भारत का विदेशी व्यापार- Class 12th Indian economy development Chapter - 5th ( 2nd Book ) Notes in hindi

भारत का विदेशी व्यापार- Class 12th Indian economy development Chapter - 5th ( 2nd Book ) Notes in hindi

1] भारत का विदेशी व्यापार 

विदेशी व्यापार

विश्व में प्रत्येक देश कुछ वस्तुओं का निर्यात करता है तथा कुछ अन्य वस्तुओं का आयात करता है अलग-अलग देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात एवं आयात अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है 


2] स्वतंत्रता के समय भारत का विदेशी व्यापार 

1] ब्रिटिश शासन के समय भारतीय अर्थव्यवस्था नियुक्ति में से शोषण को सहन किया 
2] ब्रिटिश हमारे प्राकृतिक संसाधनों को अपने घरेलू औद्योगिक उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते थे 
3] भारत से कच्चे माल के भारी निर्यात से अंतरराष्ट्रीय  व्यापार की मात्रा को बढ़ावा मिला जिससे भारतीय हस्तकला का पतन होने के कारण महत्वपूर्ण गिरावट आई 
4] व्यापार की रचना अर्थव्यवस्था के पिछड़ेपन को दर्शाती है क्योंकि हमारे निर्यातो  में कच्चे माल का एक बड़ा भाग शामिल था जबकि आयतो मैं तैयार वस्तुओं का बड़ा भाग शामिल था

3] स्वतंत्रता के बाद भारत का विदेशी व्यापार

विकास की योजना के बाद भारत के विदेशी व्यापार में परिवर्तन दिखाई दिया 
विदेशी व्यापार की याचना 
व्यापार के रचना से अभिप्राय निर्यातो और  आयातो की मदो से है 
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतीय विदेशी व्यापार के रचना में एक अच्छा खासा परिवर्तन हुआ 
कृषि निर्यात के प्रतिशत भाग में गिरावट कुल निर्यातो में कृषि मदो के प्रतिशत भाग में काफी गिरावट आई 
1] अपने घरेलू उद्योग के लिए भारत ने कृषि वस्तुओं का कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया 
2] देश की जनसंख्या में काफी वृद्धि हुई जिसके कारण कृषि वस्तुओं के घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृद्धि हुई है

परंपरागत मदो के प्रतिशत भाग में गिरावट 

भारत के निर्यात के परंपरागत मदो में जुट,चाय खाद्यान्न और खनिज शामिल हैं की स्वतंत्रता के समय यह भारत के निर्यातो का बड़ा भाग थी लेकिन विकास के कार्यक्रम को शुरू होने के साथ इन्हीं मदों के घरेलू मांग में वृद्धि होती गई जिसकी वजह से कुल निर्यातो में इनका भाग घटने लगा

विदेशी व्यापार की दिशा 

1] सन 1951 से भारत विदेशी व्यापार की दिशा में काफी परिवर्तन आया 
2] हमारे व्यापारिक भागीदारों की सूची में समय के साथ-साथ विस्तार  हुआ 
3]इससे यह बात बता चलती है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हमने एक सशक्त आधार बना लिया है

आंतरिक दृष्टि नीति /आयात प्रतिस्थापन नीति 

1] आयात प्रतिस्थापन से अभिप्राय देश के अंदर उन वस्तुओं के उत्पादन से है जिनका आया शेष विश्व से करता है इस नीति का उद्देश्य विदेशी विनिमय की बचत करना है 
2] आंतरिक दृष्टि व्यापार नीति द्वारा सरकार ने विदेशी विनिमय को बचाने को अधिक महत्व दिया ना कि विदेशी विनिमय को अर्जित करने को 
3] विदेशी प्रतियोगिता से अपने घरेलू उद्योग को बचाने के लिए भारत ने व्यापार नीति का अनुसरण किया इससे आंतरिक दृष्टि व्यापार नीति  ( Inward Looking Trade Strategy) कहा गया  
4] अर्थव्यवस्था की औद्योगिक विकास पर इसके अच्छे तथा बुरे दोनों प्रभाव पड़े

अच्छे प्रभाव 

1] संरचनात्मक परिवर्तन के साथ औद्योगिक विकास की उच्च दर 

हरित क्रांति के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में प्रतिशत योगदान लगभग
12 प्रतिशत (1951) में
बढ़कर 25% हो गया 1991 में

 2] निवेश के अवसर

छोटे पैमाने के उद्योग को संरक्षण प्राप्त होने से उन लोगों को निवेश के नए  अवसर मिले जिनके पास अधिक पूंजी नहीं है 

 बुरे प्रभाव 

1] अकुशल सार्वजनिक एकाधिकारों का विकास 

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के संरक्षण में अकुशल सार्वजनिक एकाधिकार को जन्म दिया
दूरसंचार पर लगभग 1990 तक सरकारी एकाधिकार था
लोगों को कई वर्षों तक फोन के कनेक्शन के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती थी
लेकिन आज की बदलती हुई परिस्थिति में हमें बार-बार निशुल्क नए फोन कनेक्शन लगवाने के लिए SMS प्राप्त होते हैं 

2] प्रतियोगिता के अभाव का अर्थ है आधुनिकरण का अभाव 

कुछ पुराने लोगों को याद होगा कि भारत में घरेलू उद्योग द्वारा कैसे कारे और कौन सी ब्रांड की कारे थी 
संरक्षण के नीति के कारण घरेलू कार उद्योग ने लगभग एकाधिकार कारण खूब उन्नति कि थी 
किंतु लंबे समय तक संरक्षण प्राप्त होने के कारण घरेलू उत्पादकों ने अपने उत्पाद को आधुनिक बनाने या सुधारने का कोई प्रयत्न नहीं किया 
जल संरक्षण की नीति को वापस ले लिया गया तब लोगों ने न केवल इनसे छुटकारा पाया बल्कि इन्हें अस्वीकार भी किया

VIDEO WATCH

ASK ANY PROBLEM CLICK HERE

What's Your Reaction?

like
25
dislike
7
love
5
funny
1
angry
1
sad
2
wow
9