आधारिक संरचना ( Infrastructure )- Class 12th Indian economy development Chapter - 11th ( 2nd Book ) Notes in hindi
1] आधारिक संरचना क्या है ?
ऐसे अभिप्राय किसी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की सहयोगी व्यवस्था से है जिसके बिना आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास वास्तव में संभव नहीं है
2] आर्थिक सामाजिक आधारित संरचना
1] आर्थिक आधारिक संरचना
आर्थिक आधारिक संरचना से हमारा मतलब है सहयोगी व्यवस्था जैसे शक्ति, परिवहन तथा संचार के उन तत्वों से है जो अर्थव्यवस्था में उत्पादन गतिविधि के लिए प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं यातायात के साधन वस्तुओं को उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में सुविधा प्रदान करता है
2] सामाजिक आधारिक संरचना
सामाजिक आधारिक संरचना से अभिप्राय सहयोगी व्यवस्था की उन तत्वों (स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, नर्सिंग होम से है) जो किसी देश के सामाजिक विकास के लिए प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं सामाजिक विकास से अभिप्राय मानव संसाधन विकास से है
3] ऊर्जा आर्थिक आधारिक संरचना का मूल घटक
ऊर्जा आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि उर्जा के बिना औद्योगिक उत्पादन संभव नहीं है कृषि में भी ऊर्जा के बिना उत्पादन संभव नहीं है कृषि क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्यूबवेल आदि को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है
द्वितीयक क्षेत्र में मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण आगत है
तृतीय क्षेत्र में मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे कंप्यूटर जो सेवा क्षेत्र का केंद्र है
4] ऊर्जा के परंपरागत तथा गैर परंपरागत स्रोत
1] परंपरागत
ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत वे स्रोत जिनके बारे में हमें पता है अर्थात जिनके बारे में हमें जानकारी है जिनका प्रयोग बहुत लंबे समय से हो रहा है
उदाहरण- कोयला, पेट्रोलियम ,प्राकृतिक गैस तथा बिजली
2] गैर परंपरागत
ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत है स्रोत है जिनकी खोज हाल ही के वर्षों में की गई है और जिनके प्रयोग की लोकप्रियता होने अभी बाकी है
उदाहरण- सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, बायोमास
परंपरागत
1] कोयला
भारत में ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों में से कोयला एक महत्वपूर्ण स्रोत है इससे संबंधित कुछ तथ्य
भारत कोयले के उत्पादन में अग्रणी है 1950 से 1951 में भारत में कोयले का उत्पादन 328 लाख टन था जो 2015 से 2016 में बढ़कर 6380 लाख टन हो गया
भारत में उत्पादित कुल ऊर्जा में कोयले का भाग 67 प्रतिशत है
कोयले का उपभोक्ता
1] ताप विद्युत स्टेशन जो कोयले का प्रयोग बिजली पैदा करने में करते हैं
2] स्टील प्लांट
3] सीमेंट के कारखाने
4] ईट के भट्टे
2] पेट्रोलियम
भारत में ऊर्जा का यह एक अन्य परंपरागत स्रोत है लेकिन भारत में पेट्रोलियम का उत्पादन इसकी मांग की तुलना में बहुत कम है
इसकी वजह से हम शेष विश्व से बहुत मात्रा में पेट्रोलियम आयात करते हैं
घरेलू आवश्यकता तथा उत्पादन के बीच का अंतर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसकी वजह से आयातो में भारी वृद्धि हो रही है
3] बिजली
भारत में ऊर्जा का सबसे उपयोगी परंपरागत स्रोत हैं
भारत में बिजली के तीन मुख्य स्रोत है
1] ताप विद्युत स्टेशन
2] जल विद्युत स्टेशन
3] आण्विक शक्ति स्टेशन
आजादी के बाद हम जल बिजली उत्पादन पर अधिक निर्भर रहे हैं लेकिन अब हम बिजली के स्रोत के रूप में ताप ऊर्जा को अधिक महत्व दे रहे हैं
गैर परंपरागत स्रोत
1] सौर ऊर्जा (सूरत से प्राप्त ऊर्जा )
2] वायु ऊर्जा
3] बायोमास ऊर्जा जिसने गोबर गैस के रूप में ऊर्जा भी शामिल है
