व्यक्ति जीवन की लंबी अवधि तक बहुत अच्छी कमाई कर सकता है
2) स्वास्थ्य पर व्यय
एक पुरानी कहावत है स्वस्थ शरीर में स्वस्थ बुद्धि रहती है
स्वास्थ्य पर किया गया व्यय एक व्यक्ति को बहुत कार्य कुशल तथा उत्पादनकारी बनाता है
एक बीमार व्यक्ति की तुलना में एक स्वस्थ व्यक्ति राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) में अधिक वृद्धि करता है
3) वयस्कों के लिए अध्ययन कार्यक्रम
प्राथमिक, माध्यमिक तथा विश्वविद्यालय के स्तरों की औपचारिक शिक्षा के अलावा सरकारी तथा गैर सरकारी संगठन ( NGOS ) वयस्कों के लिए अध्ययन कार्यक्रम करते ताकि वह अपने कार्य क्षेत्र में अधिक निपुण बनाया जा सके
मानव पूंजी निर्माण कैसे देता है विकास में योगदान
कौशल में नवीनता
मानव पूंजी निर्माण कौशल में नवीनता लाने में मदद करता है। यह परिवर्तन समृद्धि तथा विकास का अंत धारा होता है
कौशल तथा अशिक्षित व्यक्तियों की संख्या जितनी ज्यादा होगी उत्पादन के क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्र, अन्य आर्थिक क्रियाओं में अभिनव परिवर्तनों की संभावना उतनी ही अधिक होगी
भारत में मानव पूंजी निर्माण की समस्याएं
मानव पूंजी निर्माण को कुछ गंभीर समस्याओं का सामना पढ़ रहा है
1) बढ़ती जनसंख्या
तेजी से बढ़ रही जनसंख्या मानव पूंजी की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डाल रही है।
क्योंकि इसकी वजह से मौजूदा सुविधाएं की प्रति व्यक्ति उपलब्धता घटती जा रही है
यह सुविधाएं हैं
1- आवास
2- सफाई की व्यवस्था
3- अस्पताल
4- शिक्षा
5- बिजली आपूर्ति
इन सुविधाओं की घटती उपलब्धता के कारण जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है।
2) प्रतिभा पलायन
देश में मानव पूंजी निर्माण की प्रक्रिया को एक गंभीर खतरा उन व्यक्तियों से है
जो भारत में जन्मे तथा यहां से ही शिक्षा प्राप्त की और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विकसित देश को प्रस्थान कर जाते हैं
उच्च योग्यता प्राप्त थे व्यक्ति ज्यादातर वैज्ञानिक, डॉक्टर शिक्षा शास्त्री आदि होते हैं।
इन सभी का वर्णन प्रतिभा पलायन की समस्या के रूप में किया जाता है
इसी कारण मानव पूंजी निर्माण की प्रक्रिया धीमी पड़ रही है।
Q शिक्षा- मानव संसाधन विकास का एक आवश्यक तत्व
शिक्षा से अभिप्राय अध्ययन ( teaching ) प्रशिक्षण ( training ) और अधिगम ( learning ) की एक ऐसी प्रक्रिया है जिनके द्वारा स्कूलों तथा कॉलेजों में ज्ञान को सुधारा जाता है और कौशल का विकास किया जाता है।, सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में सिर्फ 74.0 4 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर है इसके अलावा विश्व के विकसित देशों में साक्षरता की दर 90% से 95% के बीच है
Q- शिक्षा का महत्व तथा इसके उद्देश्य
1) शिक्षा नागरिकों को जिम्मेदार बनाती है
2) यह विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को विकसित करती है
3) यह लोगों के मस्तिष्क का विकास करती है
4) यह मानवीय व्यक्तित्व को विकसित करती है
Q- भारत में शिक्षा क्षेत्र का विकास
1- उच्चतर शिक्षा
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है
लगभग 903 विश्वविद्यालय देश में उच्चतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं
सामान्य शिक्षा के लिए देश में कॉलेजों की कुल संख्या 39050 है
2) तकनीकी, चिकित्सा, कृषि शिक्षा
स्वतंत्रता के बाद इन सभी संस्थाओं की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है
सन 1951 मे डिप्लोमा स्तर की 43 पॉलिटेक्निक संस्थाएं थी
लेकिन अब उनकी संख्या 1914 हो गई है अलग-अलग विषयों में डिग्री स्तर की शिक्षा प्रदान करने वाले 3400 मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज है।
इन संस्थाओं में 15 लाख विद्यार्थी प्रति वर्ष प्रवेश पा सकते हैं
इस समय बात करें तो 289 मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं जिनमें 32815 विद्यार्थी प्रवेश पा सकते हैं
दांतो के कॉलेजों की संख्या 282 है जिनमें 22680 विद्यार्थी प्रवेश पा सकते हैं
देश में कई कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं तकनीकी शिक्षा और कृषि शिक्षा प्रदान करते हैं।
3- ग्रामीण शिक्षा
ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का बहुत विस्तार हुआ इसी उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण उच्च शिक्षा परिषद स्थापित की गई है
इस परिषद के अधीन 14 ग्रामीण शैक्षणिक संस्थाएं काम पर लगी है सभी राज्यों में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है
4) वयस्क तथा महिला शिक्षा
वयस्को में निरक्षरता को दूर करने के लिए
व्यस्क शिक्षा का अभी अच्छा प्रबंध कराया गया है
सन 1988 में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की गई थी
सन 1976 में औपचारिक शिक्षा कार्यक्रम भी शुरू किया गया
महिलाओं को तकनीकी शिक्षा देने के लिए बहुत से महिला पॉलिटेक्निक खोले गए हैं
महिलाओं के शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महिला शिक्षा परिषद की स्थापना की गई है।
Q शिक्षा अभी भी एक चुनौतीपूर्ण समस्या
( CRY ) child rights and you के सर्वेक्षण से पता चला है कि बहुत सारे बच्चों का स्कूल में नामांकन ही नहीं हो पाता क्योंकि उनके पास हस्तांतरण दस्तावेज नहीं होते, जन्म प्रमाण पत्र नहीं होते या आवासीय दस्तावेजों की कमी होती है
अन्य मामलों में बच्चों के माता-पिता को मजबूरन फीस भी भरनी पड़ती है यह देश की शिक्षा प्रणाली में एक गंभीर बाधक है इसी सभी बातों से हमें पता चलता है कि भारत देश में शिक्षा अभी भी एक चुनौतीपूर्ण समस्या बनी हुई है
1) निरक्षर व्यक्तियों की बड़ी संख्या
भारत में निरक्षर व्यक्तियों की संख्या विश्व भर में सबसे अधिक है इस समय लगभग 36 करोड़ लोग अनपढ़ है यह संख्या विश्व के बहुत देशों की कुल संख्या से भी ज्यादा है ।
2) ग्रामीण पहुंच का निम्न स्तर
शहरी तथा ग्रामीण जनसंख्या की शिक्षा संबंधी पहुंच में काफी और समानता है और शहरी जनसंख्या की तुलना में ग्रामीण जनसंख्या की शिक्षा संबंधी पहुंच बहुत ही कम है।
3) लिंग भेद
बालक तथा बालिकाओं को शिक्षा के अवसर देने में भारी लिंग भेद पाया गया है बालिकाओं का ना केवल नामांकन अनुपात कम है बल्कि शिक्षा को बीच में ही अधूरी छोड़ने का अनुपात भी बहुत ज्यादा है इससे हमें यह पता चलता है कि भारत में शिक्षा प्रणाली में लिंगभेद पाया जाता है