4] जियोथर्मल ऊर्जा
भूतकाल की बात करें तो सौर ऊर्जा तथा वायु ऊर्जा का वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग होता रहा लेकिन बड़े पैमाने पर नहीं होते गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत जो ऊपर बताए गए हैं वाणिज्यिक उपयोग के लिए अभी भी प्रायोगिक अवस्था
Experimentation stage में है
1] ऊर्जा के प्राथमिक तथा अंतिम स्रोत
1] प्राथमिक स्रोत
ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत प्रकृति से नि :शुल्क उपहार के रूप में प्राप्त होते हैं उदाहरण -कोयला ,लिग्नाइट, पेट्रोलियम तथा गैस
2] वस्तुओं तथा सेवाओं के
उत्पादन में इनका ऊर्जा आगतों के रूप में प्रत्यक्ष प्रयोग होता है
उदाहरण स्टीम इंजन चलाने में कोयला का प्रत्यक्ष प्रयोग होता है प्रयोग करने से पहले इनमें किसी प्रकार के रूपांतरण अर्थात एक रूप को दूसरे रूप में बदले की आवश्यकता नहीं होती
3] इन स्रोतों को ऊर्जा के अन्य रूपों में परिवर्तित किया जा सकता है जैसे कोयला को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है
1] अंतिम स्रोत
ऊर्जा के अंतिम स्रोत प्रकृति से निशुल्क उपहार के रूप में प्राप्त नहीं होते हैं इन्हें आगतों को उत्पाद में परिवर्तित करके प्राप्त किया जाता है
उदाहरण- (बिजली) इसे कोयले को आगत के रूप में प्रयोग करके प्राप्त किया जाता है
2] ऊर्जा आगतों के रूप में प्रयोग करने से पहले इन स्रोतों को रूपांतरण की एक प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है
कोयले को बिजली में रूपांतरित करने के बाद ही बिजली का ऊर्जा आगत के रूप में प्रयोग किया जाता है
3] इन स्रोतों का प्रयोग केवल ऊर्जा आगत के अंतिम स्रोतों के रूप में होता है इन स्रोतों को ऊर्जा के अन्य रूपों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता अर्थात बिजली को कोयले में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है
2] शक्ति सृजन में उभरती चुनौतियां
शक्ति ऊर्जा एक महत्वपूर्ण रूप है इससे विद्युत शक्ति कहा जाता है
दुर्भाग्यवश भारत में विद्युत का सृजन समृद्धि और विकास की पद्धति में एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरता जा रहा है
1] बिजली का अपर्याप्त उत्पादन
नवंबर 2018 तक कुल संस्था पित्त बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 346,619 MW थी
इसके बाद भी भारत अपनी बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने में असमर्थ है
भारत की केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2018 से 2019 के लिए बिजली की कमी 0.6 प्रतिशत रहेगी पिछले वर्ष बिजली की कमी 0.7 प्रतिशत थी
मांग की पूर्ति से अधिक होने के कारण अनेक समस्याएं उभर कर आई
1] बिजली के वितरण पर बहुत अधिक बोझ
2] वोल्टेज का कम होना
3] वोल्टेज में उतार-चढ़ाव
4] कई घंटों तक बिजली का बंद रहना
2] संचारण तथा वितरण में क्षति
दिल्ली में बिजली के संचारन तथा वितरण की क्षति बिजली उत्पादन का लगभग 50% है
देश के ज्यादातर राज्यों में यह 20% से अधिक है
कारण
1] हमारी पिछड़ी हुई तकनीक
2] बिजली कर्मचारियों की मदद से बिजली की चोरी होने के कारण ही अधिकतर राज्यों में बिजली के वितरण का निजीकरण कर रहे हैं
3] शक्ति सर्जन की चुनौतियां का सामना
1] उत्पादन क्षमता में वृद्धि
अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के मध्य बिजली की पूर्ति में वृद्धि करने हेतु उत्पादन क्षमता या संस्थापित क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए
2] संचारण तथा वितरण की क्षति पर रोक
संचारण तथा वेतन की क्षति को रोका जाना चाहिए ताकि बिजली की वास्तविक उपलब्धता में सुधार लाया जा सके इसके लिए प्लॉट्स के रखरखाव तथा सुधार पर भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता है जो वास्तव में एक कठिन कार्य है